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World Homeopathy Day 2023: क्यों मनाते हैं विश्व होम्योपैथी दिवस और क्या है इसका इतिहास?

World Homeopathy Day 2023 होम्योपैथी दवाओं पर सालों से लोग भरोसा जताते आ रहे हैं। 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जा रहा है। चलिए जानते हैं इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में ।

By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Mon, 10 Apr 2023 08:04 AM (IST)
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क्यों मनाते हैं विश्व होम्योपैथी दिवस और क्या है इसका इतिहास?
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Homeopathy Day 2023: हर साल 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनिमैन की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। आज पूरी दुनिया में लोग होम्योपैथी दवाओं पर भरोसा कर रहे हैं और उसके जरिए अपनी सेहत संबंधी समस्याओं का उपचार करवा रहे हैं।

इसपर लोगों का भरोसा इसलिए भी है क्योंकि इसके साइड इफेक्ट की संभावना कम और ठीक होने की संभावना अधिक देखी गई है। होम्योपैथी दवाएं 'लाइक क्योर लाइक' के सिद्धांत पर आधारित है। इसका अर्थ है कि जिस पदार्थ को कम मात्रा में लिया जाता है, वही लक्षण बड़ी मात्रा में लेने पर ठीक हो जाते हैं। होम्योपैथी ग्रीक शब्द होमियो से लिया गया है, जिसका अर्थ है समान, और पाथोस, जिसका अर्थ है पीड़ा या बीमारी। चलिए जानते हैं कि इस दिन का इतिहास और महत्व क्या है।

होम्योपैथी का इतिहास

होम्योपैथी दवाओं और सर्जरी का उपयोग नहीं करती है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर कोई एक व्यक्ति है, उसके अलग-अलग लक्षण होते हैं और उसी के अनुसार इलाज किया जाना चाहिए। जर्मन चिकित्सक और केमिस्ट सैमुअल हैनीमैन (1755-1843) द्वारा व्यापक रूप से सफलता पाने के बाद 19वीं शताब्दी में होम्योपैथी को पहली बार प्रमुखता मिली। लेकिन इसकी उत्पत्ति 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व की है, जब 'चिकित्सा के जनक' हिप्पोक्रेट्स ने अपनी दवा की पेटी में होम्योपैथी उपचार पेश किया था।

ऐसा कहा जाता है कि यह हिप्पोक्रेट्स थे, जिन्होंने रोग को समझते हुए यह समझा कि ये हमारे शरीर पर किस तरह से प्रभाव डालते हैं और इस तरह से होम्योपैथिक की खोज हुई। उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के लक्षणों को समझना आवश्यक है कि वे रोग के प्रति कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं और रोग के निदान में उनकी उपचार की शक्ति महत्वपूर्ण है। यही समझ आज होम्योपैथी का आधार बनी है। आपको बता दें कि, हिप्पोक्रेट्स के बाद होम्योपैथी को काफी हद तक नजरअंदाज किया गया, लेकिन 18वीं शताब्दी के अंत में हैनीमैन ने इसे फिर से जीवंत करने का काम किया।

कहा जाता है कि उस समय बहुत तेजी से बीमारी फैली रही थी और चिकित्सा उपचार काफी हिंसक और आक्रामक हो गए थे। उस दौरान हैनिमैन ने नैदानिक चिकित्सा को पूरी तरह से अस्वीकार्य पाया। उन्होंने दवाओं और रसायन शास्त्र पर कड़ी मेहनत की और खराब स्वच्छता के खिलाफ अपना विरोध जताया क्योंकि यही बीमारी के तेजी से फैलने का कारण बन रहा था। इतना ही नहीं हैनिमैन उन चिकित्सा तरीकों और दवाओं के खिलाफ थे जो शरीर पर भयानक दुष्प्रभाव डाल रहे थे। उनके इसी विचार ने चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ ऐसा खोजा, जिसने उन्हें होम्योपैथी का सच्चा संस्थापक बना दिया।

विश्व होम्योपैथी दिवस क्यों मनाया जाता है?

इस दिन को होम्योपैथी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और होम्योपैथी की पहुंच में सुधार करने के लिए मनाया जाता है। होम्योपैथी को बड़े पैमाने पर विकसित करने के लिए आवश्यक भविष्य की रणनीतियों और इसकी चुनौतियों को समझना भी महत्वपूर्ण है। होम्योपैथी की औसत व्यवसायिक सफलता दर को बढ़ाते हुए, शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की भी आवश्यकता है।

होम्योपैथी एक चिकित्सा प्रणाली है, जो मानती है कि शरीर खुद को ठीक कर सकता है। होम्योपैथी के चिकित्सक पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों की थोड़ी मात्रा का उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि ये उपचार प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं। होम्योपैथी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। साथ ही, यह दिन होम्योपैथी के संस्थापक सैमुअल हैनीमैन के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।