क्या आप भी करते हैं 9 to 5 की डेस्क जॉब, तो इस सिंड्रोम का कारण बन सकती है आपकी नौकरी!
लगातार बैठे रहने की वजह से सेहत को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। dead butt syndrome इन्हीं में से एक है जो इन दिनों डेस्क जॉब करने वाले लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इसकी वजह से अक्सर कूल्हों में सुन्नपन और दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे क्या है यह सिंड्रोम और कैसे करें इससे बचाव।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों लोगों का ज्यादातर समय ऑफिस चेयर पर बैठे-बैठ गुजरता है। दिनभर स्क्रीन के सामने बैठे रहने की वजह से कई तरह की समस्याएं लोगों को अपना शिकार बना लेती हैं। लगातार बैठे रहने के कई नुकसान समय-समय पर सामने आते रहते हैं। इसकी वजह से शारीरिक और मानसिक समस्याएं होने लगती हैं। Dead Butt Syndrome इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो लंबे समय तक लगातार रहने की वजह से होता है। आइए जानते हैं क्या है ये कंडीशन और कैसे करें इससे बचाव-
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क्या है डेड बट सिंड्रोम
डेड बट सिंड्रोम (DBS) के रूप में जाना जाता है और इसे क्लिनिकल भाषा में ग्लूटस मेडियस टेंडिनोपैथी कहा जाता है। यह कंडीशन तब होता है जब बहुत ज्यादा बैठने के कारण कूल्हे यानी हिप्स की मांसपेशियां, विशेष रूप से ग्लूटस मेडियस और मिनिमस कमजोर हो जाती हैं और इनएक्टिव हो जाती हैं, जिससे असुविधा, दर्द और लंबे समय तक कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ग्लूट मांसपेशियां पेल्विस को स्टेबल करने, अच्छा पोश्चर बनाए रखने और गति को सुविधाजनक बनाने के लिए जरूरी हैं। अगर समय रहते इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
डेड बट सिंड्रोम के लक्षण
इसके लक्षणों की बात करें, तो इसकी वजह से हिप्स की ग्लूटल मांसपेशियां (ग्लूट) सुन्नपन और थोड़ा दर्द महसूस होना शामिल है। इसके अलावा एक या दोनों कूल्हों, पीठ के निचले हिस्से और घुटनों में तेज दर्द तक हो सकता है, आमतौर पर जब आप बैठे होते हैं या बैठने के बाद खड़े होते हैं।
डेड बट सिंड्रोम का कारण क्या है?
ऊपर बताई गई जानकारी के मुताबिक एक इनएक्टिव लाइफस्टाइल, जिसमें बहुत ज्यादा बैठना या लेटना और पर्याप्त मूवमेंट न करना इसका कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, जो लोग सुबह-शाम दौड़ते हैं, अगर वे अपना बाकी का समय बिना दौड़े डेस्क पर बिताते हैं, तो उन्हें भी इस सिंड्रोम का खतरा ज्यादा होता है।
डेड बट सिंड्रोम से कैसे करें बचाव
इस सिंड्रोम से बचने के लिए सबसे कारगर और प्रभावी तरीका एक अपनी इनएक्टिव लाइफस्टाइल में बदलाव करना है। ऐसे में इससे निपटने के लिए अपनी रूटीन में नियमित व्यायाम को शामिल करना, ग्लूट-मजबूत करने वाली एक्टिविटीज आदि कर सकते हैं। साथ ही स्टेंडिंग डेस्क एक्सरसाइजेज, स्क्वाट्स, लंजेस, स्ट्रेचिंग की मदद से भी इससे राहत पा सकते हैं।