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Dementia: अल्जाइमर से कितना अलग है डिमेंशिया, जानें इस समस्या के बारे में वह सबकुछ जो जानना जरूरी है

Dementia डिमेंशिया एक सामान्य शब्द है जो बीमारी और बीमारियों के एक समूह का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें व्यक्ति की सोच मेमोरी तर्क व्यक्तित्व मनोदशा और व्यवहार प्रभावित होते हैं। बीते समस से इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह आमतौर पर बढ़ती उम्र में लोगों को अपना शिकार बनाती है। आइए जानते हैं क्या है डिमेंशिया इसके लक्षण और कारण सबकुछ

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaPublished: Fri, 06 Oct 2023 07:12 PM (IST)Updated: Fri, 06 Oct 2023 07:12 PM (IST)
जानें डिमेंशिया के बारे में वह सबकुछ जो है जरूरी

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dementia: इन दिनों तेजी से बदल रही जीवनशैली का असर हमारी सेहत पर भी पड़ने लगा है। लोग आजकल सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक समस्याओं का भी शिकार हो रहे हैं। खानपान की बिगड़ती आदतें और हमारी कुछ गलत आदतें इन समस्याओं की मुख्य वजह है। डिमेंशिया ऐसी ही एक समस्या है, जो इन दिनों कई लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। यह दिमाग से जुड़ी एक समस्या है, जो आमतौर पर बढ़ती उम्र में लोगों को अपना शिकार बनाती है। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ विस्तार से-

क्या है डिमेंशिया?

क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक डिमेंशिया एक ऐसी समस्या है, जो आमतौर पर लोगों की मेमोरी, सोच और सामाजिक क्षमताओं को प्रभावित करती है। इसके लक्षण पीड़ित व्यक्ति के दैनिक जीवन में रुकावट की वजह बनते हैं। डिमेंशिया कोई विशेष बीमारी नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति के मानसिक कार्य की स्थिति का वर्णन है। डिमेंशिया में आम तौर पर मेमोरी लॉस की समस्या होती है।

डिमेंशिया के लक्षण

मायो क्लिनिक के मुताबिक डिमेंशिया के लक्षण कारण के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

कॉग्नेटिव बदलाव

  • मेमोरी लॉस
  • बात करने या शब्द ढूंढने में समस्याएं।
  • तर्क या समस्या-समाधान में समस्याएं
  • मुश्किल काम करने में परेशानी
  • योजना और आयोजन में परेशानी
  • कॉर्डिनेट करने में दिक्कत
  • भ्रम और भटकाव

साइकोलॉजिकल बदलाव

  • व्यक्तित्व में बदलाव
  • अवसाद
  • चिंता
  • घबराहट
  • अनुचित व्यवहार
  • संदेहास्पद होना
  • कंफ्यूजन

डिमेंशिया और अल्जाइमर में क्या अंतर है?

डिमेंशिया कोई बीमारी नहीं, बल्कि यह एक व्यक्ति के मानसिक कार्य की स्थिति का वर्णन है। डिमेंशिया एक "अंब्रेला कैटेगरी" है, जो व्यक्ति के मेंटल डेक्लाइन का वर्णन करती है, जो उसके रोज मर्रा के जीवन में बाधा की वजह बन सकती है।

डिमेंशिया के कई सारे कारण हो सकते हैं, जिनमें अल्जाइमर डिजीज और पार्किंसंस डिजीज शामिल हैं। अल्जाइमर डिजीज डिमेंशिया का सबसे आम कारण है।

यह भी पढ़ें- आपकी आदतें बना सकती हैं डिमेंशिया का शिकार, ब्रेन हेल्थ बूस्ट करने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

किसे होता है डिमेंशिया?

क्लीवलैंड क्लिनिक की मानें तो डिमेंशिया को देर से होने वाली बीमारी माना जाता है, क्योंकि यह आमतौर बढ़ती उम्र में उम्रदराज लोगों में विकसित होती है। 65 साल से अधिक आयु के सभी लोगों में से लगभग 5% से 8% लोग डिमेंशिया के किसी न किसी प्रकार से पीड़ित हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 85 वर्ष और उससे अधिक उम्र के आधे से अधिक लोगों को डिमेंशिया है।

क्या मेमोरी लॉस का मतलब डिमेंशिया है?

