वायरस तंत्रिका कोशिका को प्रभावित किए बगैर भी पहुंचाता है नुकसान, शोध में हुआ खुलासा
शोधकर्ता ग्रेगर हटर का कहना है कि उन्हें संदेह है कि एंटीबाडी छिद्रयुक्त ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर मस्तिष्क में पहुंचा जाता है और वहां नुकसान पहुंचाता है। शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क खासकर माइक्रोग्लिया की इम्यून कोशिकाओं की अत्यधिक सक्रियता की भी पहचान की है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Wed, 16 Nov 2022 09:19 AM (IST)
लंदन, प्रेट्र : कोरोना बीमारी का कारक कोविड-19 मानव शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करता है। बीतते समय के साथ उसके बारे में नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। अब एक अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना भी तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचा सकता है। वैसे तो कोरोना पीड़ितों में स्वाद और गंध पहचानने की क्षमता में ह्रास होना सामान्य-सी बात है। लेकिन इससे भी बढ़कर तंत्रिका तंत्र पर ज्यादा गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिसमें ध्यान की एकाग्रता में कमी से लेकर स्ट्रोक तक के मामले शामिल हैं।
स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी आफ बासेल तथा यूनिवर्सिटी हास्पिटल बासेल के शोधकर्ताओं ने ‘न्यूरो कोविड’ के पैदा होने के बारे में एक नए मैकेनिज्म का अध्ययन किया है। इसमें इसकी शुरुआती बिंदु का पता लगाया है। उम्मीद है कि इसके आधार पर न्यूरो कोविड की रोकथाम की जा सकेगी।शोध टीम ने इसकी खोज की है कि संक्रमित व्यक्ति सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड और ब्लड प्लाजमा के विश्लेषण से न्यूरो कोविड की अलग-अलग गंभीरता का कैसे पता लगाया जा सकता है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध के निष्कर्ष में यह भी बताया गया है कि कोविड-19 के कारण न्यूरोलाजिकल नुकसान की रोकथाम किस प्रकार से की जा सकती है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, पीड़ित व्यक्तियों में ब्लड-ब्रेन बैरियर में गड़बड़ी के भी संकेत मिले। इसके बारे में अध्ययन के लेखकों का मानना है कि यह ‘साइटोकाइन स्ट्राम’ के कारण हो सकता है। मतलब यह कि वायरस के कारण इन्फ्लैमेशन को बढ़ावा देने वाले कारकों का बहुत ज्यादा स्राव हो सकता है। यह भी पाया गया कि अत्यधिक इम्यून रेस्पांस के कारण आटोइम्यून प्रतिक्रिया की स्थिति उत्पन्न होती है, जिसमें एंटीबाडी शरीर की अपनी ही कोशिकाओं को निशाना बनाती है।
शोधकर्ता ग्रेगर हटर का कहना है कि उन्हें संदेह है कि एंटीबाडी छिद्रयुक्त ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर मस्तिष्क में पहुंचा जाता है और वहां नुकसान पहुंचाता है। शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क खासकर माइक्रोग्लिया की इम्यून कोशिकाओं की अत्यधिक सक्रियता की भी पहचान की है। इसके अलावा हटर और उनकी टीम ने इसकी भी पड़ताल की कि क्या न्यूरोलाजिकल लक्षणों की गंभीरता से मस्तिष्क की संरचना भी प्रभावित होती है। इस संदर्भ में पाया गया कि गंभीर न्यूरो कोविड लक्षणों वाले लोगों ब्रेन वोल्यूम विशिष्ट स्थानों पर खासकर ओलफैक्टरी कार्टेक्स में स्वस्थ लोगों की तुलना में कम होता है। ओलफैक्टरी कार्टेक्स मस्तिष्क में गंध की पहचान के लिए जिम्मेदार होता है।
ब्रेन वोल्यूम कम होने का संबंध ब्लड और सेरेब्रल फ्लूइड में पाए जाने वाले कुछ विशिष्ट मालीक्यूल्स से है, जो मस्तिष्क में अत्यधिक इम्यून रेस्पांस के कारण होता है। अब इस बायोमार्कर की व्यापकता के बारे में पता लगाया जाना है। एक ऐसे ही बायोमार्कर की पहचान फैक्टर एमसीपी-3 के रूप में हुई है, जो अत्यधिक इम्यून रेस्पांस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।