World Preeclampsia Day: प्रेग्नेंसी में बढ़ जाता है प्रीक्लेम्पसिया का खतरा, जानें कैसे करें इससे बचाव
World Preeclampsia Day 2023 गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाएं कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करती है। प्रीक्लेम्पसिया इन्हीं समस्याओं में से एक है जिसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 22 मई को विश्न प्रीक्लेम्पसिया डे मनाया जाता है।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Mon, 22 May 2023 07:50 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Preeclampsia Day 2023: गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इस दौरान वह कई तरह के बदलावों से गुजरती हैं। प्रेग्नेंसी का एक महिला पर शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से असर पड़ता है। इन दौरान महिला और शिशु दोनों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। लेकिन अक्सर इन दौरान महिलाएं कई तरह की समस्याओं का शिकार हो जाती हैं। गर्भावस्था में डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियां अक्सर महिलाओं को अपनी चपेट में ले लेती हैं।
प्रीक्लेम्पसिया इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो प्रेग्नेंसी में अक्सर कई महिलाओं को अपनी चपेट में ले लेती है। इस गंभीर समस्या का बच्चे पर गहरा असर पड़ता है। दुनियाभर में करीब 15 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाएं उच्च रक्तचाप का शिकार होती हैं। यही वजह है कि इस गंभीर समस्या के प्रति जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 22 मई को विश्न प्रीक्लेम्पसिया डे मनाया जाता है। तो चलिए इस मौके पर जानते हैं क्या यह बीमारी और इसके लक्षण-
प्रीक्लेम्पसिया क्या है?
प्रीक्लेम्पसिया गर्भवती महिलाओं में होने वाली एक ऐसी समस्या है, जो आमतौर पर गर्भधारण के 20 हफ्ते के बाद होती है। इस समस्या के होने पर अचानक ही हाई प्रेशर में वृद्धि होने लगती है। साथ ही पैरों, टांगों और बांह में सूजन आदि आने लगती हैं। यह एक गंभीर समस्या है, जिसका अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो मां और बच्चे की जान को खतरा हो सकता है।प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण
- हाई बीपी
- यूरिन में प्रोटीन
- तेज सिरदर्द
- छाती में दर्द
- चेहरे और हाथों की सूजन
- गर्भावस्था के बाद मतली
- सांस की तकलीफ
- धुंधली दृष्टि
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
प्रीक्लेम्पसिया के कारण
- एक्सपेक्टिंग मल्टीपल बेबी
- प्रीक्लेम्पसिया का पारिवारिक इतिहास
- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, या गुर्दे की बीमारी का इतिहास
- मोटापा
- ल्यूपस जैसी ऑटोइम्यून स्थितियां
- हार्मोनल डिसऑर्डर
कैसे करें प्रीक्लेम्पसिया की पहचान
प्री-क्लेम्पसिया गर्भवती महिलाओं में होने वाली एक गंभीर समस्या है, जो आमतौर पर प्रेग्नेंसी के 20वें हफ्ते में विकसित होती है। ऐसे में जरूरी है कि समय से इसकी पहचान कर इसका उचित इलाज किया जाए। आप निम्न तरीकों से प्री-क्लेम्पसिया की पहचान कर सकते हैं।
- यूरिन टेस्ट
- बल्ड टेस्ट
- भ्रूण का अल्ट्रासाउंड
- बायोफिजिकल प्रोफाइल या नॉनस्ट्रेस टेस्ट
कैसे करें प्री-क्लेम्पसिया से बचाव
- प्री-क्लेम्पसिया से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।
- लाइफस्टाइल में बदलाव करने से भी आप प्री-क्लेम्पसिया से खुद को बचा सकते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान प्री-क्लेम्पसिया से बचने के लिए आहार में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाएं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा तेल और मसाले वाले खाने से परहेज करें।
- नियमित रूप से योगा और एक्सरसाइज करने से भी आप खुद को प्री-क्लेम्पसिया से बचा सकते हैं।
- अगर आप प्रेग्नेंट हैं, तो इस दौरान नमक का सेवन सीमित मात्रा में भी करें।
- अगर आपका बीपी हाई है, तो उसे कम करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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