World Brain Day 2024: स्ट्रोक के लक्षणों की समय से पहचान बचा सकता है कई गंभीर स्थितियों से
विश्व मस्तिष्क दिवस मनाने का मकसद लोगों को ब्रेन हेल्थ के बारे में जागरूक करने के साथ ही ब्रेन से जुड़ी उन बीमारियों के प्रति भी जागरूक करना है जो बेहद खतरनाक होती हैं। इनमें से एक स्ट्रोक है। हालांकि स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान कर काफी हद तक स्थिति को गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोका जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 22 जुलाई को World Brain Day मनाया जाता है। दुनियाभर में मनाए जाने वाले इस दिवस का उद्देश्य मस्तिष्क के स्वास्थ्य व न्यूरोलॉजिकल विकारों की जागरुकता बढ़ाना और साथ ही ब्रेन हेल्थ को बढ़ावा देना भी है। इस साल, ब्रेन से जुड़ी एक खतरनाक, लेकिन हल्के में ली जाने वाले बीमारी- स्ट्रोक पर फोकस किया गया है। यह दुनिया में होने वाली मौतों और विकलांगता का मुख्य वजहों में से एक है। इसलिए स्ट्रोक के लक्षणों और इससे ठीक होने के बाद किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए, इसके बारे में जानना जरूरी है। जिसे लेकर हमने डॉ. निशांत शंकर याज्ञनिक, न्यूरोसर्जरी कंसल्टेंट, मनीपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत के अंश।
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक तब पड़ता है, जब मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में ब्लड का सर्कुलेशन कम हो जाता है या रुक जाता है। इस स्थिति में मस्तिष्क के टिश्यू को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। आमतौर पर स्ट्रोक या तो इस्केमिक होता है या हैमरेजिक। इस्केमिक स्ट्रोक में मस्तिष्क को खून पहुंचाने वाली ब्लड वेसेल्स ब्लॉक हो जाती है। वहीं, हैमरेजिक स्ट्रोक में मस्तिष्क की कोई ब्लड वेसेल्स फट जाती है, जिस वजह से मस्तिष्क में खून का रिसाव होने लगता है।
स्ट्रोक के खतरों से बचने के लिए इसके शुरुआती लक्षणों को समझना बहुत जरूरी है। ज्यादातर मामलों में स्ट्रोक से पहले उसके लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। इन लक्षणों को तुरंत पहचानकर जान बचाना काफी हद तक मुमकिन है।
स्ट्रोक के लक्षणों को समझने के लिए FAST को याद रखें-
चेहरे का ढीलापन (Face drooping)
स्ट्रोक में आमतौर पर चेहरे का एक हिस्सा ढीला या सुन्न हो जाता है। चेहरे की इस गड़बड़ी का पता तब चलता है, जब व्यक्ति मुस्कुराने की कोशिश करता है।
कलाईयों का कमजोर हो जाना (Arm weakness)
कलाई कमजोर या सुन्न हो सकती है। स्ट्रोक का यह लक्षण तब स्पष्ट हो जाता है, जब व्यक्ति दोनों हाथ ऊपर उठाने की कोशिश करता है।बोलने में कठिनाई (Speech difficulty)
बोलने पर भाषा अस्पष्ट और अजीब महसूस होती है। इस समस्या की पुष्टि करने के लिए व्यक्ति से एक सरल सा वाक्य दोहराने को कहें।