Rarest Blood Group: क्या होता है गोल्डन ब्लड ग्रुप और खास होते हुए भी कैसे बन सकता है परेशानी का सबब
आमतौर पर A B AB और O ग्रुप के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ब्लड ग्रुप है जो पूरी दुनिया में 50 से भी कम लोगों के पास है। इसे आरएच नल ब्लड ग्रुप कहते हैं जो उन लोगों के शरीर में मिलता है जिनका आरएच फैक्टर नल होता है। आइए आपको बताते हैं कि क्यों इसे इतना खास माना जाता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Rarest Blood Group: आरएच नल ब्लड ग्रुप की खास बात है कि इसे दूसरे किसी भी ग्रुप के साथ मैच किया जा सकता है। शायद आपने भी इसके बारे में पहली बार सुना हो, वजह है कि ये बहुत ही रेयर है और दुनियाभर में 50 से भी कम लोगों में पाया जाता है, जिनमें से करीब 10 लोग ही इसके एक्टिव डानर हैं। बता दें, यह खून सिर्फ उन लोगों के शरीर में मिलता है जिनका आरएच फैक्टर नल (Rh-null) होता है। रिपोर्टस् बताती हैं कि आमतौर पर यह ब्लड बैंक में मिलता नहीं है और अगर मिल भी जाए तो इसकी कीमत सोने से भी ऊपर देखने को मिलेगी। आइए आपको इस आर्टिकल में बताते हैं इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
इसे क्यों कहते हैं गोल्डन ब्लड?
इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप की खोज साल 1960 में हुई थी। इसकी खासियत ही इसे गोल्डन ब्लड बनाती है। बता दें, यह किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है और अमेरिका, कोलंबिया, जापान और ब्राजील में ही इसे ब्लड ग्रुप से जुड़े गिनती के लोग मौजूद हैं। यही वजह है कि यह दुनिया का सबसे महंगा ब्लड ग्रुप है, लेकिन अगर इस ग्रुप के शख्स को कभी खून की जरूरत पड़ती है, तो बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है।यह भी पढ़ें- शरीर के विभिन्न हिस्सों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं RBC और WBC, विस्तार से जानें क्या है इनके बीच अंतर
क्या है आरएच फैक्टर?
दरअसल, आरएच फैक्टर लाल रेड ब्लड सेल्स की सतह पर पाया जाने वाला एक खास प्रकार का प्रोटीन है, जो अगर RBC में मौजूद होता है तो ब्लड आरएच पॉजिटिव होगा, लेकिन अगर यह प्रोटीन मौजूद नहीं है तो ब्लड आरएच नेगेटिव होगा। ऐसे में, गोल्डन ब्लड वाले लोगों में आरएच फैक्टर ना ही पॉजिटिव होता है और ना ही निगेटिव, यह हमेशा नल होता है। बता दें, इस ब्लड ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसपोर्ट करना भी संभव नहीं होता है, यही वजह है इसके एक्टिव डोनर्स से मिलने वाले ब्लड को स्टोर करके रखा जाता है।क्या परेशानी बन सकता यह ब्लड ग्रुप?
ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पर किसी शख्स का ब्लड ग्रुप पता होना भी जरूरी होता है। गौरतलब है, कि निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले इंसान को आरएच पॉजिटिव खून ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में शरीर में एंटीजन की उपस्थिति की वजह से पाए जाने वाले एंटीबॉडी चढ़ाए जा रहे खून को पार्टिकल मान लेते हैं और और हालात जानलेवा भी हो सकते हैं। ऐसे में, आरएच नल ब्लड ग्रुप को सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो इस ग्रुप के हैं। यूएस रेयर डिजीज इन्फॉर्मेशन सेंटर की मानें, तो इस ब्लड ग्रुप में एंटीजन नहीं पाया जाता है इसलिए ऐसे लोगों को एनीमिया की शिकायत हो सकती है। ऐसे में, डॉक्टर डाइट का खास ख्याल रखने और आयरन वाली चीजें ज्यादा से ज्यादा लेने की सलाह देते हैं।
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