World Lupus Day: पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखने की मिलती है ल्यूपस की बीमारी, जानें इसके बारे में
World Lupus Day ल्यूपस एक ऐसी बीमारी है जो हमारे हार्ट ज्वॉइंट्स फेफड़ों बालों के साथ चेहरे को भी प्रभावित करती है। तो जानते हैं इस बीमारी के बारे में इसके लक्षण बचाव व उपचार के बारे में विस्तार से।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Wed, 10 May 2023 10:51 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Lupus Day: अगर आपको भी अपनी शरीर के अलग-अलग हिस्सों, जैसे- स्किन, घुटनों, लंग्स या अन्य दूसरी जगहों पर सूजन लग रही है, तो इसे हल्के में लेने की गलती न करें क्योंकि ये ल्यूपस बीमारी का एक लक्षण हो सकता है। ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। लेकिन इसके बारे में लोगों में बहुत ज्यादा अवेयरनेस नहीं, जिस वजह से कई बार इसे इग्नोर कर दिया है और बाद में स्थिति गंभीर हो जाती है। इस बीमारी का खतरा किशोरावस्था से लेकर 30 साल तक की उम्र की महिलाओं में ज्यादा होता है।
ल्यूपस फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के अनुसार, ल्यूपस से पीड़ित लगभग 90% मरीज़ महिलाएं हैं, और यह बीमारी आमतौर पर प्रसव के दौरान विकसित होती है। इस लैंगिक असमानता के कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि हार्मोनल और आनुवंशिक कारक भूमिका निभा सकते हैं।
वर्ल्ड ल्यूपस डे
दुनियाभर में 10 मई का दिन वर्ल्ड ल्यूपस डे (World Lupus Day) के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है। जिससे पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। ध्यान दें ल्यूपस कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो छूने से फैलती है और न ही यौन संबंध बनाने से। बस यह बीमारी शरीर के जिस भी भाग पर होती है उसे पूरी तरह से डैमेज कर सकती है।वर्ल्ड ल्यूपस दिवस पहली बार 2004 में मनाया गया था, जिसकी शुरुआत ल्यूपस फाउंडेशन ऑफ अमेरिका ने दुनिया भर के ल्यूपस संगठनों के साथ साझेदारी में की थी। तब से, यह एक वैश्विक कार्यक्रम बन गया है, जिसमें ल्यूपस वाले लोगों के लिए जागरूकता और समर्थन बढ़ाने के लिए विभिन्न संगठनों और समुदायों द्वारा गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
जहांगीर हॉस्पिटल की जनरल मेडिसिन, विशेषज्ञ डॉ. सरिता कुलकर्णी ने विश्व ल्यूपस दिवस के थीम के महत्व पर जोर दिया और बताया कि, "वर्ल्ड ल्यूपस डे की थीम, 'मेक ल्यूपस विजिबल' इस अस्थायी बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और ल्यूपस से पीड़ित लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को याद दिलाने के लिए एक शक्तिशाली प्रयास है। यह हमें एक साथ आने, अपनी आवाज उठाने और ल्यूपस से पीड़ित लोगों के जीवन में सुधार के लिए प्रयासों का समर्थन करने की अपील करता है।"
क्या है ल्यूपस?
ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के सेल्स और टिश्यूज को डैमेज करने का काम करती है। जिसके चलते ह्रदय, फेफड़ों, ज्वाइंट्स, स्किन, दिमाग पर असर पड़ता है, लेकिन किडनी पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। यह बीमारी आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है।Oncquest Laboratories के क्वॉलिटी एस्यूरेंस के प्रमुख एवं उप निदेशक, Dr Sushrut Pownikar ने बताया कि, 'ल्यूपस एक बहुत आम रोग नहीं है और भारत में इस ऑटोइम्यून रोग से हर एक हजार में एक व्यक्ति प्रभावित होता है, लेकिन मरीज के महत्वपूर्ण अंगों पर इसके गंभीर प्रभाव इसे वर्तमान युग में एक चुनौतीपूर्ण बीमारी बनाते हैं। रिपोर्ट बताती हैं कि वैश्विक रूप से कम से कम 5 मिलियन लोग ल्यूपस से प्रभावित होते हैं, जहां 3.4 (58%) SLE से प्रभावित होते हैं। अनुमानित प्रसार 1,00,000 लोगों पर 43.7 होता है। यह बीमारी घातक हो सकती है, लेकिन इस स्थिति के बारे में जनता की जागरूकता बहुत कम है। आमतौर पर, यह एक जटिल बीमारी मानी जाती है जिसमें बुखार, जोड़ों का दर्द, और गुर्दे, हृदय, फेफड़ों और दिमाग की समस्याएं जैसे विभिन्न लक्षण होते हैं, लेकिन त्वचा पर कीटाणुओं की तरह दिखने वाला क्लासिकल रैश आमतौर पर एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में लिया जाता है। दूसरी ओर, ल्यूपस के उपचार प्रभावित अंग और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। वर्तमान में ल्यूपस के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है, लेकिन मरीज की समस्याओं के आधार पर विभिन्न उपचार उसके लक्षणों को नियंत्रित करने और आगे बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, सूजन और दर्द को नियंत्रित करने के लिए, डॉक्टरों द्वारा गैर-स्टेरॉयड एंटी-इन्फ्लामेटरी दवाओं (NSAIDs), कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं और जैविक दवाओं का उपयोग किया जाता है। दवा के अलावा, नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और तनाव प्रबंधन जैसे जीवनशैली के बदलाव भी ल्यूपस के लक्षणों को नियंत्रित करने और संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।'