कब-कैसे और किसे होता Heat Stroke? एक्सपर्ट से जानें इसके कारण और बचाव के तरीके
गर्मी का सितम दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। बढ़ते पारे के साथ ही गर्मियों में होने वाली बीमारियों का कहर भी बढ़ने लगता है। Heat wave की वजह से लोग अकसर Heat Stroke हो जाते हैं। यह एक गंभीर समस्या है जो घातक भी हो सकती है। जानते हैं इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बढ़ते पारे के साथ ही गर्मी अपने तीखे तेवर दिखाने लगी है और इसकी वजह से लोगों का जीना मुहाल होता जा रहा है। खुद मौसम विभाग की तरफ से आने वाले दिनों में प्रचंड गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही अब लू (Heat wave) चलने की वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। जैसे-जैसे तापमान तेजी से बढ़ रहा है, गर्मी से होने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ता रहा है। ऐसे में इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि सभी आवश्यक उपाय किए जाएं और आप खुद को बढ़ते हुए तापमान से सुरक्षित रखा जाए।
हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) गर्मी में होने वाली सबसे प्रमुख और खतरनाक बीमारी है, जिसकी वजह से कई बार पीड़ित की मौत तक हो जाती है। ऐसे में गर्मी में होने वाली इस गंभीर समस्या के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने गुड़गांव स्थित एफएमआरआई में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डायरेक्टर एवं यूनिट हैड डॉ सतीश कौल से बातचीत की।यह भी पढ़ें- किचन की इन 2 चीजों में छिपा है माइग्रेन का इलाज, ऐसे पाएं इस भयंकर दर्द से आराम
क्या है हीट स्ट्रोक?
डॉक्टर कौल बताते हैं कि हीट स्ट्रोक काफी खतरनाक बीमारी है, जो बहुत ज्यादा गर्मी वाली कंडीशन और अत्यधिक विषम स्थितियों में होती है, इसकी वजह से मृत्यु तक हो सकती है। हीट स्ट्रोक उस स्थिति में होता है, जब शरीर का तापमान 105°F (40.6°C) तक बढ़ जाता है और हमारा शरीर तापमान को रेगुलेट करने की अपनी क्षमता खो देता है। ध्यान दें कि हमारे शरीर का नॉर्मल तापमान 98.4°F (37°C) होता है। बेहद गर्मी में एक्सपोजर होने पर हीट स्ट्रोक हो सकता है और ऐसे में शरीर का तापमान बढ़ता है लेकिन उस तरह से नहीं जैसा कि बुखार होने पर होता है।
कब होता है हीट स्ट्रोक?
हीट स्ट्रोक अक्सर तब होता है, जब गर्मी के अन्य रोग जैसे कि क्रैम्प्स और हीट एग्जॉस्शन बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच जाते हैं, लेकिन कई बार यह बिना किसी बीमारी या लक्षण के भी हो सकता है। हीट स्ट्रोक के अत्यंत दुर्लभ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है या इसकी वजह से ब्रेन को भी नुकसान पहुंच सकता है।अक्सर ज्यादा देर तक गर्मी/हीट में रहने से हीट स्ट्रोक हो सकता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी हो जाती है और हीट कंट्रोल करने की शरीर की क्षमता खत्म हो जाती है जो कि सैंट्रल नर्वस सिस्टम में होने वाली जटिलताओं की वजह से होता है। इसलिए, लोगों को गर्मियों के दौरान ज्यादा सावधानी बरतने और अपने आपको सुरक्षित और हाइड्रेटेड रखने की सलाह दी जाती है।
इन लोगों को ज्यादा खतरा
डॉक्टर्स का मानना है कि “हृदय रोगियों और हाइपरटेंशन या डायबिटीज के मरीजों को गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। किडनी डिजीज से ग्रस्त लोगों को भी खतरा होता है।” ऐसे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि जैसे ही किसी को शरीर का तापमान बढ़ने, मितली आने, दौरे, तेज सिरदर्द या बेहोशी की शिकायत महसूस हो तो उस व्यक्ति के शरीर का तापमान कम करने के लिए तत्काल कोशिश करनी चाहिए। साथ ही, हीट क्रैम्प्स और हीट एग्जॉस्शन को भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये कंडीशन ही हीट स्ट्रोक में बदल सकती हैं। अगर किसी को हीट स्ट्रोक हो तो तुरंत मरीज को आइस बाथ या ठंडे पानी में नहलाएं या कमरे में तेज कूलिंग कर लेटाएं।तेजी से बढ़ रहे हैं हीट एग्जॉस्शन के मामले
वहीं, नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अजय अग्रवाल का कहना है कि लगातार बढ़ रहे तापमान और गर्मी के मौसम के मद्देनजर, हीट एग्जॉस्शन (गर्मी से होने वाली थकावट) के शिकार हुए मरीजों की संख्या 20-30 % तक बढ़ चुकी है।हमारे पास आने वाले मरीज मांसपेशियों में क्रैम्प्स पड़ने, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी और दस्त आदि की शिकायतें कर रहे हैं और ऐसे मरीज इन दिनों ओपीडी में लगातार पहुंच रहे हैं और ये सभी लक्षण हीट एग्जॉस्शन के हैं।हीट एग्जॉस्शन के कारण
हीट एग्जॉस्शन के कई सारे कारण हो सकते हैं, जिसमें खराब फिजिकल फिटनेस, मोटापा, डिहाइड्रेशन, अत्यधिक गंभीर बीमारी, एक्टीमटाइजेशन का अभाव और अधिक तापमान में थकान वाली एक्सरसाइज करना आदि शामिल हैं।हीट एग्जॉस्शन के लक्षण
- गर्मी की वजह से थकावट (हीट एग्जॉस्शन) महसूस करने वाले मरीजों में घबराहट, अत्यधिक कमजोरी, बेहोशी, सिरदर्द, पेट में मरोड़, मितली, उलटी, दस्त, लगातार मांसपेशियों में क्रैम्प्स पड़ने की शिकायतें देखी जाती हैं।
- गर्मियों की इन बीमारियों से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
- जाना पर्याप्त मात्रा में पानी (करीब 2 से 3 लीटर प्रतिदिन) पीते रहें।
- बाहर जाएं तो अपने सिर को टोपी या स्कार्फ से ढककर रखें
- हल्के-फुल्के और ढीले सूती कपड़े पहनें। ढीले कपड़ों को पहनने से शरीर जल्दी ठंडा होता है। इसलिए, गर्मी के मौसम में ढीले-ढाले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
- बाहर से घर वापस आने पर पहले खुद को नॉर्मल तापमान पर लाएं, ऐसा करने के लिए पंखा चलाकर बैठें और फिर 20 से 30 मिनट के बाद स्नान करें ताकि आपका शरीर पूरी तरह से ठंडा हो सके।
- गर्मी के दिनों में बच्चों तथा बूढ़ों को घरों से बाहर न निकलने दें, क्योंकि सूरज की तेज किरणों की वजह से वे डिहाइड्रेशन का शिकार बन सकते हैं और उन्हें हीट स्ट्रोक हो सकता है।
- पीक हीट आवर्स यानी दिन के समय तेज गर्मी के घंटों में घर के अंदर ही रहें। सवेरे या शाम के समय ही बाहर निकलें। दोपहर में बाहर जाने से बचें, क्योंकि यह दिन का सबसे गर्म समय होता है।
- खुले में खड़ी कार काफी अधिक गर्म हो जाती है। ऐसे में पार्किंग में खड़ी कारों में बच्चों और पेट्स को छोड़ना सुरक्षित नहीं होता।