क्यों इन दिनों में बढ़ने लगे हैं बुखार के मामले, बचाव के लिए किन बातों का रखें ध्यान
बीते कुछ हफ्तों से डेंगू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं आजकल फ्लू और सांस की बीमारियों के साथ बुखार आने की भी दिक्कत देखी जा रही है। अभी जगह-जगह मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है जिससे समस्याएं पैदा हो रही हैं। इससे घबराने की नहीं बल्कि सावधान होने की जरूरत है। आइए जानते हैं किन बातों का रखना चाहिए ध्यान।
नई दिल्ली। Health Tips: अगर डेंगू हो गया है तो इसमें बुखार के साथ-साथ तेज सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, शरीर में खुजली हो सकती है। कुछ लोग उल्टी महसूस करने और पेट में दर्द की शिकायत भी करते हैं। अगर खाना-पीना सही से नहीं हो पा रहा है, तो उल्टी होने से ब्लडप्रेशर लो हो सकता है। प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाने पर दांतों, यूरिन आदि से ब्लीडिंग होने का खतरा हो सकता है। इन सभी लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए, तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर इलाज शुरू कर देना चाहिए। हालांकि, इस साल वायरल में हल्के लक्षण ही दिख रहे हैं। वायरल होने पर उपचार के साथ-साथ स्वयं भी सतर्क रहना चाहिए।
आइए इस बारे में डा. मोनिका महाजन (डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मैक्स अस्पताल, नई दिल्ली) से जानते हैं।
दर्द निवारक दवाओं से बचने की जरूरत
वायरल बुखार होने पर अस्पताल में तुरंत भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। इसके उपचार में सबसे पहले पेनकिलर के सेवन से बचना है। बुखार उतारने की दवा ले सकते हैं। शरीर में पर्याप्त पानी होना आवश्यक है, ताकि डिहाइड्रेशन न हो। अगर बुखार उतरने के बाद प्लेटलेट्स में तेजी से कमी आती है, तो डाक्टर से मिलना चाहिए। आमतौर पर बुखार की शुरुआत में प्लेटलेट्स में ज्यादा गिरावट नहीं आती। अगर ज्यादा गिरावट हो रही है तो अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। इसके लिए प्लेटलेट्स भी चढ़ाई जा सकती है।यह भी पढ़ें: डेंगू बुखार कब साबित हो सकता है जानलेवा, डॉक्टर से जानें कब हो जाना चाहिए सावधान?
स्वास्थ्य समस्या है तो बढ़ाएं सतर्कता
वायरल बुखार के अधिकांश मरीज घर पर ही ठीक हो जाते हैं। चूंकि, यह वायरल संक्रमण है, इसलिए इसका बहुत अधिक उपचार नहीं है। अगर पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है तो अतिरिक्त सावधानी होनी चाहिए। प्लेटलेट्स कम है, उल्टी हो रही है, खाना नहीं पच रहा है, थकान हो रही है, सांस फूल रही है तो स्वयं से उपचार करने के बजाय चिकित्सक को दिखाना और जरूरी जांचें करा लेना चाहिए। आठ से दस दिनों में सभी मरीज रिकवर कर जाते हैं।वायरल से बचने की जरूरत
चूंकि इस मौसम में फ्लू के मामले भी आते हैं। अगर मरीज को बुखार के साथ खांसी, जुकाम और गला खराब होने जैसे लक्षण हैं तो संभव है कि गले का संक्रमण हुआ हो। अगर बुखार के साथ सिरदर्द, कमर दर्द और आंखों के पीछे दर्द है तो डेंगू की आशंका होती है। पहले पांच दिन में डेंगू एनएस1 का टेस्ट होता है, इसके बाद डेंगी आइजीएम टेस्ट होता है। ये टेस्ट डाक्टर की सलाह पर करवाने चाहिए। अगर मरीज की हालत ज्यादा खराब है तो ड्रिप चढ़ाने की जरूरत होती है। जिन्हें पहले डेंगू हो चुका है, तो उन्हें दोबारा होने पर खतरा अधिक बढ़ जाता है।
बढ़ाएं सतर्कता
- डेंगू का मच्छर दिन में काटता है, इसलिए दिन में खुद भी और बच्चों को फुल बांह के कपड़े पहनाने चाहिए।
- गमलों और अन्य स्थानों पर पानी जमा न होने दें। बाहर जा रहे हैं तो मच्छरों से बचने के लिए क्रीम आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
- घर में अगर किसी को डेंगू है तो अन्य लोगों भी मच्छरों से फैल सकता है। मरीज से मरीज को डेंगू नहीं होता। घर में और आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।