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World Hemophilia Day 2023: क्या 'हीमोफीलिया' में खून बहना बंद नहीं होता, जानिए इस बीमारी के बारे में...

World Hemophilia Day 2023 हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य है हीमोफीलिया बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना। यह बीमारी रक्त बहने से होती है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में जरूरी जानकारी।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Mon, 10 Apr 2023 12:21 PM (IST)
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World Hemophilia Day 2023: जानिए इस बीमारी के बारे में. जरूरी जानकारी
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Hemophilia Day 2023: हीमोफीलिया एक आनुवंशिक बीमारी है, जो प्राय: पुरुषों को होती है। गंभीर श्रेणी का हीमोफीलिया घातक हो सकता है। इस बीमारी में चोट लगने या इंजेक्शन लगाने, सर्जरी या दांत निकालने के समय निरंतर रक्त बहने से मरीज की जान भी जा सकती है। हालांकि, इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। उपचार भी सस्ता हुआ है। रक्त जमने में मददगार फैक्टर जो पहले महंगा मिलता था, अब सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क मिल रहा है।

उपयोगी जानकारियां

-हीमोफीलिया आमतौर पर दो प्रकार से देखी जाती है-हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी।

-5000 में से एक व्यक्ति हीमोफीलिया ए से पीड़ित होता है, जबकि 20,000 में से एक व्यक्ति को हीमोफीलिया बी होता है।

- ए में क्लाटिंग फैक्टर आठ की कमी होती है, जबकि बी में क्लाटिंग फेक्टर नौ की कमी होती है।

-जितनी फैक्टर की कमी होती जाएगी, हीमोफीलिया गंभीर होता जाएगा। एक फैक्टर से कम हीमोफीलिया बेहद गंभीर माना जाता है।

-एक से पांच तक फैक्टर की कमी को माडरेट माना जाता है।

-क्लाटिंग फैक्टर की कमी से रक्त का थक्का जमना बंद हो जाता है।

-रक्त बहने से रोकने के लिए क्लाटिंग फैक्टर अलग से देना पड़ता है। इस प्रक्रिया में मरीज को क्लाटिंग फैक्टर इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है।

-रक्त बह रहा है तो पांच से भी कम फैक्टर देने पर बहाव कम हो सकता है।

-फैक्टर देने से शरीर में एंटीबाडी बन जाती है।

-अब मरीज का प्रोफाइल तैयार किया जाने लगा है। इससे इलाज और आसान हुआ है।

-प्रोफाइल से पता जाता है कि किस स्तर का हीमोफीलिया है, तो उसके अनुरूप फैक्टर दे दिए जाते हैं।

-अब दवा कैप्सूल के रूप में होती है, जिसे हफ्ते में एक बार लेना होता है। यह रक्त में धीरे-धीरे फैक्टर छोड़ती रहती है।

-हीमोफीलिया से पीड़ित बच्चे में कई टार्गेट प्वाइंट बन जाते हैं। जैसे कभी कंधे पर तो कभी घुटने पर गांठ बन जाती है।

-बच्चे को असहनीय दर्द हो सकता है। उसे बार-बार उल्टी होती है।

-यदि परिवार में इस बीमारी का इतिहास है तो पति-पत्नी को बच्चे के जन्मपूर्व हीमोफीलिया जांच करा लेना चाहिए।

-हीमोफीलिया के शिकार हैं जीवनशैली बेहतर करें और नियमित दवा लें। इससे अब इस बीमारी का प्रबंधन आसान होता जा रहा है।

डा. राहुल भार्गव

निदेशक, क्लीनिकल हेमोटोलाजी, फोर्टिस मेमोरियल शोध संस्थान, गुरुग्राम

बातचीत : सीमा झा