Move to Jagran APP

शरीर पर पानी भरे दाने हो सकते हैं जेनिटल हर्पीस के संकेत, इन चीज़ों से बढ़ सकता है इस इन्फेक्शन का खतरा

जेनिटल हर्पीस... हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के चलते होने वाला एक इन्फेक्शन है। यह वायरस जननांगों के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है। इसमें त्वचा पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं या घाव बन जाते हैं। हर्पीस बीमारी में निकलने वाले ये फफोले या छाले महिलाओं में बच्चेदानी और पुरुषों के मूत्र-मार्ग को भी प्रभावित कर सकते हैं।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Wed, 21 Feb 2024 09:19 AM (IST)
Hero Image
क्या है जेनिटल हर्पीस इन्फेक्शन, इसके कारण, लक्षण व उपचार
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्किन पर अगर छोटे-छोटे ऐसे दाने निकल रहे हैं, जिनमें मवाद नहीं, बल्कि पानी भरा हो, तो इस समस्या को नजरअंदाज करने की गलती न करें, क्योंकि ये एक गंभीर इन्फेक्शन जेनिटल हर्पीस के लक्षण हो सकते हैं। ये लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जो एक बार ठीक होने पर वापस भी आ सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं इस इन्फेक्शन के बारे में साथ ही कुछ जरूरी सावधानियां भी।  

क्या है हर्पीस इन्फेक्शन?

हर्पीस स्किन से जुड़ी एक समस्या है, जो हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस(HSV) की वजह से होती है। यह वायरस जननांग, मुंह के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। इस इन्फेक्शन में त्वचा पर छोटी-छोटी फुंसियां होने लगती हैं, जिनमें मवाद नहीं बल्कि पानी भरा होता है। ये दाने बढ़ते समय के साथ साइज में भी बढ़ने लगते हैं। समय रहते ध्यान न दिया जाय, तो समस्या गंभीर हो सकती है। हर्पीस इन्फेक्शन को ठीक होने में तकरीबन 10 से 12 दिन का समय लग जाता है और ये समस्या एक बार ठीक होने के बाद दोबारा भी हो सकती है। 

हर्पीस इन्फेक्शन की वजहें

सबसे पहले तो जान लें कि हर्पीस इन्फेक्शन संक्रमित व्यक्ति को छूने से नहीं फैलता। अन्य वजहों में...

- हर्पीस इन्फेक्शन से संक्रमित व्यक्ति को किस करने पर

- इन्फेक्टेड व्यक्ति के साथ इंटीमेट होने पर

- संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाने पर

- इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर

- एक से ज्यादा व्यक्ति के साथ संबंध बनाने पर

- असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर

हर्पीस कितने प्रकार के होते हैं?

हर्पीस मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:-

1. हर्पीस टाइप 1 (HSV 1)

इसे ओरल या मौखिक हर्पीस के नाम से भी जाना जाता है। जो खासतौर से मुंह और लिप्स के एरिया को प्रभावित करता है। यह संक्रमित व्यक्ति के जूठन, टूथब्रश आदि से फैलता है।

2. हर्पीस टाइप 2 (HSV 2)

इसे जननांग हर्पीस कहा जाता है। इसमें जननांगो या मलाशय के आसपास के क्षेत्र प्रभावित होते हैं। 

हर्पीस बीमारी में क्या खाएं?

हर्पीस इन्फेक्शन में व्यक्ति कमजोर फील कर सकता है और तनाव में भी रहता है। इसे दूर करने के लिए डाइट और रूटीन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अनहेल्दी डाइट से समस्या और बढ़ सकती है, तो किस तरह की डाइट लेना रहेगा फायदेमंद, जान लें इस बारे में। 

- हर्पीस में प्रोटीन से भरपूर चीज़ों का सेवन एक तो आपको एनर्जेटिक रखते हैं और दूसरा समस्या से आराम दिलाते हैं। दूध, स्प्राउट्स, दही, अंडा, बीन्स, नट्स और दालों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं।

- हर्पीस इन्फेक्शन होने पर खानपान में तरह-तरह के मसालों और हर्ब्स को भी शामिल करें। अदरक, लहसुन, सोंठ, काली मिर्च और हल्दी का सेवन फायदेमंद होता है। क्योंकि ये मसाले एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं, जिससे हर्पीस के लक्षणों में आराम मिलता है।

- डाइट में विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर चीज़ें इम्यून सिस्टम को दुरुस्त बनाती हैं। इससे इस बीमारी के होने का खतरा कम हो जाता है। विटामिन ए और सी शरीर के लिए सबसे जरूरी हैं। इसके साथ आयरन, फॉलेट, सेलेनियम की भी कमी न होने दें। 

हर्पीस इन्फेक्शन में क्या न खाएं? 

- मीठी चीजें अवॉयड करें। 

- पैकेट बंद चीजों के सेवन से परहेज करें।

- फैट बढ़़ाने वाली चीज़ों का सेवन न करें।

हर्पीस होने पर ध्यान रखें ये बातें 

- बहुत टाइट कपड़े न पहनें और कॉटन के कपड़े पहनें।

- घाव को बार-बार हाथ से न छुएं और छूने से पहले और बाद में हाथों को साफ जरूर करें। 

- छालों पर क्रीम या लोशन लगाते रहें। जिससे जलन और खुजली कम हो सके।

- बहुत ज्यादा गर्म वातावरण में न रहें, इससे खुजली और जलन दोनों बढ़ सकते हैं।

- बर्फ को किसी कपड़े में डालकर हर्पीस वाली जगह पर लगाएं। इससे इन्फेक्शन जल्दी ठीक होता है। लेकिन डायरेक्ट स्किन पर न इस्तेमाल करें। 

- नहाने वाले पानी में हल्का नमक मिलाकर नहाएं। 

ये भी पढ़ेंः- किन वजहों से होता है यौन संचारित संक्रमण और इससे बचाव के क्या हैं उपाय? जानेंगे एक्सपर्ट से

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Pic credit- freepik