दुनियाभर में मनाया जा रहा World Asthma Day, डॉक्टर से जानें इस बीमारी के लक्षण और इससे बचाव के तरीके
हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2024) मनाया जाता है जो कि इस बार 7 मई को है। WHO के मुताबिक 2019 में दुनियाभर में इस बीमारी से तकरीबन 4.5 लाख लोगों की मौत हो गई। सेहत के लिहाज से वक्त रहते इससे जुड़े लक्षणों को पहचान लेने में ही समझदारी है। आइए डॉक्टर की मदद से समझते हैं इस बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2024) मनाया जाता है, जो कि इस बार 7 मई को है। बता दें, कि यह फेफड़ों से संबंधित एक बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने की नली में सूजन आ जाती है और सिकुड़न होने लगती है। साथ ही, आसपास की मांसपेशियां भी कस जाती हैं और वायुमार्ग बलगम से चोक हो जाता है।
ऐसे में, कई बार लोग इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो कि आगे चलकर अस्थमा अटैक के खतरे को भी बढ़ाता है। आइए, डॉ. प्रतिभा डोगरा (मैरिंगो एशिया अस्पताल, गुरुग्राम के पल्मोनोलॉजी विभाग की वरिष्ठ कंसल्टेंट) से जानते हैं कि शरीर में कैसे दिखते हैं इस बीमारी के आम लक्षण और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।
अस्थमा के सामान्य लक्षण
सांस लेने में कठिनाई: अस्थमा की समस्या में अक्सर सीने में जकड़न की शिकायत देखने को मिलती है इसे सांस की तकलीफ भी कहा जाता है।गले में सीटी की आवाज: इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेते और छोड़ते समय अक्सर गले से एक तरह की कर्कश या सीटी जैसी आवाज महसूस होती है।
खांसी: सुबह या रात के वक्त ज्यादा खांसी और इधर-उधर घूमते समय इससे जुड़े ट्रिगर्स के आसपास होने पर यह स्थिति और बदतर हो सकती है।सीने में जकड़न: सीने में असहजता या दबाव महसूस होना।नींद में खलल: घरघराहट, खांसी या सांस की तकलीफ आदि, जिसे रात में होने वाले लक्षणों के तौर पर देखा जाता है।थकान: अस्थमा के लक्षण न सिर्फ नींद बल्कि आपकी रोजमर्रा की दिनचर्या में भी बाधा डाल सकते हैं, जिसके चलते थकान हो सकती है।
यह भी पढ़ें- अस्थमा को और गंभीर बनाता है मोटापा, एक्सपर्ट से जानें कैसेधूल और प्रदूषण समेत इसके रिस्क फैक्टर्स से बचाव और इस बीमारी के ट्रिगर्स से दूरी बनाए रखना ही अस्थमा की रोकथाम के दो प्रमुख घटक हैं। साथ ही, यहां बताई कुछ सावधानियां भी आपको बरतनी चाहिए।
- ट्रिगर्स को पहचानें और उनसे दूर रहें: इसके सामान्य ट्रिगर्स में वायु प्रदूषण, धुआं, एलर्जी (पराग, धूल के कण और पालतू जानवरों की रूसी आदि) श्वसन संबंधी बीमारियां और कुछ दवाएं या खानपान भी शामिल होता है। इन्हें पहचानने और इनसे संपर्क को कम करने से अस्थमा के अटैक को रोकने में मदद मिल सकती है।
- डॉक्टर की बताई दवाओं का सेवन करें: लॉन्ग एक्टिंग बीटा एगोनिस्ट और इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स लॉन्ग टर्म मैनेजमेंट ड्रग्स के कुछ उदाहरण हैं, जिनसे सांस की नली में आने वाली सूजन को कम किया जा सकता है और अस्थमा के लक्षणों को रोका जा सकता है। साथ ही इस दौरान शॉर्ट एक्टिंग बीटा एगोनिस्ट जैसी तुरंत राहत देने वाली दवाएं भी उपयोगी होती हैं।
- किसी हेल्थ केयर प्रोफेशनल की मदद से अपने मुताबिक एक पर्सनलाइज्ड एक्शन प्लान तैयार करा लें, जिसमें डेली मैनेजमेंट से लेकर ट्रिगर, अस्थमा के दौरे या इस बीमारी के बिगड़ते लक्षणों की स्थिति में करने वाली चीजें शामिल होती हैं।