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शरीर में कैल्शियम की कमी के क्या हैं कारण, जानें इसके लक्षणों और उपायों के बारे में

अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा कैल्शियम की कमी से पीड़ित है। राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो (एनएनएमबी) के अनुसार शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी को मिलाकर 50% से अधिक भारतीयों में कैल्शियम की कमी है। कैल्शियम की कमी की समस्या से महिलाएं भी जूझ रही हैं खासकर गर्भवती महिलाओं और लैक्टेशन कr स्थिति में इसकी मांग बढ़ जाती है।

By Ruhee Parvez Edited By: Ruhee Parvez Updated: Mon, 22 Jan 2024 01:06 PM (IST)
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शरीर में कैल्शियम की कमी के क्या हैं कारण, जानें इसके लक्षणों और उपायों के बारे में
ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शरीर और मस्तिष्क के लिए कैल्शियम जरूरी है और इसका महत्व हम तब समझते हैं जब हमारी उम्र बढ़ती है। मुख्य रूप से इसका सीधा संबंध हमारी हड्डियों, दांतों, मसल्स और नर्वस सिस्टम से है। यह मसल्स मूवमेंट, नर्व्स द्वारा मस्तिष्क और शरीर के दूसरे अंगों के बीच मैसेज पहुंचाने में मदद करता है। यह पूरे शरीर में ब्लड को एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचाने में ब्लड वेसल की सहायता करता है। शरीर में इसके अनेकों फंक्शन हैं, इसलिए शरीर में इसकी आवश्यक मात्रा पर हमें ध्यान देना चाहिए।

भारतीयों में कैल्शियम की कमी

अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा कैल्शियम की कमी से पीड़ित है। राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो (एनएनएमबी) के अनुसार, शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी को मिलाकर 50% से अधिक भारतीयों में कैल्शियम की कमी है। कैल्शियम की कमी की समस्या से महिलाएं भी जूझ रही हैं, खासकर गर्भवती महिलाओं और लैक्टेशन कr स्थिति में इसकी मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा, कैल्शियम की कमी किशोरों, बुजुर्गों और विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों में भी देखी जाती है। वैसे कैल्शियम का संबंध विटामिन-डी की डेफिशेंसी से भी जुड़ा हुआ है। भारत में शहरीकरण और बढ़ती इनडोर गतिविधियों के कारण लोगों का सूरज से एक्सपोजर कम हो रहा है और यह चीज विटामिन-डी की कमी में ज्यादा योगदान दे रही है। इसलिए शरीर में ऑप्टिमल कैल्शियम ऑब्जर्वेशन और उपयोग के लिए पर्याप्त विटामिन-डी का स्तर आवश्यक है।

कैल्शियम की कमी के लक्षण

जब शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, तो उससे कई तरह के लक्षणों का पता चलता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये लक्षण कई बार गंभीर रूप ले सकते हैं, जिससे दूसरी हेल्थ की समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि कैल्शियम की कमी के लक्षण कौन-कौन से हैं -

थकान और कमजोरी

कैल्शियम मसल्स फंक्शन और एनर्जी प्रोडक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी थकान और कमजोरी का कारण बन सकता है, साथ ही स्टेमिना में भी कमी हो सकती है, जिससे आपको कुछ भी काम करने का मन नहीं करेगा।

मसल्स क्रैम्प

मसल्स क्रैम्प होना एक आम बात है। यह समस्या गंभीर तब होती जब यह बार-बार होता है। मसल्स क्रैंप ज्यादातर पैरों और हाथों में होता है। यह अचानक आता है, इसलिए दर्द भी तेज होता है। मसल्स क्रैम्प हो रहा है तो इससे यह पता चलता है कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है।

झुनझुनी और सुन्नता

नर्वस सिस्टम शरीर के सभी अंगों को एक-दूसरे के साथ कम्यूनिकेट करने में मदद करता है। यह ब्रीथिंग, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। नर्वस सिस्टम सही तरह से काम करे, इसके लिए आवश्यक है कि शरीर में कैल्शियम की मात्रा पर्याप्त हो। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी होगी तो इससे हाथ-पैरों में झुनझुनी और सुन्नता जैसी स्थिति पैदा होगी।

नाखून और दांत की समस्याएं

कैल्शियम की कमी से नाखून कमजोर और नाजुक होते हैं और यह आसानी से टूट सकता है। इसके अलावा दातों की समस्याएं जैसे दांतों में सड़न, दांत का कमजोर होना और मसूड़ों की बीमारी भी कैल्शियम की कमी के कारण होते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया

अगर आपके शरीर में लंबे समय तक कैल्शियम की कमी रहती है, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया जैसी बीमारी को पैदा कर सकती है, जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर और खोखली हो सकती है।

मूड में बदलाव

शरीर में कैल्शियम की कमी मूड और इमोशन्स को प्रभावित करती है। इसकी कमी से मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन, चिंता या अवसाद हो सकता है। इसलिए अगर मूड को ठीक रखना है तो कैल्शियम के सही स्तर को बनाएं रखें।

कैल्शियम की कमी को कैसे दूर करें

शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करना है तो डाइट में बदलाव करना होगा और उन आहारों का सेवन करना होगा जो कैल्शियम से भरपूर हों। पारंपरिक भारतीय आहार में दूध और डेयरी उत्पाद कैल्शियम के अच्छे स्रोत माने जाते थे। हालांकि, बदलते आहार पैटर्न और प्रोसेस्ड व फास्ट फूड की ओर झुकाव के कारण इन पारंपरिक कैल्शियम स्रोतों की खपत में गिरावट आई है। ऐसे में शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाने के लिए हमें दूसरे स्रोतों पर विचार करने की आवश्यकता है।

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Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।

लेखक - शक्ति सिंह

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