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कैसे होती है Chronic Liver Disease, जानें इसके कारण, इलाज और बचाव के तरीके

लिवर हमारे शरीर का बेहद अहम अंग है। यह हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि अपने लिवर का पूरा ध्यान रखा जाए। हालांकि हमारी लाइफस्टाइल में कई ऐसे बदलाव होने लगे हैं जो हमारे लिवर को बीमार बना रहे हैं। ऐसे में इससे जुड़ी बीमारी क्रोनिक लिवर डिजीज के बारे में जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 30 Dec 2023 07:55 AM (IST)
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एक्सपर्ट से जानें क्या क्रोनिक लिवर डिजीज?

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Chronic Liver Disease: लिवर से जुड़ी बीमारियां भारत में तेजी से एक बड़ी हेल्थ समस्या बनती जा रही है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में लिवर डिजीज से होने वाली मौतों में करीब 18-20 फीसदी भारत में थीं। लिवर हमारे शरीर का एक अहम अंग है, जो हमें सेहतमंद रखने के लिए कई सारे काम करता है। हालांकि, तेजी से बदलती लाइफस्टाइल की वजह से हमारे लिवर पर बुरा असर पड़ने लगा है। यही वजह है कि इन दिनों लिवर डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

लिवर डिजीज को अलग-अलग एक्यूट कंडीशन में बांटा जा सकता है। एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस के ज्यादातर मामलों को खुद नियंत्रण किया जा सकता है और क्रोनिक लिवर डिजीज में सिरोसिस व उससे जुड़ी स्थितियां होती हैं। ऐसे में क्रोनिक लिवर डिजीज के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में लिवर ट्रांसप्लांट एंड बिलियरी साइंसेज, रोबोटिक सर्जरी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर शालीन अग्रवाल से बात की।

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लिवर डिजीज के कारण

इस बारे में डॉक्टर ने बताया कि एक्यूट लिवर डिजीज कुछ मामलों में जानलेवा हो सकती है, लेकिन क्रोनिक लिवर डिजीज (सिरोसिस) हमारे देश के हेल्थ केयर सिस्टम को काफी प्रभावित कर रहा है। लिवर डिजीज के ज्यादातर मामलों में मुख्य रूप से चार बड़े कारण होते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी से होने वाला क्रोनिक इंफेक्शन, क्रोनिक अल्कोहल एब्यूज, डायबिटीज और मोटापा।

हेपेटाइटिस बी और सी इन्फेक्शन ब्लड प्रोडक्ट के ट्रांसफ्यूजन के कारण होता है, इन्फेक्टेड नीडल्ड- सीरींज के दोबारा इस्तेमाल से होता है और ग्रसित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने करने से इन्फेक्शन होते हैं। इसके अलावा, शराब का सेवन, डायबिटीज और मोटापा जैसी खराब लाइफस्टाइल से भी नुकसान होता है।

जब से हेपेटाइटिस सी के लिए एंटी-वायरल इलाज आया है, ब्लड ट्रांसफ्यूजन सुरक्षित तरीके से हो रहा है, हेपेटाइटिस बी के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन उपलब्ध है। ऐसे में हेपेटाइटिस बी और सी के साथ क्रोनिक लिवर डिजीज के मामलों में काफी तेजी से गिरावट आई है। हालांकि, दूसरी तरफ शराब के बढ़ते सेवन, खराब लाइफस्टाइल और खाने-पीने की खराब आदतों के चलते शराब और मोटापे से जुड़े लिवर डिजीज के मामलों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

क्रोनिक लिवर डिजीज के लक्षण-

इसके प्रारंभिक लक्षण आमतौर पर कमजोरी और थकान के रूप में सामने आते हैं, हालांकि ये अस्पष्ट होते हैं। वहीं, एक बार जब लिवर खराब होने लगता है. तो मरीज को आमतौर पर पीलिया (आंखों और पेशाब का पीला होना) हो जाती है, पेट या चेस्ट कैविटी में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, खून की उल्टियां होने लगती हैं या मल काला भी हो सकता है। इसके अलावा कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे इधर-उधर की बातचीत, भटकाव या फिर कोमा की स्थिति भी पैदा हो सकती है। सिरोसिस वाले मरीजों में शुरुआती लक्षण कैंसरयुक्त ट्यूमर के रूप में होती है।

क्रोनिक लिवर डिजीज का निदान

क्रोनिक लिवर डिजीज काफी लंबे समय तक एसिम्पटोमेटिक रहती है। हालांकि ब्लड टेस्ट, पेट के अल्ट्रासाउंड और अल्ट्रासाउंड इलास्टोग्राफी के जरिए इसे आसानी से डायग्नोज किया जा सकता है।

क्रोनिक लिवर डिजीज का इलाज

अल्कोहोलिक लिवर के मरीज के लिए शराब का सेवन पूरी तरह से रोकना बेहद जरूरी है। इसमें शुरुआती इलाज दवाओं से होता है, जिसकी मदद से शरीर की सूजन, फ्लूड जमा होना, दिमागी स्थिति और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट ब्लीडिंग को कंट्रोल किया जा सकता है। जिन मरीजों खून की उल्टी की समस्या रहती है, उनके लिए एंडोस्कोपिक इलाज ही बेहतर माना जाता है।

हालांकि, इसके लिए लिवर ट्रांसप्लांट सबसे कारगर और अंतिम उपाय माना जाता है। सिम्पटोमैटिक सिरोसिस के मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट का सक्सेस रेट 90 फीसदी से भी ज्यादा रहता है। लिवर के इलाज में अन्य सभी थेरेपी का इस्तेमाल लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है, जबकि लिवर ट्रांसप्लांट में ग्रसित लिवर को नए व स्वस्थ लिवर से बदल दिया जाता है, जिससे मरीज को न सिर्फ राहत मिलती है।

लिवर ट्रांसप्लांट के बाद कैसी होती है लाइफ

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए आमतौर पर कोई करीबी रिश्तेदार लिवर डोनेट करते हैं या फिर किसी ब्रेन डेड व्यक्ति के परिजनों की परमिशन से उसके लिवर का इस्तेमाल किया जाता है या फिर मानव कल्याण के लिए अपने मृत परिजनों के अंगों का दान करने वाले भी इस पुण्य क्रिया का हिस्सा बनते हैं। सफल लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन गुजार सकता है। हालांकि, ऐसे मरीज को कुछ इम्यूनोसप्रोसिव दवाएं लेनी पड़ती हैं। ये दवाएं उसी तरह होती हैं जैसे रोज डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की दवाएं ली जाती हैं।

क्रोनिक लिवर डिजीज से बचाव

हालांकि, लिवर फेल का इलाज मुश्किल है, लेकिन इसकी रोकथाम आसानी से की जा सकती है। अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर और कुछ आदतों को अपनाकर आप इससे अपना बचाव कर सकते हैं। कुछ तरह की सावधानियों से क्रोनिक लिवर डिजीज के असर को कम किया जा सकता है और मृत्यु दर व बीमारी को कम किया जा सकता है-

  • शराब से ज्यादा सेवन से बचना चाहिए
  • रेगुलर एक्सरसाइज करें
  • फैटी और प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें
  • अपने शरीर का वजन लगातार चेक करते रहें
  • हेपेटाइटिस बी के लिए वैक्सीनेशन कराएं
  • सुरक्षित ट्रांसफ्यूजन प्रैक्टिस अपनाएं

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Picture Courtesy: Freepik