रोज रात में 3-4 बजे नींद खुलना, देता है इन समस्याओं का संकेत! नजरअंदाज करने से परेशानी को बढ़ा बैठेंगे आप
क्या आप भी हर रात 3-4 बजे नींद से जाग जाते हैं? अगर ऐसा है तो यह सिर्फ एक आम परेशानी नहीं है। यह नींद न आने की एक गंभीर समस्या (sleep disorder) हो सकती है जो आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है और जान भी खतरे में डाल सकती है। आइए जानें रात में बार-बार नींद टूटना किन समस्याओं की ओर इशारा करता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कभी-कभी रात में नींद खुल जाना तो आम बात है। शायद आपको प्यास लगी हो या फिर टॉयलेट जाना हो! बुरे सपने या गलत मुद्रा में सोना भी नींद को खराब कर सकता है, लेकिन अगर आप हर दिन रात के 3-4 बजे के आसपास जाग रहे हैं और फिर से सो नहीं पा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह कई गंभीर समस्याओं (sleep disorder) का संकेत हो सकता है। जी हां, इसमें स्ट्रेस से लेकर लिवर की समस्या तक शामिल हो सकती है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि नींद में बार-बार खलल पड़ने के क्या कारण हो सकते हैं।
स्लीप साइकिल को समझना है जरूरी
हम सभी जानते हैं कि नींद हमारे शरीर के लिए कितनी जरूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब हम सोते हैं तो हमारा शरीर कई तरह के चरणों से गुजरता है? इन चरणों को मिलाकर ही स्लीप साइकिल बनता है।हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक रात में हमारा शरीर कई नींद चक्रों से गुजरता है। ये चक्र लगभग 90 मिनट के होते हैं। इस दौरान हमारी नींद हल्की से गहरी होती जाती है और फिर हम REM (रैपिड आई मूवमेंट) नींद में चले जाते हैं। REM नींद के दौरान ही हम सपने देखते हैं।
- हल्की नींद: जब हम सोने के लिए लेटते हैं तो सबसे पहले हम हल्की नींद में होते हैं। इस दौरान हम आसानी से जाग सकते हैं।
- गहरी नींद: हल्की नींद के बाद हम गहरी नींद में चले जाते हैं। यह नींद हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती है क्योंकि इस दौरान हमारे शरीर और दिमाग का आराम होता है।
- REM नींद: गहरी नींद के बाद हम REM नींद में जाते हैं। इस दौरान हमारी आंखें तेजी से मूव करती हैं और हम सपने देखते हैं। REM नींद हमारी याददाश्त और सीखने की क्षमता के लिए बहुत जरूरी होती है।
3-4 बजे क्यों टूट जाती है नींद?
बढ़ती उम्र
उम्र बढ़ने के साथ हमारी नींद की आदतों में काफी बदलाव आते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ हमारी स्लीप साइकिल में बदलाव होता है। ये बदलाव सिर्फ उम्र के कारण ही नहीं बल्कि कई अन्य कारकों जैसे कि दवाओं के सेवन, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और जीवनशैली में बदलाव के कारण भी हो सकते हैं।दवाइयां हमारी नींद को कई तरह से प्रभावित कर सकती हैं। कुछ दवाएं नींद लाने में मदद करती हैं, जबकि कुछ अन्य दवाएं नींद में बाधा डाल सकती हैं। इसके अलावा, उम्र बढ़ने के साथ कई लोग विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं, जैसे कि दर्द, सांस लेने में तकलीफ और पाचन संबंधी समस्याएं, जो नींद में खलल डाल सकती हैं। इन बदलावों के कारण, हमारी नींद की गुणवत्ता कम हो सकती है, हम रात में बार-बार जाग सकते हैं और सुबह उठने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।
स्ट्रेस
लगातार तनाव में रहने से हमारा शरीर एक अजीब-सी स्थिति में आ जाता है। जब हम तनाव महसूस करते हैं, तो हमारा शरीर एक तरह का अलार्म बजा देता है। इस अलार्म को 'अनुकंपी तंत्रिका तंत्र' कहते हैं। यह तंत्रिका तंत्र हमें खतरे से बचाने के लिए सक्रिय होता है। लेकिन जब हम लगातार तनाव में रहते हैं, तो यह तंत्रिका तंत्र रात के बीच में भी हमें जगा सकता है।दवाइयों के साइड इफेक्ट्स
लंबे समय से बीमारियों की दवाएं लेने वाले लोगों को अक्सर नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। कई दवाएं नींद के पैटर्न को बाधित कर सकती हैं।- सर्दी-खांसी की दवाएं: इनमें मौजूद कुछ तत्व नींद को प्रभावित कर सकते हैं।
- एंटी-डिप्रेसेंट्स: ये दवाएं मूड को बेहतर बनाने के लिए होती हैं, लेकिन कई बार नींद में बाधा डालती हैं।
- बीटा-ब्लॉकर्स: ये दवाएं हाई ब्लड प्रेशर के लिए दी जाती हैं, लेकिन ये भी नींद को प्रभावित कर सकती हैं।
- कोर्टिकोस्टेरॉइड्स: ये दवाएं सूजन को कम करने के लिए दी जाती हैं, लेकिन इनका सेवन नींद में खलल डाल सकता है।
- मूत्रवर्धक (ड्यूरेटिक्स): ये दवाएं शरीर से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए दी जाती हैं, लेकिन ये भी नींद को प्रभावित कर सकती हैं।
- स्लीप एपनिया: नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट
- गैस्ट्रिक समस्याएं: पाचन संबंधी समस्याएं जैसे एसिडिटी
- अर्थराइटिस: जोड़ों का दर्द
- डिप्रेशन: मानसिक बीमारी
- न्यूरोपैथी: तंत्रिकाओं की बीमारी
- मेनोपॉज: महिलाओं में रजोनिवृत्ति
- बढ़ा हुआ प्रॉस्टेट: पुरुषों में प्रॉस्टेट ग्रंथि का बढ़ना
- अतिसक्रिय थायरॉयड ग्रंथि: थायरॉयड ग्रंथि का अधिक सक्रिय होना