World Breastfeeding Week 2024: स्तनपान से जुड़ी आम गलतफहमियां और उनके पीछे का सच
मां का दूध नवजात शिशुओं के लिए संपूर्ण आहार होता है। इससे उन्हें वो सभी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं जो उनके शारीरिक व मानसिक विकास के लिए जरूरी होते हैं। हर साल 1 से 7 अगस्त तक World Breastfeeding Week मनाया जाता है। स्तनपान को लेकर कई तरह की गलतफहमियां भी फैली हुई हैं जिसकी पीछे की सच्चाई जानना जरूरी है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। डिलीवरी के बाद स्तनपान सिर्फ बच्चे के लिए ही नहीं, बल्कि मां को भी कई तरह के फायदे पहुंचाता है। कई बार माताओं का बच्चे के साथ कनेक्शन नहीं डेवलप हो पाता और वो डिप्रेशन का भी शिकार हो जाती हैं। ब्रेस्टफीडिंग इन्हीं खतरों की संभावनाओं को कम करने का काम करता है। स्तनपान बच्चों के फिजिकल और मेंटल ग्रोथ में फायदेमंद होता है। हालांकि बेस्टफीडिंग को लेकर कई तरह की गलतफहमियां भी हैं। हर साल 1 से 7 अगस्त तर World Breastfeeding Week मनाया जाता है। आज हम स्तनपान से जुड़ी ऐसी ही कुछ गलतफहमियों की सच्चाई जानेंगे।
मिथक- ब्रेस्टफीडिंग दर्दभरा प्रोसेस है।
सच्चाई
ये प्रोसेस तभी पेनफुल होता है, जब स्तनपान के दौरान सही स्थिति का ध्यान न रखा जाए। थोड़ी ट्रेनिंग की मदद से इस दर्द को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
मिथक- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माताएं किसी तरह की दवा नहीं ले सकती।
सच्चाई
सी सेक्शन डिलीवरी के बाद जल्दी रिकवरी के लिए कई तरह की दवाएं डॉक्टर ही सजेस्ट करते हैं, तो इन्हें न खाने की गलती जरूर भारी पड़ सकती है। हां, खुद से कोई दवा लेने की गलती न करें। छोटी- बड़ी किसी भी तरह की परेशानी के लिए अगर आप दवा लेने की सोच रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें। साथ ही दवा के साथ दिए गए निर्देशों को भी पढ़ें। इसके अलावा बच्चे के डॉक्टर को भी बताएं कि आप कौन सी दवा ले रही हैं।मिथक- अगर मां बीमार है, तो ब्रेस्टफीडिंग नहीं करानी चाहिए।
सच्चाई
इस बात पर आंख मूंद कर भरोसा न करें। यह बात बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है। दवाएं लेने वाली माताएं भी आमतौर पर ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं। बस याद रखें कि बिना डॉक्टर से कंसल्ट किए दवा नहीं लेनी है।ये भी पढ़ेंः- डिलीवरी के बाद इन फूड्स को खाना है जरूरी, ताकि बनी रहे आपकी सेहत
मिथक- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको सादा भोजन ही करना चाहिए।
सच्चाई
स्तनपान के दौरान वैसे तो हेल्थ एक्सपर्ट्स सादा, लेकिन बैलेंस डाइट खाने की सलाह देते हैं। जिससे बॉडी जल्दी रिकवर हो सके, साथ ही शरीर में ताकत भी बनी रहे, लेकिन ऐसा नहीं है कि बिल्कुल भी सादा भोजन करना है। थोड़ा बहुत मिर्च-मसालेदार भोजन किया जा सकता है। बच्चे गर्भ में रहने के दौरान मां के खाने-पीने की आदत से वाकिफ हो जाते हैं। फिर भी अगर मां को लगता है कि बच्चा उसके द्वारा खाने वाली किसी चीज पर रिएक्ट करता है, तो ऐसे में किसी एक्सपर्ट से सलाह ले सकती हैं।