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सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia)

World Schizophrenia Day लगातार बिगड़ती लाइफस्टाइल की वजह से लोग कई समस्याओं का शिकार होते जा हैं। इन दिनों कई लोग विभिन्न मानसिक विकारों से परेशान हैं। सिजोफ्रेनिया ऐसी ही एक गंभीर मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति के लिए गंभीर हालात उत्पन्न कर सकती है।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Wed, 24 May 2023 11:00 AM (IST)
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जानें क्या है सिजोफ्रेनिया और इसके लक्षण
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को ऐसा लग सकता है कि उनका वास्तविकता से संपर्क टूट गया है। सिजोफ्रेनिया के लक्षण, सामान्य और रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को पहचानना और जल्द से जल्द इसका इलाज करना है। जरूरी है। आमतौर पर लोगों में 16 से 30 वर्ष की उम्र के बीच सिजोफ्रेनिया की पहचान होती है। सिजोफ्रेनिया के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन वे आम तौर पर तीन मुख्य श्रेणियों में आते हैं: मानसिक, नकारात्मक और संज्ञानात्मक।

मानसिक लक्षणों

मानसिक लक्षणों में एक व्यक्ति के सोचने, कार्य करने और दुनिया को अनुभव करने के तरीके में बदलाव होने लगता है। मानसिक लक्षणों वाले लोग वास्तविकता से दूर अपनी कल्पना में जीने लगते हैं। मानसिक लक्षणों में शामिल हैं-

  • हैलुसिनेशन (मतिभ्रम)- यह वह लक्षण है, जब कोई व्यक्ति ऐसी चीजों को देखता, सुनता, सूंघता, चखता या महसूस करता है जो वास्तव में होती ही नहीं हैं। सिज़ोफ्रेनिया वाले लोगों के लिए आवाज सुनना आम है।
  • डिल्यूजन (भ्रम)- यह तब होता है जब पीड़ित व्यक्ति को कई सारी अजीब चीजें महसूस होती है, जो वास्तव में पूरी तरह से झूठी होती है। उदाहरण के लिए, भ्रम का अनुभव करने वाले व्यक्ति यह मान सकते हैं कि वे खतरे में हैं या अन्य उन्हें चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
  • विचार विकार- जब किसी व्यक्ति के सोचने के तरीके असामान्य या अतार्किक होते हैं। विचार विकार वाले लोगों को अपने विचारों और बातों को रखने में परेशानी हो सकती है।
  • मूवमेंट डिसऑर्डर- जब कोई व्यक्ति शरीर की असामान्य गतिविधियों को प्रदर्शित करता है, तो वह मूवमेंट डिसऑर्डर का शिकार होता है। मूवमेंट डिसऑर्डर वाले लोग अक्सर अपने कई एक्शन बार-बार दोहरा सकते हैं।

नकारात्मक लक्षण

यह सामान्य रूप से कार्य करने की क्षमता में कमी दर्शाता है। उदाहरण के लिए, व्यक्ति पर्सनल हाइजीन को अनदेखा करता है। साथ ही उसमें भावना की कमी भी दिखाई दे सकती है। इसके अलावा व्यक्ति दैनिक गतिविधियों में रुचि खो सकता है, सामाजिक रूप से कटने लगता है या आनंद का अनुभव करने की क्षमता में कमी कर सकता है।

टीनएजर्स में सिजोफ्रेनिया के लक्षण

टीनएजर्स में सिजोफ्रेनिया के लक्षण वयस्कों के समान होते हैं, लेकिन स्थिति को पहचानना अधिक कठिन हो सकता है। टीनएजर्स में सिजोफ्रेनिया के कुछ शुरुआती लक्षण निम्न हैंः

  • नींद न आना
  • प्रेरणा की कमी
  • स्कूल में प्रदर्शन में गिरावट
  • चिड़चिड़ापन या उदास मन
  • दोस्तों और परिवार से दूर होना

सिजोफ्रेनिया के कारण

कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि सिजोफ्रेनिया की बीमारी पर्यावरणीय कारक और कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थिति के अलावा आनुवंशिकता की वजह से भी हो सकती है। सिजोफ्रेनिया के अन्य कारणों में निम्न प्रमुख हैं-

  • करियर
  • बदलती लाइफस्टाइल
  • टूटते संयुक्त परिवार
  • पैसा कमाने की होड़
  • घरेलू जिम्मेदारियां

क्या है सिजोफ्रेनिया के रिस्क फैक्टर

  • जेनेटिक्स: सिजोफ्रेनिया कभी-कभी हमारे परिवार से जुड़ा हो सकता है, यानी कि पहले से आपके परिवार में कोई इसका मरीज हो, जिसके कारण आप इससे प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, सिर्फ इसलिए कि परिवार के किसी एक सदस्य को सिजोफ्रेनिया है, इसका मतलब यह नहीं है कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी यह होगा। स्टडी से पता चलता है कि भले ही कई अलग-अलग जीन एक व्यक्ति के सिजोफ्रेनिया के विकास की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं, लेकिन कोई भी जीन अपने आप विकार का कारण नहीं बनता है।
  • पर्यावरण: रिसर्च से पता चलता है कि अनुवांशिक(जेनेटिक्स) कारकों और किसी व्यक्ति के पर्यावरण और जीवन के अनुभवों के पहलुओं का संयोजन सिजोफ्रेनिया के विकास में भूमिका निभा सकता है। इन पर्यावरणीय कारकों में गरीबी, तनावपूर्ण या खतरनाक परिवेश में रहना, और जन्म से पहले वायरस या पोषण संबंधी समस्याओं के संपर्क में आना शामिल हो सकता है।
  • मस्तिष्क की संरचना और कार्य: सिजोफ्रेनिया वाले लोगों में मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों के आकार में और मस्तिष्क क्षेत्रों के बीच संबंधों में अंतर होने की संभावना अधिक हो सकती है। इनमें से कुछ दिमागी अंतर जन्म से पहले विकसित हो सकते हैं। शोधकर्ता यह समझने के लिए काम कर रहे हैं कि मस्तिष्क की संरचना और कार्य सिजोफ्रेनिया से कैसे संबंधित हैं।

सिजोफ्रेनिया का इलाज

सिजोफ्रेनिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसका इलाज पूरी तरह से नहीं किया जा सकता है। लेकिन लगातार दवाइयों और काउंसलिंग आदि की मदद से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा योग, मेडिटेशन और परिवार का सहयोग भी इस बीमारी के इलाज में काफी फायदेमंद है।

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