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World Arthritis Day: क्या आप भी करते हैं अर्थराइटिस से जुड़े इन मिथकों पर यकीन, तो एक बार जरूर जान लें सच्चाई

इन दिनों कई लोग अर्थराइटिस की समस्या से परेशान हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर जोड़ों में दर्द का कारण बनती है। यह अक्सर बढ़ती उम्र में लोगों को अपना शिकार बनाती है लेकिन किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। हर साल इस बीमारी के लिए जागरूकता फैलाने के लिए World Arthritis Day 2024 मनाया जाता है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 10 Oct 2024 06:45 PM (IST)
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आर्थराइटिस से जुड़े आम मिथक और उनकी सच्चाई (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो अक्सर बढ़ती उम्र में लोगों को अपना शिकार बनाती है। यह जोड़ों में दर्द और स्टिफनेस का कारण बनती है। यह समस्या तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाने लगी है, लेकिन आज भी कई लोगों में इसे लेकर जागरूकता की कमी है। ऐसे में इसे लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 12 अक्टूबर को World Arthritis Day 2024 मनाया जाता है।

किसी भी बीमारी के प्रति जागरूक होने से पहले उसके बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है। हालांकि, लोग अक्सर गठिया से जुड़ी कई अफवाहों को यकीन कर लेते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अखिलेश यादव बता रहे हैं Arthritis से जुड़े कुछ आम मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में-

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मिथक 1: सिर्फ बुजुर्ग ही गठिया से प्रभावित होते हैं।

फैक्ट: यही पूरी तरह गलत है। गठिया सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन यह बुजुर्गों में ज्यादा होता है। हालांकि, यह बच्चों और युवाओं को भी प्रभावित कर सकता है। जुवेनाइल अर्थराइटिस को 16 साल से कम उम्र में होने वाले गठिया के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा बड़े होने पर रुमेटीइड अर्थराइटिस और एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस हो सकते हैं।

मिथक 2: जोड़ों का दर्द हमेशा अर्थराइटिस होता है।

फैक्ट: सभी जोड़ों का दर्द गठिया के कारण नहीं होता है, भले ही जोड़ों में दर्द उम्र बढ़ने का एक सामान्य कारण है। ऐसे में वजन नियंत्रित करना, संतुलित आहार खाना और लगातार एक्सरसाइज जैसी हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर गठिया के लक्षणों को रोका या कम किया जा सकता है।

मिथक 3: हर प्रकार का गठिया एक जैसा होता है।

फैक्ट: सच्चाई यह है कि गठिया की सौ से ज्यादा तरह की किस्में हैं और सभी के कारण, लक्षण और इलाज अलग-अलग होते हैं। कई स्थितियों में गाउट, सोरियाटिक अर्थराइटिस, ऑस्टियोअर्थराइटिस, रुमेटीइड अर्थराइटिस और एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस शामिल हैं। सही इलाज के लिए गठिया के विशेष रूप की पहचान करना जरूरी है।

मिथक 4: अर्थराइटिस सिर्फ ज्यादा वजन वाले लोगों को प्रभावित करता है।

फैक्ट: ज्यादा वजन होना ही एकमात्र कारक नहीं है, जो ऑस्टियोअर्थराइटिस होने की संभावना को बढ़ाता है। जोड़ों की चोट, उम्र, लिंग और जेनेटिक कारण भी गठिया के विकास में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। हेल्दी वेट बनाए रखने से अर्थराइटिस की संभावना और गंभीरता कम हो जाती है, लेकिन यह रोक नहीं सकता है।

मिथक 5: एक्सरसाइज से अर्थराइटिस का दर्द बदतर हो जाता है।

फैक्ट: गठिया के दर्द को नियंत्रित करने के लिए लगातार एक्सरसाइज करना जरूरी है। कम प्रभाव वाले व्यायाम जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने, जोड़ों के लचीलेपन में सुधार करने और असुविधा को कम करने में मदद करते हैं, उनमें योग, वॉकिंग और तैराकी शामिल हैं। हालांकि, किसी भी तरह के व्यायाम को करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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