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Slipped Disc: स्लिप डिस्क की परेशानी क्या है? जानिए कारण और उपचार

Slipped Disc डिस्क रीढ़ की हड्डी में लगे हुए ऐसे पैड होते हैं जो उसे किसी प्रकार के झटके या दबाव से बचाते हैं। कई बार कमर दर्द को हम स्लिप डिस्क समझ लेते हैं इसलिए इस परेशानी के लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है।

By Shahina NoorEdited By: Updated: Thu, 07 Oct 2021 05:48 PM (IST)
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स्लिप डिस्क की परेशानी रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में हो सकती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। लाइफस्टाइल में बदलाव और घंटों गलत पॉश्चर में बैठे रहने से स्लिप डिस्क की समस्या पैदा होती है। स्लिप डिस्क एक ऐसी परेशानी बनती जा रही है जिससे देश की पांच प्रतिशत आबादी हल्की या गंभीर समस्या से जूझ रही है। अक्सर इंजरी या वीकनेस की वजह से डिस्क के पास का हिस्सा आउटर रिंग से बाहर निकल जाता है, मेडिकल भाषा में इसे स्लिप डिस्क कहा जाता है। ये बहुत ज्यादा दर्द और बेचैनी का कारण बन सकता है। इस दर्द की वजह से झुकना बैठना बेहद मुश्किल हो जाता है।

डिस्क रीढ़ की हड्डी में लगे हुए ऐसे पैड होते हैं, जो उसे किसी प्रकार के झटके या दबाव से बचाते हैं। कई बार कमर दर्द को हम स्लिप डिस्क समझ लेते हैं इसलिए इस परेशानी के लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण कौन से हैं और उसका उपचार कैसे किया जाए।

स्लिप डिस्क के लक्षण:

  • स्लिप डिस्क की परेशानी रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में हो सकती है, लेकिन पीठ के निचले भाग में यह समस्या होना आम है।
  • स्लिप डिस्क का दर्द बॉडी के एक ही हिस्से में होता है।
  • इस दर्द की वजह से हाथ से लेकर पैरों तक में दर्द होता है।
  • उठने-बैठने और चलने में दिक्कत होती है।
  • मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है।

स्लिप डिस्क के कारण

स्लिप डिस्क की समस्या अक्सर उम्र बढ़ने के साथ ही होती है, लेकिन खराब लाइफस्टाइल और पॉश्चर की खराबी की वजह से यह परेशानी कम उम्र में भी हो सकती है। जिन लोगों की मांस पेशियां कमजोर होती है, जो धूम्रपान करते हैं और भारी सामान उठाते हैं उन्हें यह समस्या जल्दी हो सकती है।

स्लिप डिस्क से कैसे करें बचाव 

  • इस परेशानी से बचना चाहते हैं तो भारी सामान उठाते समय सावधानी बरतें। भारी वज़न उठाते समय पीठ के बल उठाने के बजाय घुटनों को मोड़ कर वज़न उठाएं।
  • स्लिप डिस्क से बचना है तो अपने वज़न को कंट्रोल रखें।
  • लम्बे समय तक एक ही स्थिति में नहीं बैठे। समय-समय पर पॉश्चर में बदलाव करें
  • डाइट में विटामिन C,D,E प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाएं।
  • अपनी पीठ, पैरों और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक्सरसाइज करें।