क्या आप भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को मानते हैं एक, तो यहां समझें दोनों में अंतर
दिल से जुड़ी समस्याओं के मामले तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इन दिनों कम उम्र में ही लोग दिल से जुड़ी कई समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं। हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट इन्हीं में से एक है जिनके मामले आजकल तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि कई लोगों को इन दोनों में अंतर नहीं पता है। ऐसे आज जानेंगे क्या है दोनों में अंतर।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों दिल से जुड़ी समस्याएं तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। आए दिन सशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आती हैं, जिसमें लोगों की अचानक हार्ट अटैक या कार्डियक अटैक की वजह से जान चली जाती है। हार्ट संबंधित बीमारियों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट जैसी समस्याएं सभी सुनने में लगभग एक जैसी लगती हैं।
हालांकि, दिल से जुड़ी इन समस्याओं का हर एक टर्म का अपना अलग मतलब है, जिसकी सही जानकारी होना जरूरी है। सबसे अधिक दुविधा होती है, जब बात हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की आती है। कुछ लोग दोनों ही टर्म को एक दूसरे का पर्यायवाची मानते हैं। जबकि दोनों बिल्कुल अलग अलग दो बातें हैं, तो आइए जानते हैं कि क्या है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर-
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क्या है हार्ट अटैक?
- हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इंफार्कशन भी कहते हैं।
- ये ब्लड सर्कुलेशन में पैदा होने वाली समस्या है।
- जब हार्ट में ब्लड फ्लो ब्लॉक हो जाता है, तो ये हार्ट अटैक कहलाता है।
- हार्ट तक ब्लड पहुंचाने वाली आर्टरी ब्लॉक हो जाती है, जिससे ऑक्सीजन रिच ब्लड हार्ट तक नहीं पहुंच पाता है।
- अगर इस ब्लॉक को जल्द से जल्द खत्म नहीं किया गया तो हार्ट का वो हिस्सा निष्क्रिय होने लगता है, जिस हिस्से को वो आर्टरी ब्लड पहुंचाने का काम करती है।
- इसके लक्षण हैं, सीने में दर्द, उल्टी, मितली, पसीने आना, सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत आदि।
- इस दौरान इंसान जिंदा रहता है और संभवतः होश में रहता है लेकिन तत्काल मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है।
कार्डियक अरेस्ट क्या होता है?
- कार्डियक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल समस्या है।
- हार्ट में इलेक्ट्रिकल मालफंक्शन के कारण हार्टबीट अनियमित (कार्डियक एरिथमिया) हो जाती है जिससे कार्डियक अरेस्ट ट्रिगर होता है।
- ऐसे में हार्ट का पंपिंग एक्शन प्रभावित होता है। इसलिए हार्ट ब्रेन,लंग्स और अन्य अंगों तक ब्लड नहीं पहुंचा पाता है।
- कुछ ही सेकंड में पल्स धीमी होने लगती है और व्यक्ति बेहोश हो सकता है।
- इसके लक्षण हैं बेहोश होना, रिस्पॉन्स न देना, असामान्य तरीके से सांस लेना, चेहरा नीला पड़ना, पल्स कम होना आदि।
- ये एक अर्जेंट मेडिकल कंडीशन है जिसमें इंसान बेहोश हो जाता है, सांस और पल्स गायब होने लगती है और ऐसे में तत्काल सीपीआर, हॉस्पिटल और एक्सपर्ट की जरूरत होती है।