Move to Jagran APP

World IVF Day: क्या हैं इन्फर्टिलिटी होने के आम कारण और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी?

World IVF Dayपूरी दुनिया के वैज्ञानिक इनफर्टिलिटी की बीमारी को दूर करने के लिए इसका ट्रीटमेंट खोजने का अथक प्रयास करते रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी सफलता 25 जुलाई 1978 को मिली।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Fri, 24 Jul 2020 10:26 AM (IST)
Hero Image
World IVF Day: क्या हैं इन्फर्टिलिटी होने के आम कारण और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी?
इंफर्टिलिटी काफी आम समस्या है। इस समस्या से पूरी दुनिया के लगभग 15% कपल प्रभावित है। भारत जैसे विकासशील देश में यह समस्या और भी ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में चार कपल्स में से एक कपल बच्चा पैदा करने में परेशानी का सामना करते हैं। बच्चे न पैदा कर पाना इमोशनल और सामजिक कलंक माना जाता है। ऐसे कपल अपनी इस समस्या के बारे में खुलकर चर्चा करने से हिचकते हैं जिसकी वजह से उनकी इस बीमारी के इलाज में बाधा आती है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इनफर्टिलिटी की बीमारी को दूर करने के लिए इसका ट्रीटमेंट खोजने का अथक प्रयास करते रहे हैं। इस मामलें सबसे बड़ी सफलता 25 जुलाई, 1978 को मिली जब इंग्लैंड में लुईस ब्राउन का जन्म हुआ। ब्राउन दुनिया में सक्सेसफुल आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद पैदा होने वाली पहली बच्ची है। यह सब डॉ पैट्रिक स्टेप्टो, रॉबर्ट एडवर्ड्स और उनकी टीम की सालों की कोशिश के बाद संभव हो पाया। 

लुईस ब्राउन का जन्म  इंफर्टिलटी ट्रीटमेंट के फील्ड में सबसे बड़े लैंडमार्क में से एक था। इन 42 सालों में 8 मिलियन से अधिक बच्चों का जन्म विभिन्न "असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्निक" के माध्यम से हुआ है। आईवीएफ के साथ-साथ कई अन्य टेक्निक तब से विकसित हुई हैं। हर साल 25 जुलाई को रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में हुए महान अविष्कार को याद करने के लिए इसे 'वर्ल्ड आईवीऍफ़ डे' के रूप में हर साल मनाया जाता है। 

इन्फर्टिलिटी होने के आम कारण क्या हैं?

महिलाओं को हमेशा से इन्फर्टिलिटी का वाहक माना जाता रहा है, हालांकि यह सिर्फ एक मिथक है।  आज के  समय में पुरुष भी  उतना इन्फर्टिलिटी  के लिए जिम्मेदार होता है जितना की महिला। इन्फर्टिलिटी के सामान्य कारण महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, ओवुलेटरी डिसफंक्शन, एंडोमेट्रियोसिस आदि जैसे मेडिकल  कारण शामिल होते हैं और पुरुषों में इन्फर्टिलिटी होने का कारण  खराब शुक्राणु की क्वॉन्टिटी या क्वॉलिटी होती है। इन्फर्टिलिटी का दूसरा महत्वपूर्ण कारण लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं हैं जिसमें ज्यादा उम्र में शादी करना, डिलीवरी को पोस्टपोन करना, स्ट्रेस, अनहेल्दी फ़ूड, शराब और तंबाकू का सेवन शामिल होता हैं। 

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) का क्या मतलब होता है?

एआरटी में सभी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट शामिल होते हैं जिसमें एग्स और भ्रूण दोनों को हैंडल किया जाता है। सामान्य तौर पर, एआरटी प्रोसेस में एक महिला के अंडाशय से अंडों को निकालना, उन्हें लेबोरेटरी में शुक्राणु के साथ संयोजित करना और उन्हें महिला के शरीर में वापस करना शामिल होता है। इसमें मुख्य रूप से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ), आईसीएसआई, गैमेट्स या भ्रूण का क्रोप्रेजर्वेशन (अंडे या शुक्राणु), PGT (प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग) शामिल होता है। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से कई कपल इलाज न होने वाली इन्फर्टिलिटी से उबरकर बच्चे को जन्म दिया है। 

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी के प्रकार 

1. इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF)

