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इन लक्षणों से पहचानें कहीं आप भी तो नहीं ओसीडी का शिकार?

ओसीडी एक ऐसी मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति के मन में बार-बार ऐसे विचार आते रहते हैं जिस पर उसका कंट्रोल ही नहीं होता। इससे मरीज तो परेशान रहता है ही साथ ही उसके आसपास और घर- परिवार वाले भी परेशान हो सकते है। इस बीमारी के सबसे आम लक्षणों में है व्यक्ति का बार- बार किसी काम को दोहराना।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Fri, 22 Dec 2023 07:45 AM (IST)
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क्या है ओसीडी, इसके कारण, लक्षण व उपचार

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ओसीडी एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को बार-बार ऐसी चिंताएं सताती रहती हैं जिस पर उसका कोई वश नहीं होता। जिस वजह से वो स्थिर नहीं रह पाता है। एक ही चीज़ को बार- बार दोहराना इस बीमारी का सबसे आम लक्षण है जैसे- हाथों को धोना, बार-बार चीज़ों को चेक करना कि वो सही से हैं या नहीं। मरीज की ये आदत कई बार आसपास के लोगों को परेशान कर सकती है। आइए जानते हैं इन बीमारी से जुड़ी कुछ जरूरी बातें। 

ओसीडी के कारण

सेरोटोनिन एक पावरफुल न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो हमारे शरीर के कई फंक्शन्स के लिए जरूरी होता है। रिसर्च से पता चला है कि इसी के असंतुलन की वजह से ओसीडी की प्रॉब्लम डेवलप होती है। यह आनुवांशिक भी हो सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि मस्तिष्क की बनावट, जीन्स और तनाव ओसीडी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। 

ओसीडी के लक्षण

– हर थोड़ी देर में हाथ धोना, खुद को और घर को गंदा फील करना। ओसीडी का सबसे कॉमन लक्षण यही है। मरीज बार-बार हाथ धोता रहता है। 

– हर वक्त डर लगे रहना कि उसकी वजह से किसी को कुछ बुरा न लग जाए या किसी का नुकसान न हो जाए। 

– गैस बंद है या नहीं, पंखा या लाइट तो नहीं चल रहा जैसी हर एक चीज़ को बार-बार चेक करना। 

– घर का कोई सामान जरा सा भी इधर-उधर हो, तो उसे सही जगह पर रखना। 

- डिसीजन लेने में कठिनाई।

अगर आपके घर या आसपास किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो काफी हद तक संभावना है कि वो व्यक्ति ओसीडी का शिकार है। ओसीडी किसी भी उम्र में हो सकती है। 

ओसीडी का इलाज

- ओसीडी के मरीजों को साइको थेरैपी के साथ दवाएं भी दी जाती है और सबसे जरूरी उनकी काउंसलिंग की जाती है, लेकिन बिना डाक्टर की सलाह के किसी भी दवा को खुद से न बंद करें। 

- इस समस्या को दूर करने के लिए दिमाग को काम की चीज़ों में इंगेज करना जरूरी है। इसके लिए किताब पढ़ें, एक्सरसाइज करें, घूमने जाएं। ये एक तरह की थेरेपी ही हैं, जो बेहद असरदार होती है।

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Pic credit- freepik