IVF ट्रीटमेंट को फेल कर सकती हैं ये गलतियां, सक्सेस रेट बढ़ाने के लिए अपनाएं ये आदतें
माता-पिता बनना हर किसी का ख्वाब होता है। हालांकिकई लोगों का यह सपना अधूरा ही रह जाता है। ऐसे में IVF (In Vitro Fertilization) इन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह इनफर्टिलिटी के कारण नेचुरल तरीके कंसीव न कर पाने वाले कपल्स को पेरेंट्स बनने का मौका देता है। जानते हैं इसके सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए कुछ जरूरी बातों के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बदलते समय के साथ ही विज्ञान ने भी काफी तरक्की है। जीवन को आसान बनाने के साथ ही कई बीमारियों का इलाज करने में विज्ञान और इसके आविष्कारों से अहम योगदान दिया है। IVF (In Vitro Fertilization) विज्ञान का ऐसा ही एक चमत्कार है, जिसने कई लोगों की माता-पिता की बनने की अधूरी ख्वाहिश को पूरा किया है।
यह उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, जो इनफर्टिलिटी के कारण नेचुरल तरीके कंसीव नहीं कर पाते हैं। यह प्रोसेस मेडिकल साइंस का एक कारगर और बहुत बड़ा आविष्कार है, जिसे याद करने के लिए हर साल 25 जुलाई को वर्ल्ड IVF डे मनाया जाता है।
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क्यों मनाया जाता है World IVF Day?
इस दिन को मनाने के लिए 25 जुलाई का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि साल 1978 में आज ही के दिन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए पहले बच्चे लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था। लुईस का जन्म यूनाइटेड किंगडम के ओल्डहैम में हुआ था। तब से लेकर अब तक इस तकमीक की मदद से दुनियाभर में 8 मिलियन से ज्यादा बच्चे पैदा हो चुके हैं।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे सफल बनाने में कई फैक्टर्स (Factors affecting IVF success) योगदान देते हैं। ऐसे में इसके सक्सेस रेट (IVF success tips from experts) को प्रभावित करने और इसे सफल बनाने के लिए जरूरी बातों के बारे में जानने के लिए सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम में आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी की डायरेक्ट डॉ. आस्था दयाल से बातचीत की।
IVF को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स
इस बारे में डॉक्टर बताती हैं कि IVF का सक्सेस रेट पर उम्र और स्वास्थ्य दोनों का भी प्रभाव पड़ता है। एक महिला के अंडों की मात्रा और गुणवत्ता उम्र के साथ कम होती जाती है, खासकर 35 वर्ष की उम्र के बाद, इसलिए उम्र एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है। यही वजह है कि युवा महिलाओं में इस ट्रीटमेंट की सफलता दर आमतौर पर ज्यादा होती है। वहीं, इस प्रोसेस के लिए स्वास्थ्य भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर (IVF treatment factors) है, क्योंकि डायबिटीज, PCOS और मोटापा जैसी बीमारियां IVF के नतीजों और प्रजनन क्षमता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं।
इन आदतों से भी प्रभावित होती है ट्रीटमेंट
उम्र और स्वास्थ्य के अलावा हमारी लाइफस्टाइल और कुछ आदतें भी IVF की सफलता दर को प्रभावित करती हैं। तनाव, ज्यादा शराब पीना और स्मोकिंग सहित अन्य लाइफस्टाइल ऑप्शन से भी इसकी सफलता दर कम हो सकती है। नतीजतन, एक सफल आईवीएफ साइकिल की संभावना को बढ़ाने के लिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ ही हेल्दी बॉडी की भी जरूरत होती है।IVF का सक्सेस रेट बढ़ाने के लिए के अपनाएं ये आदतें
- हेल्दी डाइट फॉलो करें: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लो फैट मीट और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर डाइट फॉलो करने से प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड आइटम्स और ज्यादा चीनी से दूर रहें।
- तनाव को मैनेज करें: तनाव से रिप्रोडक्टिव सिस्टम प्रभावित हो सकता है। इसलिए तनाव के स्तर को कम करने के लिए, डीप ब्रीदिंग, माइंडफुलनेस और मेडिटेशन जैसी एक्सरसाइज का सहारा ले सकते हैं।
- हेल्दी वेट बनाए रखें: कम या ज्यादा वजन होने से हार्मोन का लेवल और फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में बैलेंस्ड डाइट और लगातार एक्सरसाइज के जरिए हेल्दी वेट बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
- शराब और स्मोकिंग से दूर रहें: ये दो आदतें प्रजनन क्षमता को कम कर सकती हैं और IVF ट्रीटमेंट के नतीजों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए इसके सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए शराब कम या बिल्कुल न पीने और स्मोकिंग बंद करने की सलाह दी जाती है।
- पोषक तत्वों की कमी पूरी करें: कोएंजाइम Q10, विटामिन डी और फोलिक एसिड कुछ पोषक तत्व हैं, जो फर्टिलिटी में मदद कर सकते हैं। हालांकि, कोई भी नया सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
- टॉक्सिन्स के संपर्क में कम आएं: चूंकि खतरनाक केमिकल और टॉक्सिन्स फर्टिलिटी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए उनके आसपास रहने से बचने की कोशिश करें। इन पदार्थों में प्लास्टिक, कीटनाशक और कुछ ब्यूटी प्रोडक्ट्स शामिल हैं।