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Cancer: भारत में युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है कैंसर, एक्सपर्ट ने बताए इसके कारण

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि भारत में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है जिसका शिकार युवा अधिक हो रहे हैं। इसलिए हमने एक्सपर्ट्स से जानने का प्रयास किया कि आखिर कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कारण क्या है और कैसे इससे बचाव किया जा सकता है। जानें एक्सपर्ट्स का क्या कहना है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 12 Apr 2024 12:50 PM (IST)
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क्यों युवा हो रहे हैं कैंसर का शिकार?
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Cancer: कैंसर को लेकर आए दिन कई स्टडीज होती रहती हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चलता है कि देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह मामले ज्यादातर युवाओं में देखे जा रहे हैं। शोध के मुताबिक, पुरुषों में मुंह, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक देखने को मिलते हैं, तो वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट, सर्विक्स और ओवरी के कैंसर काफी आम हैं।

बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, विश्व स्तर पर कैंसर मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि ऐसा क्यों हो रहा है और कैसे कैंसर से बचाव करने में मदद मिल सकती है।

इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए हमने सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम, के ऑन्कोलॉजी विभाग की कंसल्टेंट डॉ. पूजा बब्बर और एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल, सोनीपत, के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. दिनेश सिंह और मैरिंगो एशिया अस्पताल, गुरुग्राम, के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. मोहित सक्सेना से बात की। आइए जानते हैं, इस बारे में इन एक्सपर्ट्स का क्या कहना है।

डॉ. बब्बर ने बताया कि कैंसर एक जटिल रोग है जिसमें शरीर के प्रभावित अंग के सेल्स में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। यह रोग शारीरिक, आत्मिक और आर्थिक रूप से न केवल मरीज के लिए बल्कि, उसके पूरे परिवार के लिए दर्दनाक होता है। कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हैं, जिनमें जीवनशैली से जुड़ी बुरी आदतें काफी अहम भूमिका निभाते हैं। खान-पान से जुड़ी बुरी आदतें, तंबाकू और शराब का अधिक सेवन, तनाव आदि। साथ ही, डॉ. सिंह बताते हैं कि वातावरण, जेनेटिक्स और जनसंख्या में वृद्धि की वजह से कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है।

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उन्होंने कहा कि शहरीकरण और आर्थिक विकास के कारण हमारी जीवनशैली काफी बदल चुकी है। इसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग सेडेंटरी लाइफस्टाइल, अनहेल्दी डाइट को अपना रहे हैं, जिसकी वजह से कैंसर के मामलों में भी काफी बढ़ोतरी हो रही है। डॉ. सक्सेना ने बताया कि मोटापा, केमिकल प्रदूषण, ब्रेस्ट फीडिंग न करने का चयन भी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। 

सेडेंटरी लाइफस्टाइल

साथ ही, तकनीक में विकास की वजह से वर्क प्लेस के वातावरण में काफी बदलाव हुआ है और फिजिकल एक्टिविटी कम हुई है, जिसके कारण लोग सेडेंटरी लाइफस्टाइल फॉलो करते हैं। फिजिकल एक्टिविटी की कमी की वजह से ब्रेस्ट, कोलोन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, फिजिकल एक्टिविटी की कमी की वजह से न केवल मोटापा बढ़ता है बल्कि, हार्मोनल असंतुलन और इम्यून फंक्शन पर भी काफी प्रभाव पड़ता है।

खानपान में बदलाव

डाइट में रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड्स और अधिक शुगर वाले फूड्स को ज्यादा शामिल करने और फलों व सब्जियों को कम खाने की वजह से सेहत को काफी नुकसान होता है। इन वजहों से मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारियां होती हैं, जो कैंसर के जोखिम कारकों को बढ़ाते हैं।

स्मोकिंग और शराब पीना

स्मोकिंग, शराब और तंबाकू का अधिक सेवन कैंसर के मुख्य कारण हैं, जो इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा तनाव और जीवनशैली से जुड़े अन्य बदलाव भी कैंसर का कारण बनते हैं।

कैंसर से बचाव कैसे किया जा सकता है?

  • इस बारे में डॉ. बब्बर बताती हैं कि कैंसर की रोकथाम के लिए कई पहल किए जा रहे हैं, जिसमें लोगों को इस बीमारी के कारणों और इलाज के बारे में जानकारी देकर, जागरूक बनाना सबसे जरूरी है।
  • नियमित चेकअप: नियमित मेडिकल जांच और स्क्रीनिंग से कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानने में मदद मिल सकती है।
  • स्वस्थ लाइफस्टाइल : रोजाना एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट फॉलो करने और स्मोकिंग व शराब की लत को छोड़ने से जुड़ी जागरूकता फैलाने से कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • प्रदूषण नियंत्रण: औद्योगीकरण और जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले प्रदूषण को कम करना आवश्यक है। साथ ही, इससे बचाव भी काफी जरूरी है।
  • डायग्नोस्टिक लैब्स, स्क्रीनिंग इवेल्यूएशन और स्क्रीनिंग की नई तकनीकों की मदद से ज्यादा मात्रा में केस डिटेक्ट हो पा रहे हैं।
  • डॉ. सक्सेना इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए बताते हैं कि हेपिटाइटिस-बी और एचपीवी की वैक्सीन लेने से भी कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। साथ ही, ब्रेस्ट फीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कम होता है। इसके अलावा, नियमित तौर से सेल्फ एग्जामिन करके भी ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज पर पता लगाया जा सकता है। 
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Picture Courtesy: Freepik

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