World Autism Awareness Day 2024: क्या है ऑटिज्म और इस दिन को मनाने का मकसद?
हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day 2024) मनाया जाता है। बता दें साल 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसका प्रस्ताव दिया था और 18 दिसंबर 2007 को इसे अपनाया था। चूंकि यह एक मेंटल डिसऑर्डर होता है ऐसे में इससे जूझ रहे लोगों को सबसे ज्यादा सपोर्ट और देखभाल की जरूरत होती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Autism Awareness Day 2024: दुनियाभर में हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह एक दिमागी बीमारी होती है, जो ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। बता दें, जब बच्चा छोटा होता है, तो इसके लक्षणों का पता लगा पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं, इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद और इस डिसऑर्डर से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जो आपको जरूर जाननी चाहिए।
क्यों मनाते हैं विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस?
1 नवंबर साल 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाने का संकल्प पास किया था, जिसे सभा ने 18 दिसंबर 2007 को अपनाया था। तभी से हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। इसका मकसद है लोगों को इस डिसऑर्डर के बारे में जागरुक करना, जिससे इससे पीड़ित व्यक्ति की लाइफ को बेहतर बनाने में मदद मिल सके, और वह भी समाज में बेहतर जीवन बिता सके।यह भी पढ़ें- एक्सपर्ट्स से जानें, क्या है ऑटिज़्म और कैसे करें इसे दूरबता दें, कि ऑटिज्म एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के वर्बल या नॉन वर्बल कम्युनिकेशन, इमेजिनेशन और सोशल इंटरेक्शन पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में इस विकार से जूझ रहे लोगों को सपोर्ट करना ही इस दिन को मनाने का असल मकसद है, जो कि खुद में जागरुकता विकसित करके ही संभव हो सकता है।
क्या है ऑटिज्म डिसऑर्डर?
आज ऑटिज्म के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी जरूर है, लेकिन भारत में बढ़ रहे इसके मामले भी चिंता बढ़ाते हैं। साल 2021 में Indian Journal of Pediatrics में पब्लिश हुई एक स्टडी बताती है, कि देश में हर 68 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित है, जिनमें लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संख्या तीन गुना ज्यादा है। इससे पीड़ित शख्स को बातें समझने में कठिनाई होती है, मन ही मन बड़बड़ाते हैं, शब्दों को समझ नहीं पाते हैं, आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं, उठने-बैठने, खाने-पीने का बर्ताव भी औरों से अलग होता है।