क्या है Pinworm Parasite, जो कर सकते हैं बच्चों को परेशान, इन लक्षणों से करें पहचान और ऐसे करें बचाव
वायरस और बैक्टीरिया के अलावा कुछ ऐसे कीड़े भी हैं जो हमें बीमार बना सकते हैं। पिनवॉर्म (Pinworm Parasite) इन्हीं में से एक है जो छोटे-छोटे पैरासाइट होते हैं और आंतों में इन्फेक्शन की वजह बनते हैं। यह पैरासाइट बेहद खतरनाक हो सकता है और एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से फैल सकता है। जानते हैं इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पिनवॉर्म (Pinworm Parasite) छोटे-छोटे पैरासाइट होते हैं, जो आंतों में इन्फेक्शन पैदा करते हैं। ये बच्चों में आमतौर से पाया जाता है, लेकिन वयस्कों को भी ये इन्फेक्शन हो सकता है। ये तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, इसलिए इन्फेक्शन का पता चलने के बाद सही रख रखाव और साफ सफाई बहुत जरूरी है।
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कैसे फैलता है पिनवॉर्म इन्फेक्शन?
पिनवॉर्म पैरासाइट के अंडे मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं और फिर किसी इन्फेक्टेड व्यक्ति का जूठा खाने से भी हो सकता है या फिर इन्फेक्टेड बेड, कपड़े, दीवार, रेलिंग जैसी कोई सतह छूने से भी हो सकता है।पिनवॉर्म इन्फेक्शन के लक्षण
पिनवॉर्म इन्फेक्शन एक बहुत ही असहज और असुविधाजनक स्थिति उत्पन्न कर देता है। इसका पता एनस के पास तेज खुजली महसूस होने से चलता है। ये खुजली इसलिए होती है, क्योंकि फीमेल पिनवॉर्म एनस के आसपास अंडे देती है, जिसके कारण खुजली होने लगती है। ये अंडे अक्सर रात में ही देती है, जिसके कारण सोते समय खुजली और उलझन महसूस होती है। इसके अन्य भी कई लक्षण हैं जैसे-
- पेट दर्द
- स्किन रैश
- दांत पीसना
- चिड़चिड़ापन
- भूख कम लगना
- सोने में तकलीफ
- उल्टी और मितली
- स्टूल में वयस्क कीड़े दिखना
- वेजाइना के आसपास जलन
- रात में बेचैन हो कर उठ कर चलना
- वेजाइना के पास रेंगने जैसा एहसास होना
- स्क्रैच करते रहना जिससे स्किन लाल पड़ जाती है
- एनस से निकलते हुए या उसके आसपास चिपके हुए सफेद धागे जैसे कीड़े
कैसे करें पिनवॉर्म इन्फेक्शन से बचाव?
- बेड पर जाने से पहले जहां खुजली हो रही हो वहां नारियल तेल लगाएं।
- पर्याप्त मात्रा में फाइबर युक्त आहार लें, जिससे बावल मूवमेंट अच्छा बना रहे।
- डॉक्टर के निर्देश पर अल्पेंडाजोल जैसी कीड़े मारने वाली दवा खाएं।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें। चादर, कपड़े, हाथ डिटॉल से धोते रहें।
- समय से पिनवॉर्म इन्फेक्शन का इलाज नहीं किया गया तो ये यूटीआई, सेकेंडरी इंफेक्शन, अपेंडिसाईटिस जैसी अन्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।