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Sleeplessness Causes: रात में नींद न आने के पीछे क्या कारण होते हैं?

Sleeplessness Causes भागती-दौड़ती और तनाव से भरी जिंदगी में नींद न पूरी होना एक आम दिक्कत है। रात की नींद हर किसी के लिए बेहद जरूरी है ताकि शरीर को खुद को रिपेयर करने का समय मिल जाए। लेकिन नींद न पूरी हो तो क्या होता है?

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Tue, 21 Feb 2023 05:52 PM (IST)
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Sleeplessness Causes: रात में क्यों नहीं आती नींद?
नई दिल्ली। Sleeplessness Causes: रात की अच्छी नींद सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जीवन खुशहाल और बीमारियों से मुक्त होता है। आज की तनाव भरी जिंदगी में अच्छी नींद दुर्लभ होती जा रही है। दरअसल, नींद एक ऐसा जैविक रिदम है, जिससे शरीर तरो-ताजा होता है, साथ ही अगले दिन के क्रियाकलाप के लिए ऊर्जा भी मिलती है। आमतौर पर माना जाता रहा है कि नींद निष्क्रिय प्रक्रिया है, लेकिन ऐसा नहीं है। नींद बहुत ही सक्रिय प्रक्रिया है। मस्तिष्क में काफी मेटाबालिज्म होता है।

नींद से जुड़ी है शारीरिक और मानसिक सेहत

अनेक अध्ययनों से यह स्पष्ट है कि दिनभर के क्रिया-कलाप के फलस्वरूप हमारे दिमाग में जो केमिकल्स निकलते हैं, उसमें से खराब अंश नींद के दौरान छोटी-छोटी नसों (जिन्हें जिलैंफेटिक्स कहते हैं) के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। वह ब्लड सर्कुलेशन से होते हुए किडनी के जरिये पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि नींद सही ढंग से पूरी हो, क्योंकि इस पर हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत टिकी हुई है।

क्यों खराब होती है नींद

आजकल कामकाज के तरीकों और शिफ्ट ड्यूटी जैसे कारणों से नींद बाधित होती है। दूसरा, एंजाइटी और डिप्रेशन जैसे कारण भी है। एंजाइटी में बिस्तर पर जाने केबाद भी नींद नहीं आती या काफी देर से आती है, जबकि डिप्रेशन में शुरू में नींद तो आ जाती है, लेकिन बीच में ही टूट जाती है। अगर नींद रात में पूरी न हो तो दिन में काम करते हुए या ड्राइविंग के दौरान या पढ़ाई-लिखाई करते हुए झपकी आती है। मानसिक स्वास्थ्य खराब होने से भी नींद खराब होती है। जिन्हें अच्छी नींद नहीं आती, उनको मानसिक बीमारियां ज्यादा होती हैं। यह बाइ-डायरेक्शनल प्रक्रिया है।

अनेक बीमारियों का कारण

नींद न आना

माइग्रेन जैसी समस्या में नींद नहीं आती। नींद नहीं आना यानी इन्सोमिया कई तरह की बीमारियों का कारण बन जाता है। कुछ दवाओं के सेवन से भी नींद बाधित होती है। हृदय रोगी मरीज को सांस फूलने के कारण रात में काफी देर तक जागना पड़ता है, तो सांस की परेशानी से पीड़ित व्यक्ति की भी बीच-बीच में नींद खुल जाती है। इसी तरह मोटापाग्रस्त या अल्कोहल लेने वालों में भी नींद की समस्या देखी जाती है।

नींद अधिक आना

इसे हाइपरसोमिया कहते हैं, जिसमें हर समय नींद आती है। रात में पूरी नींद लेने के बाद भी दिनभर झपकी आती है। इसमें एक जेनेटिक बीमारी भी होती है, जिसे नार्कोलेप्सी कहते हैं। इसमें मरीज को नींद के झोंके आते रहते हैं। यहां तक कि ड्राइव करते या बात करते-करते भी नींद आ जाती है।

नींद में व्यवधान

इसे पैरासोमिया कहते हैं, जिसमें नींद के दौरान लोग हरकतें करते हैं, जैसे- हाथ-पैर हिलाना, अचानक जोर से आवाज निकालना और नींद में बैठ जाना। सोते समय अचानक डर जाना या दांत चबाने जैसी हरकत करना। नींद में भले ही ऐसी समस्याएं होती हैं, लेकिन दिन में वे पूरी तरह ठीक रहते हैं। सही नींद नहीं ले पाने से आगे चलकर और भी समस्याएं आ सकती हैं।

खर्राटे की समस्या

कुछ लोग सोते समय खर्राटे लेते हैं। उनकी नींद रात में कई बार टूटती है, लेकिन उन्हें पता नहीं चलता। इसके लिए एक जांच होती है-पोलिसोम्नोग्राफी। इसमें मशीन लगाकर रातभर में नींद की जांच की जाती है। इसमें देखते हैं कि मस्तिष्क में तरंगें कैसी निकल रही हैं और शरीर में आक्सीजन कितना बन रहा है। नींद की समस्या को नजरअंदाज करने से रक्तचाप, हृदयरोग जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

अच्छी नींद के लिए क्या करें

  • जब आप सोने जाएं, आपके कमरे में अंधेरा हो।
  • आसपास टीवी, मोबाइल या अन्य गैजेट्स न हों।
  • ढीले और आरामदायक कपड़े पहनकर ही सोएं।
  • ऐसी जगह पर सोएं जहां शांति हो, आसपास किसी तरह की आवाज न हो।
  • सोते समय मोबाइल चेक न करें या वाट्सएप या मूवी देखने से बचें। इससे नींद खराब होती है।

स्लीप साइकल

  • सोने का समय निश्चित करें। किसी दिन आप 10 बजे सो रहे हैं, तो किसी दिन 12 बजे-एक बजे सो रहे हैं। इससे नींद का चक्र बिगड़ जाता है।
  • स्लीप साइकल मस्तिष्क को नियंत्रित करता है। जब यह अनियमित होगा, तो मस्तिष्क की कार्यक्षमता भी प्रभावित होगी।

बचें स्लीप मेडिसिन से

  • जिन दवाओं के सेवन नींद आती है, उनसे बचना चाहिए।
  • नींद की दवाएं लेते रहने से उसकी आदत हो जाती है।
  • एलप्रक्स की गोली अपने मन से कतई न लें। कोई भी दवा लेने से पहले डाक्टर की सलाह जरूरी है।

कितने घंटे की जरूरी है नींद

हर व्यक्ति के सोने के घंटे अलग-अलग होते हैं। एक वयस्क के लिए छह से आठ घंटे की नींद पर्याप्त होती है। उम्र बढ़ने के साथ नींद के अवधि में स्वाभाविक रूप से कमी आती है और नींद का गुणवत्ता खराब होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ डायबिटीज, प्रोस्टेट जैसी समस्याएं आती हैं, जिससे रात में कई बार पेशाब के लिए उठना पड़ता है। शरीर में आयरन की कमी होने से महिलाओं की नींद खराब होती है। नींद के घंटों में अचानक काफी कमी आ जाये या बहुत अधिक सोने लग जाएं, तो चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

- डॉ. देबाशीष चौधरी

निदेशक, विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर, न्यूरोलाजी, जीबी पंत अस्पताल, नई दिल्ली

बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र