World Pneumonia Day: ये लक्षण दिखें तो देर न करें, फौरन जाएं डॉक्टर के पास!
World Pneumonia Day फेफड़े में संक्रमण यानी इंफेक्शन को निमोनिया कहा जाता है। न्यूमोकोकस हीमोफिलस लेजियोनेला माइकोप्लाज्मा क्लेमाइडिया और स्यूडोमोनास आदि जीवाणुओं से निमोनिया होता है। इसके अलावा कई वायरस फंगस और परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया हो सकता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Pneumonia Day: फेफड़े में संक्रमण यानी इंफेक्शन को निमोनिया कहा जाता है। यह इन्फेक्शन ज्यादातर मामलों में जीवाणुओं (बैक्टीरिया) के कारण होता है। इस बीमारी में एक या दोनों फेफड़ों के हिस्सों में सूजन आ जाती है और फेफड़ों में पानी भी भर जाता है।
क्या हैं निमोनिया के कारण
न्यूमोकोकस, हीमोफिलस, लेजियोनेला, माइकोप्लाज्मा, क्लेमाइडिया और स्यूडोमोनास आदि जीवाणुओं से निमोनिया होता है। इसके अलावा कई वायरस (जो इंफ्लुएंजा और स्वाइन फ्लू के वाहक हैं), फंगस और परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया हो सकता है। भारत में प्रतिवर्ष संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में से लगभग 20 फीसदी निमोनिया की वजह से होती हैं। इसके अलावा अस्पताल में होने वाले संक्रामक रोगों में यह बीमारी दूसरे स्थान पर है।
इन्हें है ज़्यादा ख़तरा
वैसे तो यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है, पर कुछ बीमारियां और स्थितियां ऐसी हैं, जिनमें निमोनिया होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। जैसे शराब और नशे की लत, डाइलिसिस पर रहने वाले मरीज़, हृदय, फेफड़े और लिवर की बीमारियों के गंभीर मामले। इसी तरह मधुमेह, गंभीर किडनी रोग, बुढ़ापा, कम उम्र के बच्चे और नवजात शिशु, कैंसर और एड्स के मरीज़ों को भी निमोनिया का ख़तरा ज़्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले से किसी गंभीर बीमार से ग्रस्त लोगों की इम्यूनिटी काफी कमज़ोर हो जाती है।
निमोनिया संक्रमण तीन तरह से हो सकता है
1. सांस के रास्ते: खांसने या छींकने से।
2. खून के रास्ते: डायलिसिस के कारण, अस्पताल में ऐसे मरीज जो लंबे समय से इंट्रा-वीनस फ्लूएड पर हैं या दिल के ऐसे मरीज़, जिनहें पेस मेकर लगा है।
3. एसपिरेशन: खाद्य पदार्थों के सांस की नली में जाने को एसपिरेशन कहते हैं।
जानें क्या हैं इसके लक्षण
- जोड़ों में दर्द के साथ तेज़ बुख़ार
- खांसी और बलग़म (जिसमें कई बार खून के छीटें भी आ सकते हैं)
- सीने में दर्द और सांस फूलना
- कुछ मरीज़ों में दस्त, जी मिचलाना और उल्टी आना आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
- चक्कर आना, भूख न लगना, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, सिरदर्द और त्वचा का नीला पड़ जाना आदि।
कैसे होती है निमोनिया की जांच
खून की जांच यानी ब्लड टेस्ट, सीने का एक्स-रे, बलग़म में ग्राम स्टेन और कल्चर की जांच और एबीजी परीक्षण आदि। इसके अलावा, रक्त की कल्चर जांच भी कराई जाती है।
गंभीर स्थिति के लक्षण
कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिनके कारण निमोनिया से पीड़ित व्यक्ति को आईसीयू में भर्ती होने की भी ज़रूरत पड़ सकती है।
- कमज़र नब्ज़ व कम रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) का होना।
- हाथ और पैरों का ठंडा पड़ जाना।
- सांस लेने की दर 30 प्रति मिनट से अधिक हो जाना।
- भ्रम (कन्फ्यूजन) की स्थिति।
- श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या 4,000 से कम हो जाए।