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Menopause: महिलाओं के लिए परेशानी की वजह बन सकता है मेनोपॉज, जानें इसके प्रभाव और बचने के तरीके

Menopause मेनोपॉज एक महिला के जीवन का सबसे अहम पड़ाव है। यह आमतौर पर 40 से 50 की उम्र में होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं जिसका असर उनके शरीर पर नजर आने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि इसके लक्षणों की सही जानकारी हो ताकि इससे आसानी से निपटा जा सके।

By Jagran NewsEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sun, 29 Oct 2023 07:26 AM (IST)
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जानें क्या है मेनोपॉज और इसके प्रभाव

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Menopause: एक महिला को अपने जीवन में कई सारे पड़ावों से गुजरना पड़ता है। पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज उम्र के हर मोड़ पर उन्हें कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है। मेनोपॉज को रजोनिवृति भी कहते हैं। जब एक महिला को 12 महीने तक पीरियड्स न आएं और इसके बाद मासिक धर्म हमेशा के लिए बंद हो जाए तो इसे मेनोपॉज कहते हैं। यह आमतौर पर 40 से 50 की उम्र में होता है। इस दौरान शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसका प्रभाव शरीर पर दिखने लगता है। तो आइए यहां इन्हीं प्रभावों और मेनोपॉज के अन्य लक्षणों के बारे में जानते हैं।

मेनोपॉज क्यों होता है?

मेनोपॉज उम्र बढ़ने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जब एक महिला के ओवरी में अंडे बनना बंद हो जाते हैं, एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम बनते हैं, महिला के प्रजनन की क्षमता समाप्त हो जाती है और पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं, तो इन सबके कारण मेनोपॉज होता है।

पेरी मेनोपॉज पीरियड क्या है?

मेनोपॉज के पहले एक बदलाव का समय आता है, जिसमें पीरियड कभी आते हैं और कभी नहीं आते हैं और इस तरह धीरे-धीरे यह आना बंद हो जाते है। इस समय के अंतराल को ही पेरी मेनोपॉज बोला जाता है।

यह दो स्टेज में होता है-

  • शुरुआती स्टेज- कुछ महिलाओं में ये 30 के बाद ही दिखने लगता है, हालांकि इसका सही समय है 40 से 45 साल। इस दौरान पीरियड्स के दिन और खून के बहाव में अंतर होता है।
  • लेट स्टेज- ये 40 या 50 की उम्र में होता है। यह तब तक चलता है जबतक पीरियड्स आना पूरी तरीके से बंद न हो जाए।

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मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं है। फिर भी इसके प्रभाव और लक्षण ऐसे होते हैं कि कई महिलाओं को डॉक्टर से परामर्श करना ही पड़ जाता है।

मेनोपॉज के लक्षण इस प्रकार हैं-

  • हॉट फ्लैश और पसीने- कुछ महिलाओं को सनसनाहट के साथ अंदर से गर्म फ्लैश जैसा महसूस होता है, जिससे पसीना और कंपकपी होती है। यह 5 से 10 मिनट तक हो सकता है और अधिकतर रात में होता है।
  • वजाइनल ड्राइनेस- वजाइना की टिश्यू पतली और रूखी होने लगती है, जिससे खुजली और उलझन महसूस होती है।
  • अधिक ब्लीडिंग- यूटरीन लाइनिंग सामान्य से अधिक मोटी हो सकती है, जिससे सामान्य से अधिक ब्लीडिंग होती है।
  • यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण
  • स्तनों में दर्द और सिरदर्द
  • अधिक वजन बढ़ना
  • थकान
  • सूजन
  • तनाव
  • मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द
  • मूड में बदलाव (मूड स्विंग)
  • सोने में तकलीफ
  • डिप्रेशन
  • बाल झड़ना

मेनोपॉज से कैसे निपटें-

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
  • पौष्टिक आहार लें
  • योग और ध्यान करें
  • लक्षण के हिसाब से डॉक्टर के परामर्श पर दवा लें
  • खूब पानी पिएं और पर्याप्त मात्रा में विटामिन-सी लें।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik