अक्सर भूल जाते हैं छोटी-छोटी बातें, तो हो सकता है Digital Dementia का शिकार हो रहे हैं आप
इन दिनों हमारा ज्यादातर समय टेक्नोलॉजी के आसपास ही गुजरता है। खासकर मोबाइल लैपटॉप हमारी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ऑफिस से लेकर घर तक लोग अक्सर किसी न किसी वजह से स्क्रीन का इस्तेमाल करते रहते हैं। ऐसे में Digital Dementia का शिकार होना आम बात है। आइए जानते हैं क्या है Digital Dementia इसके लक्षण और बचाव के तरीके।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज का युग स्क्रीन और टेक्नोलॉजी से इतना अधिक प्रभावित है कि इसके बिना जीवन असंभव सा लगने लगता है। स्क्रीन टाइम एक बहुत ही बड़ा एडिक्शन है, जिससे उबरने के लिए लोगों को कई सख्त नियम और तरकीबें अपनानी पड़ रही हैं। बढ़ी हुई जागरूकता के कारण ये तो लगभग सभी जानते हैं कि स्क्रीन टाइम सेहत के लिए हर मायने में नुकसानदायक है। आंखों के साथ ये ब्रेन पर भी बुरा प्रभाव डालता है। यही कारण है कि डिजिटल डिमेंशिया जैसी बीमारियां सामने आ रही हैं. जो सेहत के साथ खिलवाड़ करती हैं।
क्या है डिजिटल डिमेंशिया?
ब्रेन डिसऑर्डर का एक समूह जिसके कई प्रकार के लक्षण होते हैं जैसे मेमोरी लॉस, निर्णय क्षमता कम होना, पर्सनेलिटी में बदलाव और दैनिक क्रिया करने में दिक्कत महसूस होने लगे, तो ये डिमेंशिया कहलाता है।
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क्यों होता है डिजिटल डिमेंशिया?
स्मार्टफोन के कारण हमारे ब्रेन कम सक्रिय होते हैं, ब्रेन में एक प्रकार का सेंसरी मिस मैच होता है जो तकनीक, फोन और एक ही पोश्चर में देर तक बैठे रहने के कारण होता है जिससे डिमेंशिया के लक्षण महसूस होने लगते हैं, जो कि डिजिटल डिमेंशिया कहलाता है। दिनभर में 4 घंटे से ज्यादा फोन, लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर आदि चलाने के कारण डिजिटल डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। बड़ों के साथ बच्चे भी इससे समान रूप से प्रभावित होते हैं।
डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण-
- शॉर्ट टर्म मेमोरी कम होना
- चीजों को आसानी से भूल जाना या खो देना
- किसी शब्द या किसी बात को याद करने में दिक्कत महसूस करना
- मल्टी टास्किंग करने में समस्या
- हर छोटे बड़े काम के लिए गूगल का इस्तेमाल करने से अपना फोन नम्बर जैसी बेसिक चीजें भी याद रखने में असक्षम
- बारीक चीज़ों से लेकर बड़े काम में भी फोकस करने में कमी
- बच्चों में भाषा पर धीमी पकड़, ब्रेन का कम सक्रिय रहना और निष्क्रिय बैठे रहने के कारण मानसिक और शारीरिक विकास में भी बाधा उत्पन्न होती है
डिजिटल डिमेंशिया से बचाव-
- रात में सोने से पहले और सुबह उठने के बाद कुछ देर तक का समय फिक्स रखें जिस दौरान आप फोन कतई नहीं छुएंगे।
- मेंटल मैथ प्रॉब्लम, सुडोकू या चेस जैसे ब्रेन गेम्स खेलें जिसमें ब्रेन का बखूबी इस्तेमाल हो।
- फोन पर टाइम लिमिट सेट रखें जिसके बाद आपका फोन ही आपको एक्सेस यूसेज का सिग्नल देने लगे। ऐसे कई एप आजकल मौजूद हैं।
- जरूरी फोन नंबर, ग्रोसरी लिस्ट और डेली जर्नल करने के बहाने रोज़ पेपर पेन का इस्तेमाल करें। हर काम के लिए फोन पर निर्भर होना बंद करें। संभव हो तो फोन नंबर याद भी करें जिससे इमरजेंसी की स्थिति में ये आपके काम भी आए।
- बिंज वाचिंग करने की जगह नींद पूरी करने पर ज़ोर दें। वीकेंड या छुट्टी वाले दिन मूवी प्लान करें। नींद गंवा कर स्क्रीन देखना हर हाल में सेहत के साथ समझौता है।