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Heart Attack: दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है ट्रैफिक का शोर, जानिए क्या कहती है नई स्टडी

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) और दिल की सेहत (Heart Health) के बीच का कनेक्शन काफी गहरा है। हाल ही में सामने आई एक स्टडी भी इसे लेकर बड़ा खुलासा कर रही है। दरअसल स्टडी में बताया गया है कि तेजी से बढ़ता ट्रैफिक का शोर दिल से जुड़ी दिक्कतों को बढ़ा सकता है और इसके बीच रहने से हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Mon, 06 May 2024 05:18 PM (IST)
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हृदय रोग का खतरा बढ़ा देता है ट्रैफिक का शोर, स्टडी में हुआ खुलासा। Picture Courtesy: Freepik
एजेंसी, नई दिल्ली। Heart Attack: ट्रैफिक के बढ़ते शोर से दिल का दौरा और कई हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। हाल ही में हुई एक स्टडी ने इस बात को साबित किया गया है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने पाया है कि ट्रैफिक के बढ़ते शोर से दिल के दौरे से लेकर हार्ट से जुड़ी कई बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है। आइए जान लीजिए क्या कुछ कहती है स्टडी।

बना सकता है हाई बीपी का शिकार

शोध बताता है कि यह शोर नींद में भी खलल की वजह बनता है और रक्त वाहिकाओं में तनाव हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे सूजन, हाई ब्लड प्रेशर जैसी तकलीफों को बढ़ावा मिलता है। शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने महामारी विज्ञान के आंकड़ों की समीक्षा की, जो एक निश्चित बीमारी के जोखिम कारकों की पहचान करने के लिए सबूत देते हैं।

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कितना बढ़ सकता है हृदय रोग का जोखिम?

शोधकर्ताओं ने समीक्षा के दौरान पाया कि रोड ट्रैफिक से आने वाले शोर में हर 10 डेसिबल की वृद्धि पर दिल का दौरा, स्ट्रोक और डायबिटीज समेत हृदय संबंधी बीमारियों के विकास का जोखिम 3.2 प्रतिशत बढ़ जाता है। जर्मनी के यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मेंज के वरिष्ठ प्रोफेसर और शोध का नेतृत्व करने वाले थॉमस मुंजेल ने कहा कि हमारे लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि ट्रैफिक शोर को अब मजबूत साक्ष्यों के कारण हृदय रोग के लिए एक जोखिम कारक के रूप में मान्यता दी गई है।

शोधकर्ताओं ने दिए बचाव के सुझाव

शोध का निष्कर्ष सर्कुलेशन रिसर्च पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने स्थानीय अधिकारियों को सड़क, रेल और हवाई यातायात से शोर को कम करने के लिए रणनीतियां भी सुझाईं। उन्होंने कहा कि घनी आबादी वाले इलाकों में व्यस्त सड़कों पर शोर अवरोधक लगाने से शोर के स्तर को 10 डेसिबल तक कम किया जा सकता है।

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