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Kangaroo Care: जानें, क्या है 'कंगारू केयर' और कैसे मां और नवजात शिशु के लिए है फायदेमंद

Kangaroo Care आजकल कंगारू केयर की सेवा लगभग सभी छोटे-बड़े शहरों में उपलब्ध है। यह एक प्राकृतिक उपचार है। इसमें मादा कंगारू की तरह अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखना होता है। कंगारू केयर पद्धति में मां अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 24 Jan 2023 08:57 PM (IST)
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Kangaroo Care: जानें, क्या है 'कंगारू केयर' और कैसे मां और नवजात शिशु के लिए है फायदेमंद

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Kangaroo Care: किसी दंपत्ति के लिए वह पल बेहद खास होता है। जब उनके घर किलकारी गूंजती है। इस क्षण के लिए माता-पिता लंबे समय से इंतजार करते हैं। वहीं, मां के लिए तो यह क्षण बहुत महत्वपूर्ण होता है। मां, अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में पालती है। इस दौरान मां अपना और अपने बच्चे का खूब ख्याल रखती है। इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास सही से होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्भावस्था की तरह बच्चे का जन्म के बाद भी ख्याल रखना चाहिए। अगर किसी प्रकार की लापरवाही बरतते हैं, तो शिशु को कई प्रकार बीमारी हो सकती है।

खासकर, प्रीमेच्योर डिलीवरी से शिशु को सेहत संबंधी कई समस्या होती है। ऐसे बच्चे न तो सही से दूध का सेवन कर पाते हैं और न ही सेहतमंद रह पाते हैं। वहीं, प्रीमेच्योर डिलीवरी के चलते मां के स्तनों में दूध नहीं बनता है। नवजात शिशु के लिए मां का दूध बेहद महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर भी नवजात शिशु को मां का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाने की सलाह देते हैं। प्रीमेच्योर डिलीवरी समेत नवजात शिशु को होने वाली अन्य परेशानियों को दूर करने के लिए 'कंगारू केयर' की हेल्प ली जाती है। आइए जानते हैं कि 'कंगारू केयर' क्या है और कैसे मां और नवजात शिशु के लिए फायदेमंद है-

'कंगारू केयर' क्या है ?

आजकल 'कंगारू केयर' की सेवा लगभग सभी छोटे-बड़े शहरों में उपलब्ध है। यह एक प्राकृतिक उपचार है। इसमें मादा कंगारू की तरह अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखना होता है। आसान शब्दों में कहें तो 'कंगारू केयर' पद्धति में मां अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है। इस दौरान मां अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखती है। चिकित्सा पद्धति में इसे स्किन टु स्किन कांटेक्ट कहा जाता है। इससे बच्चे की रक्षा होती है। डॉक्टर की मानें तो नार्मल डिलीवरी की तुलना में प्रीमेच्योर डिलीवरी के बच्चे  कमजोर होते हैं। उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। साथ ही वजन कम होता है। इस तकनीक के माध्यम से बच्चे का इलाज किया जाता है। हालांकि, चिकित्सक के देखरेख में ही 'कंगारू केयर' को अपनाएं।

'कंगारू केयर' के फायदे

'कंगारू केयर' पद्धति के तहत मां लंबे समय तक बच्चे को स्तनपान करा सकती है। वहीं, बच्चा स्तनपान करना भी सीख लेता है। जब कभी बच्चे को भूख लगती है। वह स्तनपान कर लेता है। इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक सेहत का पूर्ण विकास होता है। साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बच्चा सुरक्षित रहता है। वहीं, मां को आत्म तृप्ति यानी मानसिक सुख मिलता है।  

Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।