Viral Infection को न समझें मामूली, बच्चों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक के लिए साबित हो सकता है खतरनाक
तेज धूप के बाद झमाझम बारिश सुकून तो देती है लेकिन साथ ही साथ उमस भी बढ़ा देती है। ऐसे मौसम में वायरल इन्फेक्शन व मौसमी फ्लू की आशंका बढ़ जाती है। जिसका समय रहते उपचार न किया जाए तो स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखकर काफी हद तक मानसून सीजन से स्वस्थ रहा जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। चिलचिलाती गर्मी और उसके तुरंत बाद बारिश, ऐसा मौसम राहत दिलाने से ज्यादा उमस बढ़ाने का काम करता है और साथ ही वायरल इन्फेक्शन का खतरा भी। वैसे तो मौसमी बुखार 5 से 6 दिन बाद खुद से ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन कुछ वायरल इन्फेक्शन ऐसे होते हैं, जो गंभीर रूप ले सकते हैं। सही समय पर जांच व उपचार न किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि जरूरी सावधानियां बरतें।
मौसमी बुखार के लक्षण
सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, बुखार, ठंड लगना, शरीर व मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान, उल्टी या दस्त होना आदि।
हल्के में न लें मौसमी बुखार
इन्फ्लुएंजा या मौसमी बुखार इन्फ्लुएंजा नामक वायरस से होता है। जो एक से दो दिन में अपना असर दिखता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि 5 से 7 दिनों में यह खुद से ठीक भी हो जाता है। लोग आमतौर पर इस बुखार को नॉर्मल समझ लेते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर रूप ले लेता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों या पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए मौसमी बुखार गंभीर साबित हो सकता है।ये भी पढ़ेंः- मानसून में आपकी सेहत का मिजाज बिगाड़ सकते हैं ये Animal Based Foods, आज ही बनाएं इनसे दूरी
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
- बुखार जब लगातार 5 से 6 दिनों तक बना रहे।
- सिरदर्द, बुखार के साथ सांस लेने में भी परेशानी हो।
- पानी पीने के बाद भी यूरिन कम आ रहा हो।
- लगातार उल्टी या दस्त हो।
सावधानी है सबसे बड़ा बचाव
ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण नजर आएं, तो तुरंत सावधानी बरतकर इससे आगे होने वाले खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। पांच साल तक के बच्चों से लेकर, 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं के अलावा हार्ट, किडनी, कैंसर के मरीजों के लिए यह खतरनाक हो सकता है।वैक्सीन है कारगर
मौसमी बुखार से बचाव का कारगर उपाय है वैक्सीन लेना। 6 महीने से ऊपर के बच्चे और बड़ी उम्र के लोग वैक्सीन ले सकते हैं। इस वैक्सीन को साल में एक बार लेना जाता है। इससे फ्लू के खतरों को कम किया जा सकता है।ये भी पढ़ेंः- Monsoon में खुजली की समस्या दूर करने के लिए इन घरेलू उपायों की लें मदद