कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis)
मानसून के आते ही देश के अलग-अलग हिस्सों से आई फ्लू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। आई फ्लू को पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह आंखों में होने वाला एक गंभीर संक्रमण है जिसे लेकर सावधानी बरतना काफी जरूरी है। आइए जानते हैं क्या है आई फ्लू इसके लक्षण कारण और इसके बारे में सबकुछ।
आंख से सफेद हिस्से और पलक को कवर करने वाली पतली पारदर्शी परत में होने वाली सूजन की वजह से कंजंक्टिवाइटिस की समस्या होती है। इस पतली परत को कंजक्टिवा कहा जाता है। जब कंजक्टिवा में छोटी ब्लड वेसल्स सूज जाती हैं और उनमें जलन होने लगती है, तो आंखों का सफेद भाग लाल या गुलाबी दिखाई देने लगता है। यही वजह है कि कंजंक्टिवाइटिस को पिंक आई या आई फ्लू भी कहा जाता है। कंजंक्टिवाइटिस अधिकतर वायरल संक्रमण के कारण होता है।
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण क्या है?
- एक या दोनों आंखों में रेडनेस
- आंखों में खुजली होना।
- आंखों में चुभन महसूस होना।
- आंखों से डिस्चार्ज निकलना, जिससे आंखों में पपड़ी बन जाती है।
- आंखों से पानी आना
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, जिसे फोटोफोबिया कहा जाता है।
कंजंक्टिवाइटिस के क्या कारण है?
- एलर्जी
- वायरस
- बैक्टीरिया
- आंख में रसायन का जाना
- आंख में कोई बाहरी वस्तु का जाना
- नवजात शिशुओं में टियर डक का ब्लॉक होना।
कितने तरह के होते हैं कंजंक्टिवाइटिस?
- वायरल कंजंक्टिवाइटिस
यह कंजंक्टिवाइटिस का सबसे प्रचलित प्रकार है, जो वायरल संक्रमण के कारण होता है। यह वही वायरस होते हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं। आई फ्लू का यह प्रकार संक्रमित आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और बहुत संक्रामक होता है।
- बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस कहलाता है। इसका यह प्रकार भी बहुत संक्रामक होता है। इसका इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या मलहम से किया जाता है।
- एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर परागकण, पालतू जानवरों की रूसी, धूल के कण या कुछ रसायनों सहित अन्य एलर्जी की वजह से होता है। इसका इलाज अक्सर एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स या ओरल दवाओं से किया जा सकता है। हालांकि, यह संक्रामक नहीं है।
- केमिकल कंजंक्टिवाइटिस
आई फ्लू का यह प्रकार धुएं, एसिड या अल्कलाइन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के बाद विकसित होता है। इसके परिणामस्वरूप आंखों में गंभीर खुजली, रेडनेस और ब्लर विजन हो सकती है।
रिस्क फैक्टर
- कंजंक्टिवाइटिस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आना।
- किसी ऐसी चीज के संपर्क में आना जिससे आपको एलर्जी है।
- कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करना।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
आंखों की कुछ अन्य गंभीर स्थितियां भी हैं, जो आंखों में रेडनेस का कारण बन सकती हैं। इन स्थितियों के कारण आंखों में दर्द हो सकता है, ऐसा महसूस हो सकता है कि आपकी आंख में कुछ फंस गया है, धुंधली दृष्टि और प्रकाश संवेदनशीलता हो सकती है। अगर आप इन लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लें।
इसके अलावा जो लोग कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, उन्हें आई फ्लू के लक्षण शुरू होते ही अपने कॉन्टैक्ट लेंस पहनना बंद कर देना चाहिए। अगर ये लक्षण 12 से 24 घंटों में ठीक होना शुरू नहीं होते हैं, तो नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें।
आई फ्लू से कैसे करें बचाव?
- अपनी आंखों को हाथों से न छुएं।
- अपने हाथों को बार-बार धोएं।
- रोजाना एक साफ तौलिया और वॉशक्लॉथ का इस्तेमाल करें।
- तौलिए या वॉशक्लॉथ को शेयर न करें।
- अपने तकिए के कवर को बार-बार बदलें।
- काजल जैसे पुराने ब्यूटी प्रोडक्ट को फेंक दें।
- मेकअप या आई ड्रॉप आदि को दूसरों से शेयर न करें।