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Postpartum Depression के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, ये टिप्स होंगे इस समस्या से निपटने में मददगार

मां बनना हर महिला के लिए एक सुखद अहसास है। प्रेग्नेंसी से लेकर बच्चे के जन्म तक एक महिला को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। Postpartum Depression इ्हीं समस्याओं में से एक है जो आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में देखने को मिलता है। जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के तरीके।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 18 May 2024 08:03 AM (IST)
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इन लक्षणों से करें पोस्टपार्टम डिप्रेशन की पहचान
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मां बनना हर महिला के लिए एक सुखद अहसास है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें कई सारी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी से लेकर बच्चे जन्म तक उन्हें कई बदलावों से गुजरना पड़ता है। पोस्टपार्टम (Postpartum Depression) यानी बच्चे की डिलीवरी के बाद भई महिलाएं एक सुखद अनुभव करती हैं, लेकिन इसके साथ बहुत ही कठिन दौर से भी गुजरती हैं।

इस दौरान कई महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। बच्चे के आने की खुशी के ऊपर महिलाओं को छोटी-छोटी बातें दुखी करने लगती हैं। अनावश्यक ट्रिगर जीवन को कठिन बना देते हैं। मॉम गिल्ट और तनाव जीवन का एक हिस्सा बन जाता है। ऐसे मेंजानते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण कैसे दिख सकते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।

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पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण

  • हर समय लो एनर्जी महसूस करना
  • रोने का दिल करना
  • दिनभर बने रहने वाला सिरदर्द और बदन दर्द
  • छोटी बात पर भी चिड़चिड़ापन और गुस्सा
  • बच्चे को देख कर खुशी महसूस न कर पाना और कनेक्ट न कर पाना
  • किसी भी काम में मन न लगना
  • भूख न लगना या अत्यधिक भूख लगना
  • अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में सोच कर दुखी होते रहना और अपनी आजादी को मिस करना
  • अकेला महसूस करना
  • किसी की अनावश्यक या काम की भी सलाह सुन कर चिढ़न महसूस करना
  • जिस चीज़ों को एंजॉय करती थी उसमें भी दिलचस्पी खो देना
  • खुद को या बच्चे को नुकसान पहुंचाने का ख्याल आना
  • मॉम गिल्ट और शेम में जीना

पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे निपटें

  • खाली जगह खोजें और अकेले में समय बिताएं जहां आपको कोई जज न करे, अनावश्यक दबाव या ज्ञान न दे।
  • गहरी लंबी सांस लें। नाक से सांस खींच कर मुंह से छोड़ें।
  • अपने विचारों पर विचार कर के इस बात को भी सोचें कि ये विचार आपकी पर्सनेलिटी नहीं बताते हैं और न ही आपको बैड मॉम का टैग देते हैं। ये आपके निजी विचार हैं, जो आपके मन में चल रहे हैं। अफर्मेशन बोलें कि आप स्वस्थ हैं और ऐसे विचार क्षणिक हैं। ये आपके जीवन को परिभाषित नहीं करते हैं।
  • अपने विचारों को चैलेंज करें। खुद से पूछें कि क्या ये विचार सच हैं या मात्र अतिशयोक्ति या बेसिर पैर के हैं।
  • सही गलत का निर्णय न कर पाने पर किसी से अपनी फीलिंग्स शेयर करें। ये बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे दिल हल्का महसूस होता है। जी भर के रो लें और अपनी भावनाएं अपने किसी करीबी या पार्टनर के सामने खुल कर रखें।
  • चौबीस घंटे में अपने शरीर को कुछ देर के लिए समय जरूर दें। फिर वह चाहे वार्म बाथ हो, छोटी सी वॉक हो, आपकी फेवरेट बुक हो, अपना कपबोर्ड ऑर्गेनाइज कर के रखना हो या फिर मेकअप करना हो। खुद के साथ समय व्यतीत करना बहुत जरूरी है। ऐसा संभव न हो पाए तो जब भी मौका मिले तो भरपूर नींद लें।
  • ये याद रखें हर पोस्टपार्टम डिप्रेशन सौ फीसदी तक ठीक किया जा सकता है। इसके पॉजिटिव साइड के बारे में सोचें और योग, ध्यान से अपने दिमाग को सकारात्मक ऊर्जा की तरफ मोड़ें। समाधान न मिलने पर काउंसलर से संपर्क करें।
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