World Polio Day 2024: हर साल इस खास मकसद से मनाया जाता है यह दिन, जानें भारत में क्या है पोलियो की स्थिति
हर साल 24 अक्टूबर का दिन World Polio Day के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन इस बीमारी और इससे निपटने के उपायों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के मदसक से हर साल मनाया जाता है। पोलियो एक ऐसी बीमारी है जो छोटी उम्र में बच्चों को अपना शिकार बनाती है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो आमतौर पर छोटी उम्र में भी लोगों को अपना शिकार बना लेती है। यही वजह है कि इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 24 अक्टूबर को World Polio Day मनाया जाता है। यह दिन लोगों को इस गंभीर बीमारी के बुरे परिणामों के बारे में बताया है। साथ ही इससे निपटने के तरीकों के बारे में भी लोगों को बताता है। भारत को भले ही पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज भी दुनियाभर में कई लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं।
ऐसे में हर साल मनाया जाने वाला विश्व पोलियो दिवस इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, इसकी रोकथाम और इस बीमारी को खत्म करने के वैश्विक प्रयासों को उजागर करने का एक बढ़िया मौका है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और क्या है इस साल की इसकी थीम-यह भी पढ़ें- क्या शुगर की तरह एक महीने के लिए छोड़ सकते हैं नमक? यहां जानें कैसा होगा शरीर पर असर
वर्ल्ड पोलियो डे का इतिहास
इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 1985 में की गई थी। यह दिन रोटरी इंटरनेशनल द्वारा बनाई पहली पोलियो वैक्सीन की टीम के प्रमुख चिकित्सा शोधकर्ता जोनास साल्क के प्रयासों के सम्मान में मनाया जाता है। तब से लेकर आज तक हर साल 24 अक्टूबर को यह दिन मनाया जाता है।
विश्व पोलियो दिवस 2024 की थीम
पोलियो के लिए जागरूकता फैलाने का वाला यह दिन हर साल किसी खास थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार भी इस दिन के लिए एक थीम तय की गई है। इस साल वर्ल्ड पोलियो डे के लिए "हर बच्चे तक पहुंचने के लिए एक ग्लोबल मिशन" (A Global Mission to Reach Every Child) थीम रखी गई है।क्या है पोलियो?
पोलियो, जिसे पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है, एक बेहद संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसकी वजह से प्रभावित बच्चे को पैरालिसिस होता है और कभी-कभी मौत तक हो जाती है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए साल 1988 में ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीशिएटिव (GPEI) जैसी पहल की शुरुआत के बाद से, दुनिया भर में पोलियो के मामलों को कम करने में मदद मिली है। इस पहल के बाद पोलियो के मामलों की संख्या में 99% से ज्यादा की गिरावट आई है और पोलियो अब केवल कुछ ही देशों में स्थानिक बीमारी है।