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World Brain Tumor Day 2023: ब्रेन हेल्थ को लेकर रहेंगे सचेत, तो खतरा भी रहेगा दूर..

World Brain Tumor Day 2023 घंटों मोबाइल पर बात करना तनावपूर्ण जीवनशैली जीना प्रदूषण जैसे कारक दिमाग से जुड़ी बीमारियों के जोखिम बढ़ा सकते हैं। वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे के मौके पर जानते हैं इससे जुड़े कारण और समाधान के बारे में..

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Tue, 06 Jun 2023 12:41 PM (IST)
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World Brain Tumor Day 2023: सतर्क रहना ही ब्रेन ट्यूमर से सबसे अच्छा बचाव है

नई दिल्ली। World Brain Tumor Day 2023: ब्रेन ट्यूमर के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। कुछ दशक पहले तक ब्रेन ट्यूमर के ज्यादातर मामले बुजुर्गों में देखे जाते थे लेकिन, आजकल 20-25 वर्ष के मरीज भी सिरदर्द की शिकायत करते हैं और एमआरआइ में पता चलता है कि उन्हें लास्ट स्टेज ब्रेन ट्यूमर हो गया है। बच्चों में भी यह समस्या देखी जा रही है।

क्या हैं कारण

ब्रेन ट्यूमर का सबसे बड़ा कारण तनावपूर्ण जीवनशैली, प्रदूषण, खानपान (खासकर शहरों में) है। एक दूसरा बड़ा कारण है- मोबाइल फोन का आवश्यकता से अधिक प्रयोग। लोग कानों के पास रखकर घंटों मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इससे आगे चलकर परेशानी हो सकती है। जब से मोबाइल का चलन शुरू हुआ है, तब से ब्रेन ट्यूमर के मामले भी काफी बढ़ गए हैं। हालांकि, दोनों के बीच अंतर्संबंध अभी विधिवत स्थापित नहीं हैं। जैसे-फेफड़े के कैंसर और धूम्रपान के बीच संबंध अब सिद्ध हो चुका है, उसी तरह अगले पांच-दस वर्षों में यह भी प्रमाणित हो जाएगा।

प्रमुख हैं लक्षण

  • ब्रेन ट्यूमर में सबसे आम लक्षण है-सिरदर्द।
  • रात में नींद खराब होना
  • लगातार उल्टियां
  • आंखों की रौशनी कम होना

सिरदर्द को न करें नजरअंदाज

अगर लगातार सिरदर्द हो रहा है, तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। शुरुआत में लोग सिरदर्द होने पर गोलियां खाना शुरू कर देते हैं और ट्यूमर अंदर बढ़ता रहता है। अंत में, चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, तो विकल्प नहीं रह जाता है। सिरदर्द के साथ लगातार उल्टियां हो रही हैं या मिर्गी के दौरे पड़ रहे हैं, तो यह शुरुआती लक्षण हो सकता है। इसमें एक तरफ हाथ-पैर नहीं चलने यानी लकवा जैसी समस्या भी आ सकती है।

समय रहते कराएं उपचार

  • लक्षणों के स्पष्ट होने के बाद सीटी स्कैन या एमआरआइ से ब्रेन ट्यूमर होने की पुष्टि होती है।
  • अगर ब्रेन ट्यूमर के मामले में कैंसर का जोखिम नहीं है, तो उसे ऑपरेशन के जरिये निकाला जा सकता है और मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है।
  • यदि इसके 100 मरीज आते हैं, तो उनमें से करीब 25 से 30 प्रतिशत को कैंसर होता है।

क्या है उपाय

अगर ब्रेन ट्यूमर का मामला शुरू में ही पकड़ में आ गया, तो आधुनिक उपचार से उसे सही किया जा सकता है। कुछ देशों में स्क्रीनिंग की व्यवस्था तैयार हुई है यानी सिरदर्द हुआ, तो तुरंत एमआरआइ किया जाता है। इससे ब्रेन ट्यूमर को पहली स्टेज में पकड़ लेते हैं। अगर मरीज का ट्यूमर बहुत छोटा है, तो उसे दवा देकर फॉलोअप के लिए कहा जाता है। अगर ट्यूमर का आकार बढ़ गया है, तो सर्जरी ही करानी होती है। सर्जरी के बाद बायोप्सी की रिपोर्ट आने के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की जाती है।

डॉ. के.बी. शंकर, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, न्यूरो-सर्जरी, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली

बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र