शुक्राणुओं और अंडों का मिलना प्रेग्नेंट होंने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक होता है, हालांकि कई ऐसे कारण हैं जो शरीर में निषेचन की इस प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। जिससे फर्टिलिटी की समस्या उभरती है। IVF असिस्टेड रिप्रोडक्टिव की एक विधि है जिसमे महिला के एग्स को पुरुष के स्पर्म के साथ शरीर के बाहर लेबोरेटरी डिश में फर्टिलाइज़्ड किया जाता है। इसीलिए इसे 'टेस्ट ट्यूब बेबी' भी कहा जाता है। इन फर्टिलाइज़्ड एग्स (भ्रूण) में एक या एक से अधिक एग्स को फिर महिला के गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है, ताकि वे गर्भाशय की परत में चिपक सकें और ग्रो कर सके। यह सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली एआरटी प्रोसेस में से एक है और इसका उपयोग  फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, एंडोमेट्रियोसिस को ठीक करके इन्फर्टिलिटी को दूर करने के लिए किया जाता है।  ऐसे ही और भी कई टेकनिक होती हैं जिससे कपल को बच्चा पैदा करने के लिए लायक बनाया जाता है। 

2. इंट्रास्टोप्लामिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) 

यह असिस्टेड रिप्रोडक्शन की स्पेशल टेक्निक है जो मेल फैक्टर इन्फर्टिलिटी में सबसे ज्यादा यूजफुल होता है जहां स्पर्म काउंट या क्वॉलिटी बहुत खराब होती है। इसमें IVF की तरह  शुरुआती स्टेप शामिल होता हैं, इसमें बस फर्टिलाइज़ेशन का प्रोसेस नहीं होता है। एक स्पर्म की स्पेशल सुई एग्स में इंजेक्ट की जाती है। इसलिये अंडे को फर्टिलाइज़ करने के लिए लाखों शुक्राणुओं की जरुरत को ख़त्म करती है और प्रेग्नेंसी बहुत कम स्पर्म कॉउंट में भी सफल हो जाती है। 

3. गैमेटेस / भ्रूण के क्रायोप्रेज़र्वेशन

क्रायोप्रेज़र्वेशन या फ्रीजिंग एक ऐसी तकनीक होती है जिसमें भ्रूण, अंडे और शुक्राणु लिक्विड नाइट्रोजन में लंबे समय तक -196 डिग्री सेंटीग्रेड पर जमाये जाते हैं। यह आईवीएफ  ट्रीटमेंट कराने वाले कपल के लिए बहुत उपयोगी होता है जिनमे भ्रूण ट्रांसफर के बाद भ्रूण बचा रहा जाता है। क्रायोप्रेजर्वेशन फ्यूचर एआरटी साइकिल को प्रारंभिक आईवीएफ  साइकिल की तुलना में आसान, कम खर्चीला, और लेस इनवेसिव  बनाता है क्योंकि महिला को ओवेरियन स्टिमुलेशन या एग रिट्रीवल की जरूरत नहीं होती है। एक बार जमे हुए, भ्रूण को लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है, और लगभग 20 सालों से फ्रोजेन किये गए भ्रूणों से भी बच्चे पैदा किये गए हैं। क्रायोप्रेज़र्वेशन की एक और बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अंडे या शुक्राणु को संरक्षित करना होता है। यह आमतौर पर सबसे ज्यादा युवा महिलाओं और पुरुषों में किया जाता है। 

4. प्रीमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी) 

प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी) प्रसवपूर्व जेनेटिक डाइग्नोसिस का एक प्रारंभिक रूप होता है जहां असामान्य  भ्रूण की पहचान की जाती है, और केवल जेनेटिकली सामान्य भ्रूण का उपयोग इम्प्लांटेशन के लिए किया जाता है। यह तकनीक उन कपल्स के लिए वरदान है जो जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं या इसके कैरियर होते हैं।  इसमें भ्रूण से कुछ सेल्स को हटाने, इन सेल्स को स्पेसिफिक जेनेटिक टेस्ट में किसी जेनेटिक अल्टरेशन को जींस में क्रोमोसोम की संख्या की उपस्थिति में किया जाता है।  यह जेनेटिक रूप से स्वस्थ भ्रूण की पहचान और चयन में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह प्रेग्नेंसी की संभावना के चांस को बढ़ाता है। 

वैज्ञानिक एडवांसमेंट्स ने बहुत सारे इन्फर्टिलिटी से परेशान कपल का ट्रीटमेंट किया है।  यह बहुत तेजी से विकसित और नयी टेक्नोलॉजी प्रोवाइड कराने वाली फील्ड है। यह इंफर्टिलटी की समस्या को गहराई में जाकर इसके कारणों को जानकार फिर इलाज करती है।   

-डॉ पारुल कटियार, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी कंसलटेंट