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बचपन में हाई बीपी बिगाड़ सकता है आपके बच्चों का भविष्य, जानें Paediatric Hypertension के लक्षण और कारण

हाई बीपी एक चिंताजनक स्थिति है जो इन दिनों दुनियाभर में कई लोगों को अपना शिकार बना रही है। सिर्फ बड़े और बूढ़े ही नहीं आजकल बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। बच्चों में हाई बीपी की समस्या को Paediatric Hypertension कहा जाता है। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है अगर समय रहते इसकी पहचान न की जाए तो यह हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 19 Jun 2024 07:12 AM (IST)
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क्या है पीडियाट्रिक हाइपरटेंशन (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आमतौर पर बड़े-बूढ़ों को होती है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली में हाइपरटेंशन बच्चों में भी सामान्य होते जा रहा है, जिससे भविष्य में उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे उम्र, वजन, शारीरिक गतिविधि, खानपान, पारिवारिक इतिहास आदि। इसलिए ब्लड प्रेशर की जांच नियमित रूप से कराते रहना चाहिए, लेकिन बच्चे इसे वंचित रह जाते हैं, क्योंकि जानकारी के अभाव में बच्चों में हाइपरटेंशन की समस्या को अभी उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता है।

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बच्चों में होने वाली हाइपरटेंशन को पीडियाट्रिक हाइपरटेंशन (Paediatric Hypertension) कहते हैं। 12 साल से 19 साल तक के बच्चों में ये सामान्य तौर पर पाया जाता है। बच्चे की उम्र, जाति, रंग, जीन्स, रूप, शारीरिक बनावट के आधार पर बच्चों में होने वाला हाई ब्लड प्रेशर निर्भर करता है। बच्चों की जीवनशैली, डाइट, पारिवारिक और सामाजिक माहौल पर भी ये निर्भर कर सकता है। वहीं, ओबेसिटी यानी मोटापे का शिकार बच्चों में भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम होती है। बच्चों में 130/80mm hg के ऊपर ब्लड प्रेशर की मात्रा हाई बीपी की श्रेणी में आती है। पीडियाट्रिक हाइपरटेंशन भी दो प्रकार की होते हैं–

  • प्राइमरी- इसमें मुख्य रूप से मोटापे, पारिवारिक इतिहास, जीन्स, गर्भावस्था में स्मोकिंग करने पर पैदा होने वाले बच्चों का ब्लड प्रेशर हाई होता है।
  • सेकेंडरी- इसमें किसी प्रकार की बीमारी जैसे नींद संबंधी समस्या, कुशिंग सिंड्रोम, किडनी या हाइपरथाइरॉयडिज्म या फिर दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण बच्चे का ब्लड प्रेशर हाई रहता है।

इन संकेतों से पहचानें बच्चों में हाई बीपी-

  • दिल जोरों से धड़कना
  • सीने में तनाव महसूस होना
  • सिरदर्द
  • मितली और उल्टी
  • चक्कर आना
  • नज़र धुंधली होना

ऐसे करें बचाव पीडियाट्रिक हाइपरटेंशन से-

  • बच्चे के स्वस्थ खानपान और जीवनशैली का ध्यान रखें
  • खाने में सोडियम की मात्रा सीमित रखें। मार्केट के चिप्स, फास्ट फूड, तले भुने स्ट्रीट फूड न दें।
  • बच्चे को एक्सरसाइज, योग और ध्यान के लिए प्रेरित करें।
  • वजन कर नजर रखें। उम्र के अनुसार वजन मैनेज करें।
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