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Basi Chawal Benefits: गर्मी के मौसम में लोग क्यों खाते हैं भीगे हुए बासी चावल, क्या हैं इसके फायदे?

Basi Chawal Benefits गर्मियों में हम सभी का खानपान बदलता है ताकि पेट की सेहत बनी रहे और हम बीमार पड़ने से बचे रहें। इस दौरान कई राज्यों में भीगे हुए बासी चावल खाने की परंपरा भी है। तो आइए जानें कि इन्हें गर्मी आते ही क्यों खाया जाता है?

By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Thu, 13 Apr 2023 03:59 PM (IST)
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Basi Chawal Benefits: गर्मियों में खाया जाता है बासी भात, क्या हैं इसके फायदे
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Basi Chawal Benefits: बासी खाना आमतौर पर सेहत के लिए सही नहीं माना जाता। हालांकि, देश के कई हिस्सों में गर्मियों की शुरुआत में बासी चावलों को खाने की परंपरा जरूर है। यह एक तरह का रिवाज है, जिसका भारत के लोग हिंदू नव वर्ष या विक्रम संवत के दौरान पालन करते हैं, जिसे देश भर में कई नामों से जाना जाता है। आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च के अंत से अप्रैल की शुरुआत के बीच पड़ने वाला यह त्योहार नई शुरुआत और रिश्तों के नवीनीकरण का प्रतीक है।

धार्मिक वजहें

देश के कई राज्यों में बासी भात को खाने के लिए कुछ परंपराएं हैं। इसे आमतौर पर होली के बाद बासौदा में खाया जाता है, जो उत्तर भारत का हिन्दू त्योहार है। यह होली के 8 दिन बाद मनाया जाता है, और इसे शीतला माता का दिन माना जाता है, जो देवी दुर्गा का अवतार हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह चेचक और खसरे की देवी हैं और बासी भात या बासी चावल चढ़ाने और खाने से परिवार के सभी लोगों की ऐसी बीमारियों से रक्षा होती है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस त्योहार को सिली साते भी कहा जाता है।

बासौदा त्योहार के मौके पर मीठे चावल पकाएं जाते हैं, जिन्हें खूब सारे ड्राई-फ्रूट्स और गुड़ के साथ एक दिन पहले तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे भगवान को चढ़ाया जाता है और फिर परिवार के बाकी लोग इसे खाते हैं।

सिंधी समुदाय में, बासी चावलों में दही और सरसों का पाउडर मिलाकर एक व्यंजन तैयार किया जाता है, जिसे फर्मेंट होने के लिए रात भर छोड़ दिया जाता है। रक्षाबंधन के बाद मनाई जाने वाली 'थदरी' के अवसर पर यह व्यंजन अवश्य बनता है। यह सिंधी त्योहार देवी जोग माया के सम्मान में मनाया जाता है, जो शीतला माता की सिंधी समकक्ष हैं।

वहीं, बीहार में इसी समय के आसपास बिसुआ त्योहार मनाया जाता है। जहां चावलों में पानी डालकर इन्हें रातभर के लिए छोड़ दिया जाता है। अगले दिन सुबह इसे अलसी की चटनी, भुनी हुई मिर्च और नमक के साथ खाया जाता है। इसी तरह की परंपरा चत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में भी है। वहां भी चावलों को पानी और दही में भिगोकर रातभर के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर अगले दिन इसमें प्याज, हरी मिर्च, नमक डालकर खाया जाता है। माना जाता है कि इसे खाने से गर्मी के मौसम में आप लू से बचे रहेंगे।

बासी चावल खाने के फायदे

इसमें कोई शक नहीं कि बासी भात ज़बान और पेट दोनों को सुकून पहुंचाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बासी भात यानी चावल खाने से पाचन बेहतर होता है और शरीर को अपना तापमान कंट्रोल करने में मदद भी मिलती है। मीठे चावल जिन्हें बसोदा कहा जाता है, इन्हें छोड़ दिया जाए, तो बाकि सभी को रातभर के लिए फर्मेंट होने के लिए छोड़ा जाता है। जिससे यह चावल खनिज पदार्थों से भरपूर हो जाते हैं, जिसका फायदा स्किन को भी मिलता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बासी चावलों को खाने से कब्ज में भी राहत मिलती है और यह आंत के स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन होते हैं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Instagram