किशोरावस्था में आम हैं Mental Health से जुड़ी ये समस्याएं, डॉक्टर की बताई इन टिप्स से रखें बच्चों का ख्याल
Mental Health का ख्याल रखना बेहद जरूरी माना जाता है। खासकर किशोरावस्था में अक्सर इससे जुड़ी ज्यादा समस्याएं देखने को मिलती है। ऐसे में पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह बच्चों के व्यवहार में होने वाले बदलावों पर नजर रखें। World Mental Health Day के मौके पर जानते हैं किशोरों में होने वाले कुछ मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर (Mental Health Disorder)।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Mental Health हमारी सेहत पर गहरा असर डालती है। लोग अक्सर हेल्दी रहने के लिए अपनी फिजिकल हेल्थ पर ध्यान देते हैं, लेकिन अक्सर मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा कर देते हैं। पिछले कुछ समय से मेंटल हेल्थ चिंता का एक गंभीर विषय बनकर सामने आया है। खासकर किशोरों के लिए यह एक गंभीर विषय बनता जा रहा है। एडोलेसेंस के दौरान मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
ऐसे में World Mental Health Day के मौके पर नुबेला सेंटर फॉर विमेन हेल्थ, नई दिल्ली की डायरेक्टर डॉ. गीता श्रॉफ से जानेंगे किशोरों में होने वाले सामान्य मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के बारे में और इस दौरान माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
किशोरों में होने वाले मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर
एंग्जायटी
- लक्षण- दिल की तेज धड़कन, सामाजिक अलगाव और बहुत ज्यादा स्ट्रेस एंग्जायटी डिसऑर्डर का संकेत हैं।
- माता-पिता की भूमिका: अपने बच्चों को डर के बारे में खुलकर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करें और डीप ब्रीथिंग जैसी एक्सरसाइज सिखाएं।
डिप्रेशन
- लक्षण- लगातार उदासी, गतिविधियों में रुचि न लेना, खाने या सोने के पैटर्न में बदलाव, लोगों से दूरी बनाना, निगेविट विचार आदि कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिनसे किशोरों में डिप्रेशन का पता लगाया जा सकता है।
- माता-पिता क्या करें: बच्चों को बिना कोई सलाह या फैसला सुनाए, शांति से उनकी बातें सुनें और उन्हें भरोसा दिलाए कि आप उन्हें समझते हैं। अगर लक्षण बिगड़ते हैं या बने रहते हैं, तो डॉक्टर की मदद लें।
ADHD
- लक्षण- फोकस की कमी, हाइपरएक्टिविटी, जिम्मेदारियों को पूरा करने में परेशानी, रोजमर्रा के कामों की अनदेखी आदि इसके लक्षण हो सकते हैं।
- माता-पिता के लिए उपाय: बच्चों के लिए कुछ कार्यक्रम आदि ऑर्गेनाइज करें और स्कूल में उन्हें सही मदद देने के लिए टीचर्स से बातचीत करें।
ईटिंग डिसऑर्डर
- लक्षण- अनहेल्दी खान-पान की आदत बुलिमिया नर्वोसा और एनोरेक्सिया नर्वोसा जैसे ईटिंग डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है, जो शरीर और दिमाग पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। इसके अन्य लक्षणों में वजन कम होना, खाने या डाइटिंग के लिए ऑब्सेशन आदि शामिल हैं।
- माता-पिता क्या कर सकते हैं: बच्चों को फिजिकली एक्टिव रखें और हेल्दी खान-पान को बढ़ावा दें।
नशा संबंधी विकार
- लक्षण: ये कंडीशन नशीली दवाओं या शराब के मिसयूज की वजह से होती हैं, जो किसी के सामान्य कामकाज और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती हैं। इसके चेतावनी संकेतों में व्यवहार में बदलाव, अकेडमिक परफॉर्मेंस में गिरावट, छिपकर काम करना या झूठ बोलना आदि शामिल हैं।
- माता-पिता क्या करें: अपने बच्चों को नशीली चीजों के सेवन के खतरों को समझने में मदद करें। किसी भी तरह के दबाव या प्रलोभनों के बारे में उनसे खुलकर बातचीत करें।
इन बातों का ध्यान रखें पेरेंट्स
- एक सुरक्षित वातावरण बनाएं, जहां आपके बच्चे अपनी चिंताओं और भावनाओं के बारे में आपसे खुलकर बात कर सकें।
- बच्चों के व्यवहार, रवैये और दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में बदलाव पर नजर रखें। जल्द पहचान करने से समय रहते बचाव किया जा सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में जानकारी रखें। इन समस्याओं को जानने से बच्चों की मदद करना आसान हो सकता है।