World Brain Tumor Day 2023: किन लोगों में होता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा और क्या इससे जा सकती है याददाश्त?
World Brain Tumor Day 2023 आज यानी 8 जून का दिन वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे के रूप में मनाया जाता है तो आज के लेख में हम एक्सपर्ट से जानेंगे कि किन लोगों को होता है ब्रेन ट्यूमर का ज्यादा खतरा और क्या इससे याददाश्त पर भी पड़ता है असर?
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Thu, 08 Jun 2023 09:18 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Brain Tumor Day 2023: ब्रेन ट्यूमर एक खतरनाक बीमरी है, जो कई कारणों से हो सकती है। ये कारण ट्यूमर के विकास में योगदान देते हैं, लेकिन इसके साथ ही यह समझना भी ज़रूरी है कि ज़्यादातर मामलों में ये सीधा ब्रेन ट्यूमर का कारण नहीं होते। ऐसे में इन कारणों को समझ कर और डॉक्टर से इनके बारे में बातचीत कर सही समय पर इलाज का फैसला लिया जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर को रोकने में लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव से कहीं ज्यादा जरूरी है जागरुकता।
किन लोगों को होता है ब्रेन ट्यूमर का ज्यादा खतरा?
उम्र
ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह बच्चों या अधिक उम्र के व्यस्कों में होता है। उम्र के प्रारूप को समझ कर ब्रेन ट्यूमर की संभावना को समझा जा सकता है। इस तरह जल्दी निदान और समय पर उपचार को सुनिश्चित किया जा सकता है।
लिंग
आमतौर पुरूषों में ब्रेन ट्यूमर की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर जैसे मेनिन्जियोमा अक्सर महिलाओं में ही देखे जाते हैं। इन्हें समझ कर रोकथाम के उपायों को अपनाया जा सकता और समय पर उपचार किया जा सकता है।घर और काम की परिस्थितियां
कुछ विशेष प्रकार के रसायनों जैसे सोल्वेन्ट, कीटनाशक, तेल उत्पादों, रबड़ या विनाइल उत्पादों के संपर्क में रहने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इसके वैज्ञानिक प्रमाण अभी नहीं मिले हैं। इस बारे में अभी और रिसर्च की ज़रूरत है। जिससे इसे समझ कर रोकथाम के उपायों पर काम किया जा सके।
परिवार में इतिहास
ब्रेन ट्यूमर के 5 फीसदी मामलों में मरीज़ के परिवार में इसका इतिहास होता है। वैज्ञानिकों ने एक ही परिवार में ब्रेन ट्यूमर के उदाहरण देखे हैं, हालांकि इनका कोई जेनेटिक कनेक्शन नहीं होता।इन्फेक्शन, वायरस और एलर्जन के संपर्क में आने सेपशुओं पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि कई प्रकर के वायरस ब्रेन ट्यूमर को बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि मनुष्य में इसे प्रमाणित करने के लिए अधिक आंकड़ों की ज़रूरत है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि जिन लोगों में त्वचा की बीमारियों या एलर्जी का इतिहास होता है, उनमें ग्लिओमा की संभावना कम होती है यानि इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया और ट्यूमर के विकास में गहरा संबंध है।