सावधान! रेस्तरां से आए काले डिब्बों का दोबारा करते हैं इस्तेमाल? तो यहां पढ़ें कैसे ले सकता है ये आपकी जान
रेस्तरां से खाना मंगवाते समय आपने ध्यान दिया होगा कि ज्यादातर खाना डिलिवर करने के लिए काले प्लास्टिक के डिब्बों का इस्तेमाल किया जाता है। इनका इस्तेमाल पिछले एक साल में भारत में काफी तेजी से बढ़ा है लेकिन आपको बता दें कि इसके कारण आपकी सेहत को खतरा (Black Plastic Side Effects) हो सकता है। आइए जानें क्यों है काला प्लास्टिक खतरनाक।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Black Plastic Side Effects: आपने ध्यान दिया होगा कि आजकल ज्यादातर रेस्तरां से खाना काले पलास्टिक (Black Plastic) के डिब्बों में आता है। ये डिब्बे काफी सुविधाजनक होते हैं, जिसमें आसानी से खाने को लाया और ले जाया जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सस्ते और सुविधाजनक डिब्बे आपकी सेहत के लिए काफी खतरनाक (Black Plastic Health Risk) हो सकते हैं।
इन डिब्बों में वैज्ञानिकों को एक खतरनाक रसायन मिला है, जिसे 'डेकाब्रोमोडिफिनाइल ईथर' कहते हैं। आपको बता दें कि इस केमिकल का इस्तेमाल आग को फैलने से रोकने के लिए किया जाता है। इसलिए इसे ‘फ्लेम रिटाडेंट्स’ भी कहा जाता है। आग फैलने से रोकने की क्षमता के कारण इसमें गर्म खाने को आसानी से पैक करके भेजा जाता है।हालांकि, गर्म खाने के कारण ये केमिकल पिघलकर खाने में मिलते हैं और हमारे शरीर में आ जाते हैं। इसके कारण सेहत को भारी नुकसान (Black Plastic Side Effects) उठाने पड़ सकते हैं। आपको बता दें कि इस प्लास्टिक के गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों की वजह से अमेरिका ने 2021 में इस पर बैन लगा दिया था। लेकिन भारत में इस प्लास्टिक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। जिस वजह से कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
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क्यों है काला प्लास्टिक खतरनाक?
- बच्चों पर असर- इस प्लास्टिक में मौजूद 'डेकाब्रोमोडिफिनाइल ईथर' भ्रूण और बच्चों के विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। इसकी वजह से बच्चों की सीखने की क्षमता को भी नुकसान पहुंचता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव- इस केमिकल की वजह से हार्मोन नियंत्रित करने वाले ग्लैंड- एंडोक्राइन पर नकारात्क प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण थायरॉइड की बीमारी का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, ये इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है।
- कैंसर का खतरा- अप्रैल 2024 में सामने आई एक स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों के खून में फ्लेम रिटाडेंट ज्यादा होता था, उनमें कैंसर से मौत का खतरा 300 प्रतिशत ज्यादा था। 'पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन' नाम का केमिकल, जो काले प्लास्टिक में पाया जाता है, उससे भी कैंसर का खतरा रहता है। इस रसायन की वजह से सांस लेने में भी समस्या हो सकती है।
खिलौनों में भी मिलता है ये केमिकल
कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, जैसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन से लेकर सोफा, ऑफिस चेयर, कार की सीट आदि में भी फ्लेम रिटाडेंट्स पाया जाता है। एक रिसर्च में तो यह भी पाया गया कि कुछ चीजों में ये केमिकल यूरोपीय संघ द्वारा तय मानक से 1200 गुना ज्यादा था।क्यों है काला प्लास्टिक बड़ी समस्या?
काला प्लास्टिक को रिसाइकिल करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इसे कई बार दोबारा इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ये रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करता रहता है। प्लास्टिक प्लयूशन में 15 प्रतिशत तक योगदान काले प्लास्टिक का है। दरअसल, प्लास्टिक को रिसाइकिलिंग के दौरान अलग करने के लिए इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इस मशीन को काला रंग दिखाई नहीं देता। इस वजह से ज्यादातर प्लास्टिक रिसाइकिल नहीं हो पाता। इसके कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है, क्योंकि इसे नष्ट करना भी मुश्किल होता है।
आप क्या कर सकते हैं?
- काले प्लास्टिक के डिब्बों का इस्तेमाल न करें- रेस्तरां से आए काले डिब्बों का दोबारा इस्तेमाल न करें। खाना माइक्रोवेव करने के लिए कांच के बरतन का इस्तेमाल करें। खाना ले जाने के लिए भी स्टील या कांच का इस्तेमाल करें।
- घर में साफ-सफाई रखें- नियमित रूप से घर में धूल साफ करें और हाथ धोएं।
- वेंटिलेशन का ध्यान रखें- घर में हवा का आवागमन बनाए रखें।