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World Autism Awareness Day 2024: क्या है ऑटिज्म और किन लक्षणों से कर सकते हैं पहचान?

ऑटिज्म के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है। ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसका पता आमतौर पर 2-3 साल की उम्र में लग जाता है। इस डिसऑर्डर के बारे में लोगों में जानकारी की कमी की वजह से इससे पीड़ित लोगों का जीवन और मुश्किल हो जाता है। जानें क्या है ऑटिज्म और इसके लक्षण।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Published: Tue, 02 Apr 2024 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 07:08 AM (IST)
हर साल 2 अप्रैल को मनाते हैं वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Autism Day 2024: हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है। इस दिन इस डिसऑर्डर के प्रति लोगों को जागरुक बनाया जाता है, ताकि समाज ऑटिज्म (Autism) से ग्रस्त लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे सके। यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो बच्चों के दिमाग में बदलाव की वजह से होता है।

ऑटिज्म के बारे में लोगों को जागरूक बनाने और इससे पीड़ित लोगों को सशक्त और समर्थ बनाने के लिए वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाने की शुरुआत हुई। इस दिन इस डिसऑर्डर से जुड़ी सभी अहम जानकारियों के बारे में लोगों को सजग बनाने की कोशिश की जाती है।

इस डिसऑर्डर के बारे में जागरूक बनकर ही, हम इससे पीड़ित बच्चों के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं और उनके जीवन को आसान बना सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है ऑटिज्म और इसके लक्षण।

क्या होता है ऑटिज्म?

क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो बच्चों के दिमाग में बदलाव होने की वजह से होता है। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) भी कहा जाता है। इससे पीड़ित बच्चों का व्यवहार, बातचीत और सीखने का तरीका अन्य बच्चों से अलग होता है। इसे ठीक नहीं किया जाता सकता है, इसलिए यह डिसऑर्डर जीवनभर रहता है।

जिन बच्चों को ऑटिज्म की समस्या होती है, उन्हें सोशल एक्टिविटीज और बातचीत करने में समस्या हो सकती है। आमतौर पर इस डिसऑर्डर का पता बचपन में ही 2-3 साल की उम्र में लग जाता है, लेकिन कई बार इसका पता लगाने में समय लग सकता है।  क्योंकि इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर बिहेवियरल टेस्ट की मदद लेते हैं , इसका पता लगाने में समय भी लग सकता है। इसका पता लगाने का और कोई तरीका नहीं है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, दुनियाभर में हर 100 बच्चे में से 1 बच्चे को ऑटिज्म है।

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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को लोगों से बातचीत करने में तकलीफ हो सकती है। उन्हें सामने वाले की भाव-भंगिमा समझने में मुश्किल हो सकती है, जिस कारण उन्हें सामने वाला व्यक्ति क्या कह रहा है, यह समझने में परेशानी होती है। इसके अलावा, देर से भाषा से जुड़ी स्किल्स का विकसित होना, लोगों के साथ रिश्ते न बना पाना, एक ही एक्शन को बार-बार दोहराना, बदलाव पसंद न करना या जिन कामों में उनके सेंस ऑर्गन्स को ज्यादा इंगेज होना पड़ता हो, ऐसे कामों को नापसंद करना जैसे कई लक्षण ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में नजर आ सकते हैं।

क्यों होता है ऑटिज्म?

ऑटिज्म का कोई ठोस कारण नहीं पता चला है, लेकिन जेनेटिक और वातावरण को इसके कारणों में शामिल किया जा सकता है।

क्या हैं इसके लक्षण?

  • एक ही एक्शन बार-बार दोहराना, जैसे बैठे-बैठे हिलते रहना, हाथ हिलाना, एक ही शब्द को बार-बार दोहराना
  • सेंस ऑर्गन्स का ज्यादा सेंसिटिव होना, जैसे ज्यादा तेज आवाज से परेशान होना या चिढ़ना
  • लोगों से बात करते समय उनकी तरफ न देखना या नजरें न मिलाना
  • लोगों की बातों को अनसुना करना
  • फिजिकल टच पसंद न करना
  • रोबोटिक या फ्लैट आवाज में बात करना
  • चुनिंदा चीजों में दिलचस्पी लेना
  • लोगों की बात न समझ पाना या उनके इशारे समझने में परेशानी होना

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Picture Courtesy: Freepik


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