सावधान! अमेरिका में ‘Teflon flu' की वजह बन रहे नॉनस्टिक बर्तन, अगर आप भी करते हैं इस्तेमाल तो हो जाएं अलर्ट
अमेरिका में बीते साल कई लोग Teflon flu की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। यह एक ऐसी बीमारी है जो नॉनस्टिक पैन के ज्यादा गर्म होने के कारण निकलने वाले धुएं से होती है। इसे पॉलिमर फ्यूम फीवर भी कहा जाता है। इसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका (US Flu) में बीते साल टेफ्लॉन फ्लू (Teflon flu) के कई मामले सामने आए। 16 जुलाई को पब्लिश हुई वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां टेफ्लॉन फ्लू, जिसे पॉलिमर फ्यूम फीवर भी कहा जाता है, के कारण पिछले साल 250 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो बहुत ज्यादा गर्म नॉनस्टिक पैन (Non Stick Pan) से निकलने वाले धुएं के कारण होती है। इस बीमारी का नाम नॉनस्टिक कोटिंग, टेफ्लॉन के नाम पर रखा गया है, जिसका इस्तेमाल कई कुकवेयर चीजों पर किया जाता है।
अगर आप भी आमतौर पर नॉनस्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, तो आज इस आर्टिकल में आपको बताएंगे टेफ्लॉन फ्लू और इससे जुड़ी सभी जानकारी के बारे में-यह भी पढ़ें- काम को आसान बनाने के लिए कर रहे हैं Non-Stick Cookware का इस्तेमाल, तो ICMR ने बताएं इसके गंभीर नुकसान
क्या है टेफ्लॉन फ्लू?
पॉलिमर फ्यूम बुखार (polymer fume fever) यानी टेफ्लॉन फ्लू, एक ऐसी स्थिति है, जो बहुत ज्यादा गर्म पॉलीटेट्राफ्लुओरोएथिलीन (पीटीएफई), जिसे आमतौर पर टेफ्लॉन के नाम से जाना जाता है, से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण होता है। यह बीमारी आम तौर पर नॉनस्टिक कुकवेयर में पाए जाने वाले फ्लोरोकार्बन के थर्मल डिग्रेडेशन के कारण होती है। हालांकि, खराब वेंटिलेशन या साफ-सफाई की कमी के कारण भी इसका खतरा बढ़ सकता है। बर्तन को ओवरहीट करने के कारण टेफ्लॉन से निकलने वाले टॉक्सिक फ्यूम्स टेफ्लॉन फ्लू के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए इसे पॉलिमर फ्यूम फीवर भी कहते हैं।
टेफ्लॉन फ्लू के लक्षण (Teflon Flu symptoms)
आमतौर पर इसके लक्षण अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, क्योंकि ये सर्दी जुकाम के लक्षण से मेल खाते हैं। इसके मुख्य लक्षण में-- बुखार
- सिरदर्द
- कंपकंपी
- सूखी खांसी
- सीने में जकड़न
- सांस लेने में तकलीफ
- गले और मांसपेशियों में दर्द
ज्यादातर मरीज कुछ ही दिनों में इससे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसमें मौत और स्थायी विकलांगता अत्यंत दुर्लभ होती है।