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मेघालय में दो साल के बच्चे में पोलियो इन्फेक्शन की वजह बनी इसकी वैक्सीनेशन, डॉक्टर ने बताई असल वजह

मेघालय से पोलियो ( Meghalaya Polio Case) का मामला सामने आया है। यहां इस वायरस से बचाव के लिए दी जाने वाली वैक्सीन ही इन्फेक्शन की वजह बन गई है। दरअसल राज्य में एक दो साल के बच्चे को टीकाकरण के बावजूद पोलियो हो गया है। यह एक वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो का मामला (Vaccine Derived Polio Case) है जिसके बारे में डॉक्टर विस्तार से बता रहे हैं।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 24 Aug 2024 06:12 PM (IST)
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मेघालय में कैसे वैक्सीन बनी पोलियो की वजह (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते कुछ समय से लगातार जारी मुहिम के चलते भारत अब एक पोलियो मुक्त देश बन चुका है। हालांकि, पिछले दिनों सामने आए इसके एक मामले ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, देश के उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय में दो साल के एक बच्चे में पोलियो ( Meghalaya Polio Case) का मामला सामने आया है। चिंता की बात यह है कि पोलियो की वैक्सीन लेने बाद भी वह इस बीमारी की चपेट में आ गया। दरअसल, यह वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो का मामला (Vaccine Derived Polio Case) है, जिसने पूरे राज्य खासकर पश्चिमी गारो हील्स के इलाके में चिंता काफी बढ़ा दी है।

ऐसे में सभी के मन में इसे लेकर तरह-तरह के सवाल आ रहे हैं। यह वैक्सीन से होने वाले पोलियो वायरस की एक असामान्य घटना है। मेघालय में पोलियो के टीके से बच्चे में संक्रमण को हुए संक्रमण की वजह जानने के लिए हमने सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम में नियोनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स के लीड कंसल्टेंट डॉ. सौरभ खन्ना से बातचीत की।

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क्या कहते हैं डॉक्टर?

डॉक्टर बताते हैं कि मेघालय में टीकाकरण के बावजूद दो साल के एक बच्चे को पोलियो हो जाने के बाद चिंताएं बढ़ गई हैं। यह वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो वायरस (VDPC) से जुड़ी यह एक असामान्य घटना है। ओरल पोलियो वैक्सीनेशन (ओपीवी) में जीवित लेकिन बहुत कमजोर पोलियोवायरस का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, ऐसे क्षेत्रों में जहां वैक्सीनेशन रेट कम है, ये वायरस विकसित हो सकते हैं और ज्यादा शक्तिशाली हो सकते हैं। बाद में ये वायरस उन बच्चों को पैरालाइज बना सकते हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, बिल्कुल वाइल्ड पोलियो वायरस की तरह।

कैसे पोलियो की वजह बनी वैक्सीनेशन?

डॉक्टर आगे बताते हैं कि इस विशेष मामले से पता चलता है कि बच्चा वायरस के एक मॉडिफाइड स्ट्रेन से संक्रमित हुआ है। हालांकि, वैक्सीन के जरिए पोलियो होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन यह इस बात पर जोर देता है कि प्रकोप को रोकने के लिए हाई वैक्सीनेशन रेट कितनी जरूरी है। जैसा कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) और लोकल हेल्थ अथॉरिटी का कहना है कि वाइल्ड और वैक्सीन डिराइव्ड पोलियोवायरस दोनों से बचाव के लिए हाई वैक्सीनेशन रेट बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

क्या है वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो?

वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो, इस वायरस का एक ऐसा मामला है, जिसमें पोलियो की वैक्सीन में वायरस के कमजोर स्ट्रेन की वजह से इन्फेक्शन हो जाता है। हालांकि, यह काफी दुर्लभ मामला है और उन्हीं बच्चों को होता है, जिनकी इम्युनिटी काफी कमजोर होती है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब ओरल वैक्सीन का वायरस शरीर के अंदर म्यूटेट होकर संक्रमिक करने लगता है।

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