भारतीयों में सबसे ज्यादा होती है Workplace Burnout की समस्या, जानें इस बारे में सबकुछ
काम के कारण कई बार हमारी मेंटल हेल्थ पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। काम से जुड़े तनाव की वजह से बर्नआउट की समस्या भी हो सकती है। एक सर्वे के मुताबिक भारतीय कर्मचारियों में सबसे ज्यादा बर्नआउट की समस्या पाई गई। बर्नआउट के तीन प्रकार होते हैं जिनकी वजह अलग-अलग है। जानें क्या होता है बर्नआउट और इसके प्रकार।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Workplace Burnout: हम अपने काम में इतने उलझे रहते हैं कि अपनी मेंटल हेल्थ का अकसर ध्यान रखना भूल जाते हैं। इसके कारण अकसर लोगों को एंग्जायटी, तनाव आदि का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन सभी में सबसे आम और गंभीर समस्या है, बर्नआउट।
बर्नआउट की समस्या ज्यादा तनाव की वजह से होती है। बर्नआउट का मतलब होता है कि व्यक्ति तनाव के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुका है। उसमें खालीपन और अपने काम को लेकर असक्षम होने की भावनाएं आने लगती हैं। एक सर्वे के मुताबिक, भारतीय कर्मचारियों में सबसे ज्यादा बर्नआउट की समस्या देखने को मिलती है।
भारतीयों को होता है सबसे ज्यादा बर्नआउट
मैक्किंजे हेल्थ इंस्टीट्यूट ने साल 2023 में एक सर्वे किया था, जिसके मुताबिक 59% भारतीय कर्मचारियों में बर्नआउट के लक्षण देखने को मिले। इस सर्वे में यह पाया गया कि सबसे ज्यादा बर्नआउट 18 से 24 साल के कर्मचारियों, छोटी कंपनी के कर्मचारियों और ऐसे वर्कर जो मैनेजर की पोस्ट के नीचे थे, उनमें देखने को मिला। इसके साथ ही, भारतीय कर्मचारियों में सबसे ज्यादा वर्कप्लेस थकान भी देखने को मिली।क्या है बर्नआउट?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, बर्नआउट एक सिंड्रोम है, जो लंबे समय से होने वाले वर्कप्लेस स्ट्रेस की वजह से होता है। जब काम की जगह पर होने वाले तनाव को ठीक से मैनेज नहीं किया जाता, तो वह बर्नआउट का कारण बन जाता है।हालांकि, यह कोई मेडिकल कंडिशन नहीं है, लेकिन इस वजह से काफी मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय तक स्ट्रेस की वजह से मानसिक थकावट हो जाती है, जो धीरे-धीरे शारीरिक थकावट के रूप में भी दिखने लगती है।
यह भी पढ़ें: 11 साल पहले हुई थी International Day of Happiness की शुरुआत, दुनिया में सबसे खुशहाल है यह एक देश
बर्नआउट के प्रकार
बर्नआउट तीन प्रकार के होते हैं।- ओवरलोड बर्नआउट
- अंडरचैलेंज्ड बर्नआउट
- नेग्लेक्ट बर्नआउट