Move to Jagran APP

सावधान! सिर्फ स्मोकिंग ही नहीं प्रदूषण भी बढ़ाता Lung Cancer का खतरा, डॉक्टर से जानें रिस्क फैक्टर

Lung Cancer एक गंभीर बीमारी है जो दुनियाभर में कई लोगों को प्रभावित करती है। यह कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। ऐसे में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 1 अगस्त को World Lung Cancer Day 2024 मनाया जाता है। इस मौके पर आज इस आर्टिकल में जानेंगे कैसे नॉन-स्मोकर्स में प्रदूषण लंग कैंसर का कारण बन रहा है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 01 Aug 2024 12:12 PM (IST)
Hero Image
लंग कैंसर का कारण बन रहा प्रदूषण (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लंग्स हमारे शरीर के अहम अंगों में से एक हैं, जो हमें एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद करते हैं। हालांकि, इन दिनों हमारी लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव होने लगा है, जिसका असर हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों पर ही दिखने लगा है। काम का बढ़ता बोझ और खानपान की गलत आदतें कई समस्याओं और बीमारियों की वजह बन जाती हैं। Lung Cancer इन्हीं बीमारियों में से एक है, जिसके मामले आजकल तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। यह कैंसर का एक गंभीर प्रकार है, जो दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों में प्रमुख है। वर्तमान में कई लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।

ऐसे में इसे लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 1 अगस्त को World Lung Cancer Day मनाया जाता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि लंग कैंसर (Lung Cancer Symptoms) स्मोकिंग करने से होता है और यह काफी हद तक सही भी है, लेकिन पिछले कुछ समय से सामने आ रहे आंकड़ों में नई तस्वीर सामने आई है। हाल ही में सामने आई एक स्टडी में पता चला कि भारत में फेफड़ों के कैंसर के 50% से ज्यादा मरीज ऐसे हैं, जो धूम्रपान नहीं करते हैं। अध्ययन के मुताबिक नॉन-स्मोकर्स में इस कैंसर के रिस्क फैक्टर्स में प्रदूषण एक प्रमुख कारक है।

यह भी पढ़ें-  यूटरस कैंसर और पेल्विक में होने वाले भयंकर दर्द को दूर करने का सेफ ऑप्शन है Hysterectomy

ऐसे में लंग कैंसर डे (Lung Cancer Day Significance) के मौके पर हमने मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. विकास गोस्वानी से बातचीत कर यह जाना कि कैसे प्रदूषण से Lung Cancer का खतरा बढ़ता है।

प्रदूषण और लंग कैंसर में कनेक्शन

डॉक्टर बताते हैं कि प्रदूषण खासकर वायु प्रदूषण से फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), ओजोन (O3), और फाइन पार्टीकुलेट मैटर (PM2.5) इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। ये फाइन पार्टिकल्स में सर्कुलेशन में एंट्री कर और फेफड़ों में गहराई तक जाने की क्षमता होती है।

ऐसे में लंबे समय तक इन दूषित पदार्थों के संपर्क में रहने से पल्मोनरी टिश्यू डैमेज और लगातार सूजन हो सकती है। इस डैमेज की वजह से फेफड़ों के सेल्स का डीएनए बदल सकता है, जिससे म्यूटेशन की संभावना बढ़ सकती है, जिससे कैंसर हो सकता है।

इन लोगों को है ज्यादा खतरा

इसके अलावा, कई प्रदूषकों में ऐसे केमिकल होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं, जैसे हैवी मेटल्स और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs), जो सीधे तौर पर कैंसर के विकास में योगदान करते हैं। ऐसे लोग, जो हाई प्रदूषण वाली जगहों में रहते हैं, जैसे कि व्यस्त सड़कों या इंडस्ट्रीयल एरिया के नजदीक, वे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। इसके अलावा, एस्बेस्टस, सेकंडहैंड स्मोक और रेडॉन जैसे इंटरनल संदूषकों का भी बड़ा प्रभाव पड़ता है।

इन तरीकों से कर सकते हैं बचाव

ऐसे में लोग, जिन्हें कैंसर होने की संभावना ज्यादा है या जिन्हें पहले से श्वसन संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें इसका ज्यादा खतरा होता है। हालांकि, कई ऐसे तरीके भी हैं, जिनकी मदद से प्रदूषण से होने वाले लंग कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है। प्रदूषण के खिलाफ सख्त कानून, साफ एनर्जी सोर्सेस और बेहतर शहरी नियोजन के जरिए वायु प्रदूषण के खतरे को कम कर प्रदूषण के कारण होने वाले फेफड़ों के कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है।

यह भी पढ़ें- HIV से कितना अलग है AIDS, डॉक्टर ने बताए इस खतरनाक बीमारी से जुड़े सभी सवालों के जवाब

Quiz

Correct Rate: 0/2
Correct Streak: 0
Response Time: 0s

fd"a"sds

  • K2-India
  • Mount Everest
  • Karakoram