मेमोरी लॉस होना डिमेंशिया का एक आम लक्षण है। हालांकि, यह लोगों की गलतफहमी है कि मेमोरी लॉस का मतलब हमेशा डिमेंशिया ही है। मेमोरी लॉस होने के कई कारण हो सकते हैं। सिर्फ डिमेंशिया की इसका कारण है, इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है।

उम्र बढ़ने के साथ याद्दाश्त में कुछ बदलाव होने लगते हैं। हालांकि, यह बदलाव रोज के जीवन में दखल नहीं देते हैं। वहीं, इसके विपरीत डिमेंशिया लोगों की रोज मर्रा की जिंदगी में रुकावट की वजह बनता है। इस समस्या में व्यक्ति छोटी-छोटी बातें भूल जाता है।

डिमेंशिया के कितने प्रकार हैं?

आमतौर पर डिमेंशिया को तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है:-

  • प्राथमिक (बीमारियां और स्थितियां, जिनमें डिमेंशिया मुख्य बीमारी है)।
  • माध्यमिक (किसी अन्य बीमारी या स्थिति के कारण डिमेंशिया)।
  • अन्य बीमारियों या कारणों से होने वाले डिमेंशिया जैसे लक्षण

डिमेंशिया का निदान कैसे किया जाता है?

डिमेंशिया के निदान की पुष्टि करना कठिन हो सकता है। कई बीमारियां और स्थितियां डिमेंशिया का कारण बन सकती हैं या इसे पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा, इसके कई लक्षण कई अन्य बीमारियों के समान हैं। ऐसे में आप लक्षण नजर आने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इस दौरान आपका हेल्थ एक्सपर्ट से निम्न चीजें पूछ सकता है-

  • अपने लक्षणों के बारे में
  • अपने मेडिकल हिस्ट्री के बारे में
  • अपनी वर्तमान दवाओं की समीक्षा
  • डिमेंशिया सहित बीमारी अन्य बीमारी का पारिवारिक इतिहास आदि

क्या डिमेंशिया को रोका जा सकता है?

डिमेंशिया को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अपने जीवन में कुछ बदलाव लाकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकने के लिए ब्लड वेसल्स क्लियर रख,सामान्य ब्लड प्रेशर,हेल्दी ब्लड शुगर लेवल, हेल्दी वेट, आदि की मदद से डिमेंशिया का जोखिम कम किया जा सकता है। इसे अलावा निम्न बदलाव भी जरूरी हैं-

  • धूम्रपान बंद करें।
  • लोगों के साथ बातचीत करें।
  • दिल और दिमाग को व्यस्त रखें।
  • रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें।
  • हेल्दी डाइट जैसे साबुत अनाज, सब्जियां, फल, मछली और शंख, नट्स, बीन्स
  • अपने दिमाग को एक्टिव रखने के लिए ऑप्टिकल इल्यूजम, पजल आदि की मदद लें।

डिमेंशिया के जोखिम कारक क्या हैं?

डिमेंशिया के जोखिम कारकों में शामिल हैं:

  • आयु- जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, डिमेंशिया की संभावना बढ़ती जाती है। ज्यादातर मामलों में 65 साल से अधिक उम्र के लोग इससे प्रभावित होते हैं।
  • पारिवारिक इतिहास- अगर आपके बायोलॉजिकल माता-पिता या भाई-बहन डिमेंशिया से पीड़ित हैं, तो आपको डिमेंशिया विकसित होने की संभावना काफी ज्यादा है।
  • डाउन सिंड्रोम- अगर आपको डाउन सिंड्रोम है, तो आपको मध्य आयु तक अर्ली ऑनसेट अल्जाइमर रोग विकसित होने का खतरा है।
  • खराब हार्ट हेल्थ- आप आपका कोलेस्ट्रॉल या बीपी लेवल हाई है या फिर एथेरोस्क्लेरोसिस या धूम्रपान करते हैं, तो आप में डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।
  • दिमाग की चोट- अगर आपको दिमाग में गंभीर चोट लगी है, तो आपको डिमेंशिया का खतरा अधिक है।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik


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