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सिर्फ कुत्तों के काटने से होता है Rabies! जानें इस बीमारी से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथकों की सच्चाई

रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो रेबीज वायरस से फैलती है। यह आमतौर पर कुत्तों या बिल्ली के काटने पर होती है लेकिन यह चमगादड़ रैकून और लोमड़ी जैसे जानवरों के काटने से भी हो सकती है। इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 28 सितंबर को World Rabies Day मनाया जाता है। जानते हैं इससे जुड़े कुछ आम मिथक और उनकी सच्चाई।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 28 Sep 2024 12:56 PM (IST)
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रेबीज से जुड़े मिथक और सच्चाई (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। रेबीज (Rabies) एक जानलेवा बीमारी है, जो आमतौर पर कुत्तों या बिल्ली जैसे जानवरों के काटने से होती है। इस बीमारी के लिए रेबीज वायरस जिम्मेदार होता है। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसे लेकर आज भी लोगों के बीच जागरूकता की कमी है। यही वजह है कि इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 28 सितंबर को World Rabies Day मनाया जाता है।

इस बीमारी के सही इलाज के लिए सिर्फ जागरूकता ही काफी नहीं, बल्कि इसकी सही जानकारी होना भी उतना ही अहम है। आज भी कई लोग रेबीज से जुड़े विभिन्न मिथकों पर भरोसा करते हैं। ऐसे में आज रेबीज डे के मौके पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुड़गांव में कम्युनिटी आउटरीच और वेलनेस के निदेशक डॉ. शिबल भारतीय बता रहे हैं इस बीमारी से जुड़े आम मिथक और इनकी सच्चाई के बारे में-

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मिथक 1- रेबीज सिर्फ कुत्ते के काटने से होता है।

  • सच्चाई- यह बिल्कुल गलत धारणा है। कुत्ते और बिल्ली जैसे घरेलू जानवर तो रेबीज से संक्रमित करते ही हैं, लेकिन चमगादड़, रैकून और लोमड़ी जैसे जंगली जानवरों से भी यह वायरस फैल सकता है। रेबीज किसी भी स्तनपायी यानी मेमल को संक्रमित कर सकता है, इसलिए किसी भी जानवर, चाहे वह घरेलू हो या जंगली के आसपास सावधानी बरतना जरूरी है।

मिथक 2- रेबीज का इलाज किया जा सकता है।

  • सच्चाई- यह एक मिथक है, जिसे कई लोग सच मानते हैं। जैसे ही लक्षण विकसित होते हैं, रेबीज लगभग हमेशा घातक होता है। रेबीज वैक्सीनेशन सीरीज, जिसे पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) के रूप में जाना जाता है, जब जानवर के काटने या वायरस के संपर्क में आने के तुरंत बाद दिया जाता है, तो ही बहुत प्रभावी होता है।

मिथक 3- सिर्फ खूंखार जानवरों के काटने से ही रेबीज होता है।

  • सच्चाई- पागल जानवर न सिर्फ आक्रामकता दिखाते हैं, बल्कि कई बार असाधारण शांति या संयम भी दिखाते हैं। रेबीज के मुख्य लक्षणों में से एक व्यवहार संबंधी असामान्यताएं हैं। चूंकि ये बहुत अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए किसी जानवर में किसी भी असामान्य व्यवहार से निपटते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

मिथक 4- घर में रहने वाले पालतू जानवर रेबीज से सुरक्षित रहते हैं।

  • सच्चाई- घर के अंदर रहने वाले पालतू जानवर भी इस वायरस से सुरक्षित नहीं हैं। उदाहरण के लिए, चमगादड़ घरों में प्रवेश कर सकते हैं और अंदर मौजूद पालतू जानवरों में बीमारी फैला सकते हैं। चाहे कोई पालतू जानवर घर के अंदर रहता हो या बाहर, उसे रेबीज के खिलाफ वैक्सीन लगाना महत्वपूर्ण है।

मिथक 5- अगर आपको वैक्सीन लगे हुए कुत्ते ने काट लिया है, तो आपको रेबीज की वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं है।

  • सच्चाई- वैक्सीनेशन लेने के बाद भी कुत्ते में वायरस होना संभव है। किसी भी जानवर के काटने के बाद, खासतौर से ज्यादा रिस्क वाली जगह पर, डॉक्टर को दिखाना अनिवार्य है। पीईपी के इस्तेमाल के संबंध में डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

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