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Breathing Exercises: फेफड़ों की क्षमता में सुधार करेगी डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग, जानिए फायदे और तरीका

Breathing Exercises कोरोना के मरीज़ों का श्वसन तंत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। मरीज़ को हल्के से लेकर गंभीर निमोनिया हो रहा है। निमोनिया डायाफ्राम की मांसपेशी की क्षमता पर असर करता है। यह एक्सरसाइज फेफड़ों की क्षमता में सुधार करती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 27 May 2021 03:42 PM (IST)
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डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग फेफड़ों की क्षमता में सुधार करती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को बेहद परेशान किया है। कोरोना के ज्यादातर मरीज़ों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा है, ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है। कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। कोरोना के ज्यादातर मरीज़ों को निमोनिया की बीमारी हो रही है जिसकी वजह से फेफड़ों पर असर पड़ रहा है। इस परेशानी से बचने के लिए जितना जरूरी इलाज है उतनी ही जरूरी एक्सरसाइज भी है।

कोरोना के मरीज़ों का श्वसन तंत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। ऐसे में मरीज़ को हल्के से लेकर गंभीर निमोनिया तक हो रहा है। कोविड से जुड़े निमोनिया में डायाफ्राम की मांसपेशी की क्षमता पर ज्यादा असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने के साथ-साथ ही बलगम के रूप में श्वसनतंत्र में पैदा होने वाले स्राव को दूर करने में अहम किरदार निभाती है। आइए जानते हैं कि डायाफ्राम क्या है? डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग किसे कहते हैं और उसके कौन-कौन से फायदें है।

डायाफ्राम क्या है?

डायाफ्रॉम का आकार एक गुंबद की तरह होता है। यह सांस लेने वाली मांसपेशी है जिसका कनेक्शन हमारे हार्ट फंक्शन, पाचन और ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है। यह भावनात्मक स्थिति को कंट्रोल करके इंसान की नींद में सुधार करता है। तनाव और चिंता को कम करता है। कोविड से जुड़े निमोनिया में डायाफ्राम की मांसपेशी की क्षमता पर असर पड़ता है।

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डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग के फायदें:

डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग फेफड़ों की क्षमता में सुधार करती है। इस ब्रीदिंग का खास मकसद ना सिर्फ आराम करते हुए बल्कि किसी भी काम के दौरान गहरी सांस लेने की क्षमता में सुधार करना है । डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग को मरीज़ की बॉडी की क्षमता के मुताबिक तीन तरीकों जैसे लेट कर, बैठकर या फिर खड़े होकर किया जा सकता है।

डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग के स्टैप्स:

1, पीठ के बल लेटकर घुटनों को थोड़ा मोड़ लें, इससे आपके पैरों के तलवे बेड पर आराम करने की स्थिति में आ जाएंगे।

2.हाथों को अपने पेट पर रखें।

3.अब पेट को फूलाने के लिए नाक के जरिए सांस लें, सांस लेने के साथ-साथ अपनी उंगलियों को भी फैलाने की कोशिश करें।

4.अब अपने होंठों को सिकोड़कर धीरे-धीरे मुंह से सांस बाहर निकालें। इस दौरान पेट वापस अंदर की ओर जाना चाहिए।

5.इसे 10-15 बार दोहराएं। जब आप इस एक्सरसाइज को अच्छे से करने लगें तो इस क्रिया को ज्यादा बार दोहराएं।

अपनी क्षमता के मुताबिक आप इस एक्सरसाइज को कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं। सांस लेने की क्षमता में सुधार होने के बाद आप इसे खड़े होकर भी कर सकते हैं। 

                Written By: Shahina Noor